इलेक्ट्रानिक संदेशों के बारे में उपधारणा (Presumption as to electronic messages)
Updated: Jan, 29 2021
Section 88-A of Indian Evidence Act in Hindi and English
88-क. इलेक्ट्रानिक संदेशों के बारे में उपधारणा -- न्यायालय यह उपधारित कर सकेगा कि प्रवर्तक द्वारा ऐसे प्रेषिती को किसी इलेक्ट्रानिक डाक परिसेवक के माध्यम से अग्रेषित कोई इलेक्ट्रानिक संदेश, जिसे ऐसे संदेश का संबोधित किया जाना तात्पर्यित है, उस संदेश के समरूप है, जो पारेषण के लिए उसके कम्प्यूटर में भरा गया था; किन्तु न्यायालय, उस व्यक्ति के बारे में, जिसके द्वारा ऐसा संदेश भेजा गया था, कोई उपधारणा नहीं करेगा।
स्पष्टीकरण -- इस धारा के प्रयोजनों के लिए "प्रेषिती" और "प्रवर्तक" पदों के वही अर्थ होंगे, जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 2 की उपधारा (1) के खण्ड (ख) और (य-क) में है।
88-A. Presumption as to electronic messages -- The Court may presumes that an electronic message, forwarded by the originator through an electronic mail server to the addressee to whom the message purports to be addressed corresponds with the message as fed into his computer for transmission; but the Court shall not make any presumption as to the person by whom such message was sent.
Explanation -- For the purposes of this section, the expressions “addressee" and "originator” shall have the same meanings respectively assigned to them in clauses (b) and (za) of sub-section (1) of Section 2 of the Information Technology Act, 2000.