Updated: Aug, 10 2020

मध्यप्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम, 2009

मध्यप्रदेश शासन

वित्त विभाग

मंत्रालय, वल्लभ भवन, भोपाल

भोपाल, दिनांक 28 फरवरी, 2009 

क्रमांक : एफ-8-2009-नियम/चार- भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए, मध्यप्रदेश के राज्यपाल, एतद्द्वारा, निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात् -

नियम

1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ- (1) इन नियमों का संक्षिप्त नाम मध्यप्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम, 2009 है।

(2) ये नियम 1 जनवरी, 2006 से प्रवृत्त समझे जायेंगे।

2. शासकीय सेवकों के प्रवर्ग जिनको ये नियम लागू होंगे- इन नियमों द्वारा या इनके अधीन अन्यथा उपबन्ध के सिवाय, ये नियम उन समस्त शासकीय सेवकों को लागू होंगे जो राज्य सरकार के नियम बनाने संबंधी नियंत्रण के अधीन आते हैं :

ये नियम लागू नहीं होंगे :-

(i) उन व्यक्तियों पर, जो पूर्णकालिक सेवा योजना में नहीं हैं; 

(ii) उन व्यक्तियों पर, जिन्हें मासिक आधार की अपेक्षा, अन्य प्रकार से भुगतान किया जाता है। उनमें वे व्यक्ति भी शामिल हैं, जिन्हें केवल मात्रानुपात दर पर भुगतान किया जाता है; 

(iii) उन व्यक्तियों पर जो अनुबन्ध पर कार्य कर रहे हैं; 

(iv) उन व्यक्तियों पर जो सवानिवृत्ति के बाद पुनः सरकारी नौकरी में लगाये गये हैं, 

(v) अखिल भारतीय सेवा के वेतनमानों में वेतन पाने वाले व्यक्ति; 

(vi) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय प्रौद्योगिकी शिक्षा परिषद् के वेतनमानों पर संदाय पाने वाले व्यक्ति; और

(vii) उन किसी अन्य वर्ग या श्रेणी के व्यक्तियों पर जिन्हें मध्यप्रदेश के राज्यपाल, आदेश द्वारा सारे कार्यों से अथवा इन नियमों में निहित प्रावधानों से विशेष रूप से निष्कासित करते हो; 

स्पष्टीकरण- खण्ड (V) के प्रयोजन के लिए पुनः नियोजित पेंशनभोगी के अंतर्गत वे पुनः नियोजित नहीं आयेंगे जो प्रतिकर या अशक्त पेंशन प्राप्त करते थे और ऐसे सैनिक पेंशनभोगी जो प्रतिकर या अशक्त पेंशन प्राप्त करते थे और जो राज्य सरकार के नियम बनाने के नियंत्रण के अधीन पुनः नियोजित है और विद्यामान वेतनमान में वेतन आहरित कर रहे हैं।

3. परिभाषाएं- इन नियमों में जब तक अन्यथा अपेक्षित न हो, -

 1. "मौजूदा मूल वेतन" से आशय उस वेतन से होगा जो निर्धारित मूल वेतनमान में आहरित किया जाता है परन्तु इसमें "विशेष वेतन", आदि जैसे किसी अन्य प्रकार का वेतन शामिल नहीं है। 

 2. शासकीय कर्मचारियों के संबंध में ''मौजूदा वेतनमान" से आशय उस वर्तमान वेतनमान से है जो शासकीय कर्मचारी द्वारा 1 जनवरी, 2006 को वास्तविक अथवा स्थानापन्न रूप से धारित पद (अथवा जैसा भी मामला हो, वैयक्तिक वेतनमान) पर लागू हो। 

स्पष्टीकरण- किसी सरकारी कर्मचारी के मामले में जो 1 जनवरी, 2006 को, विदेश में प्रतिनुियक्ति  अथवा अवकाश पर अथवा विदेश सेवा में था, या जिसने उस तारीख को उच्चतर पद पर स्थानापन्न रहते हुए भी एक या एक से अधिक निचले पदों पर कार्य किया था, "मौजूदा वेतनमान'' में किसी पद के लिए ग्राह्य वेतनमान, जो उसने राज्य के बाहर प्रतिनियक्ति अथवा छुट्टी अथवा किसी उच्चतर पद पर स्थानापन्न रहते हुए भी, विदेश सेवा में होते हुए अथवा, जैसा भी मामला हो, धारित किया होता, शामिल होगा।

