किन्ही अधिनियमों या अधिसूचनाओं में अंतर्विष्ट लोक प्रकृति के तथ्य के बारे में कथन की सुसंगति (Relevancy of statement as to fact of public nature, contained in certain Acts or notifications)
Updated: Jan, 26 2021
Section 37 of Indian Evidence Act in Hindi and English
37. किन्हीं अधिनियमों या अधिसूचनाओं में अंतर्विष्ट लोक प्रकृति के तथ्य के बारे में कथन की सुसंगति -- जबकि न्यायालय को किसी लोक प्रकृति के तथ्य के अस्तित्व के बारे में राय बनानी है तब यूनाइटेड किंगडम की पार्लियामेंट के ऐक्ट में या किसी केन्द्रीय अधिनियम, प्रांतीय अधिनियम या राज्य अधिनियम में या शासकीय राजपत्र में प्रकाशित किसी सरकारी अधिसूचना या क्राउन रिप्रेजेटेटीव द्वारा की गई अधिसूचना में या लंदन गजट या हिज मजेस्टी के किसी डोमिनियन, उपनिवेश या कब्जाधीन क्षेत्र का सरकारी राजपत्र तात्पर्यित होने वाले किसी मुद्रित पत्र में अंतर्विष्ट परिवर्णन में किया गया उसका कोई कथन सुसंगत तथ्य है।
37. Relevancy of statement as to fact of public nature, contained in certain Acts or notifications -- When the Court has to form an opinion as to the existence of any fact of a public nature, any statement of it, made in a recital contained in any Act of Parliament of the United Kingdom, or in any Central Act, Provincial Act, or a State Act, or in a Government notification or notification by the Crown Representative appearing in the Official Gazette or in any printed paper purporting to be the London Gazette or the Government Gazette of any Dominion, colony or possession of His Majesty is a relevant fact.