 3. "मौजूदा परिलब्धियों" से आशय है -

(क) 31 मार्च, 2007 तक -

   (i) मौजूदा मूल वेतन, एवं

   (ii) मूल वेतन पर देय महंगाई भत्ता का योग। 

(ख) 1 अप्रैल, 2007 से

   (i) मौजूद मूल वेतन,

   (ii) मूल वेतन पर 50% महंगाई वेतन, एवं

   (iii) मूल वेतन तथा महंगाई वेतन पर, 20% की दर से महंगाई भत्ता का योग। 

 4. "प्रकल्पित परिलब्धियाँ" से आशय है मौजूदा मूल वेतन का 1.86 गुना। 

 5. "मौजूदा वेतनमान'' से आशय उस वेतनमान से है जिसका उल्लेख प्रथम अनुसूची के कालम (2) में किया गया है। 

 6. "वेतन बैंड में वेतन'' का तात्पर्य प्रथम अनुसूची के कालम (4) में दिये गये रनिंग वेतन बैंडों में आहरित वेतन। 

 7. "ग्रेड वेतन" मौजूदा वेतनमानों के अनुरूप पहली अनुसूची के कालम (5) में नियत देय राशि। 

 8. प्रथम अनुसूची के कालम (2) में उल्लेखित किसी भी वेतनमान के संबंध में "संशोधित वेतन ढांचे" का तात्पर्य उसके कालम (4) तथा (5) में निर्दिष्ट वेतन बैंड और ग्रेड वेतन से है।

 9. संशोधित वेतन ढांचे में "मूल वेतन" से आशय उस वेतन से होगा जो निर्धारित वेतन बैंड में वेतन तथा लागू ग्रेड वेतन के जोड़ कर आहरित किया जाता है, परन्तु इसमें विशेष वेतन आदि जैसा किसी अन्य प्रकार का वेतन शामिल नहीं है। 

 10. "संशोधित परिलब्धियों" का अर्थ संशोधित वेतनमान में शासकीय कर्मचारी के मूल वेतन से है। 

 11. "अनुसूची" का तात्पर्य इन नियमों के साथ संलग्न अनुसूची से है।

4. संशोधित वेतनमान- प्रथम अनुसूची को कालम (2) में उल्लेखित प्रत्येक वेतनमान के लिये यथा लागू वेतन बैंड तथा ग्रेड वेतन जिसका उल्लेख उसके कालम (4) तथा (5) के सामने किया गया है, संशोधित वेतनमान होंगे।

5. संशोधित वेतन ढांचे में वेतन का आहरण- प्रत्येक शासकीय कर्मचारी उसके नियुक्त पद पर लागू, संशोधित वेतन ढांचे में, अपना वेतन प्राप्त करेगा।

बशर्ते कि कोई शासकीय कर्मचारी मौजूदा वेतनमान में, उसकी अगली या किसी अनुवर्ती वेतनवृद्धि की तारीख तक, अथवा उस वेतनमान में वेतन आहरण करना छोड़ने तक, मौजूदा वेतनमान में वेतन प्राप्त करने का विकल्प चुन सकता है।

इसके अलावा यह भी शर्त है कि ऐसे मामलों में जहाँ शासकीय कर्मचारी को दिनांक 1 जनवरी, 2006 से पदोन्नति, वेतनमान के स्तरोन्नयन (क्रमोन्नति/समयमान वेतन) आदि के कारण बनाये गये इन नियमों की अधिसूचना के जारी होने की तारीख के बीच, उच्चतर वेतनमान में रखा गया है, वह सरकारी कर्मचारी ऐसी पदोन्नति, स्तरोन्नयन (क्रमोन्नति/समयमान वेतन) आदि की तारीख से संशोधित वेतन ढांचे का विकल्प चुन सकता है।

स्पष्टीकरण- (1) इस नियम के परन्तुक के अंतर्गत मौजूदा वेतनमान बहाल रखने का विकल्प केवल एक मौजूदा वेतनमान के मामले में देय होगा।

स्पष्टीकरण- (2) ऊपर दिया गया विकल्प 1 जनवरी, 2006 को अथवा उसके बाद किसी पद पर नियुक्त किसी भी व्यक्ति के लिये लागू नहीं होगा चाहे वह शासकीय सेवा में पहली बार आया हो अथवा दूसरे पद से स्थानांतरित होकर आया हो, उसे केवल संशोधित वेतन ढांचे में ही वेतन प्राप्त करने की अनुमति होगी।

स्पष्टीकरण- (3) जहाँ कोई शासकीय कर्मचारी मूलभूत नियम 22 या किसी अन्य नियम या पद के लिये लागू किसी अन्य नियम, के अंतर्गत वेतन नियमन के प्रयोजन के लिए नियमित आधार पर स्थानापन्न क्षमता पर धारित अपने किसी पद के संबंध में इस नियम के अंतर्गत मौजूदा वेतनमान को बहाल रखने का विकल्प चुनता है तो इस स्थिति में उसका वास्तविक वेतन वह मूल वेतन होगा जो मौजूदा वेतनमान के संबंध में धारित पद, जिस पर उसका धारणाधिकार रहता या निलंबित न किये जाने तक उसका धारणाधिकार बना रहता या स्थानापन्न पद का वह वेतन, इनमें से जो भी अधिक हो, होगा जो कि लागू होने के समय किसी भी आदेश के अनुरूप वास्तविक वेतन की तरह वह अर्जित करता।

6. विकल्प का चयन- (1) नियम 5 के उपबन्ध के अंतर्गत चयन का विकल्प, लिखित रूप में, उस फार्म पर देना होगा जो दूसरी अनुसूची के साथ संलग्न है और यह विकल्प उपनियम (2) में वर्णित अधिकारी के पास, इस नियम के प्रकाशित होने की तारीख के 3 माह के अंदर पहुँच जाने चाहिये अथवा जहाँ वर्तमान वेतनमान, निर्धारित तारीख के बाद संशोधित किया जाता है तो वहाँ इसका संशोधित नियम की तारीख के प्रकाशन के 3 माह बाद तक मान्य होगा। 

बशर्ते कि - 

(i) उस मामले में जब शासकीय कर्मचारी इस नियम या आदेश के प्रकाशित होने की तारीख में छुट्टी पर, या प्रतिनियुक्ति पर या विदेश सेवा अथवा सक्रिय सेवा में राज्य से बाहर हो, उपर्युक्त विकल्प संबंधित अधिकारी/कर्मचारी के राज्य में वापस आने, और यहाँ का पदभार संभालने की तारीख के, तीन माह के अंदर लिखित रूप में दे सकता है।

(ii) जहाँ कोई शासकीय कर्मचरी 1 जनवरी, 2006 को निलंबित हो तो ऐसे में उसके काम पर लौटने की तारीख जो इस नियम के प्रकाशित होने की तारीख के बाद की हो के बाद किसी कार्य दिवस पर, लौटने के तीन महीने के अन्दर, लिखित विकल्प दे सकता है।

(2) विकल्प की सूचना- शासकीय कर्मचारी द्वारा अपने कार्यालय प्रमुख को दी जायेगी।

(3) अगर शासकीय कर्मचारी का लिखित विकल्प उपनियम (1) के अनुसार निर्धारित तारीख के अन्दर प्राप्त नहीं होता तो यह मान लिया जाएगा कि उसने नये संशोधित वेतन ढांचे द्वारा शासित होने का चयन कर लिया है और उसे 1 जनवरी, 2006 से संशोधित वेतन ढांचे के अनुसार वेतन दिया जायेगा।

(4) एक बार दिया गया विकल्प अंतिम होगा। 

नोट 1. जिन लोगों की सेवा, 1 जनवरी, 2006 को या उसके बाद समाप्त कर दी गई, और जो स्वीकृत पदों की समाप्ति के कारण सेवामुक्त कर दिए जाने के कारण इस्तीफा, बर्खास्तगी अथवा सेवामुक्ति अथवा अनुशासनहीनता के कारणों से निर्धारित समय सीमा के अंदर चयन का विकल्प नहीं दे सके उन्हें भी इन नियम के लाभों का अधिकार होगा। 

नोट 2. जो लोग 1 जनवरी 2006 को या इसके बाद दिवंगत हो गए और इस कारण निर्धारित समय सीमा के अंदर संशोधित वेतन ढांचे के लिए चयन का विकल्प नहीं दे सके उनकी स्थिति में भी यह मान लिया जायेगा कि उन्होंने 1 जनवरी, 2006 से या उसके बाद की किसी भी तारीख से, जो उनके आश्रितों को लाभप्रद लगे, उन्होंने नये वेतनमान का चयन कर लिया है। अगर संशोधित वेतन ढांचे उनके हक में हैं तो बकाया राशि के भुगतान के लिए तत्संबंधी कार्यालय प्रमुख द्वारा इस संबंध में उचित कार्यवाही की जायेगी। 

नोट 3. ऐसे व्यक्ति जो 1 जनवरी, 2006 को अर्जित अवकाश अथवा किसी अन्य अवकाश, जो उन्हें छुट्टी का हकदार बनाता है, पर हैं, उन्हें छुट्टी की अवधि के लिए भी इस नियम का लाभ मिलेगा।

7. संशोधित वेतन ढांचे में प्रारम्भिक वेतन का निर्धारण- (1) कोई शासकीय कर्मचारी जिसने 1 जनवरी, 2006 को और उसी तारीख से संशोधित वेतन ढांचे द्वारा शासित होने के लिए नियम 6 के उपनियम (3) के तहत विकल्प चुन लिया है या उसके द्वारा इस प्रकार का विकल्प चुनना मान लिया गया है, के स्थाई पद - जिस पर वह धारणाधिकार रखता है या निलंबित होने की स्थिति में यह अधिकार, रखता होता, में वास्तविक वेतन के संबंध में जब तक कि राज्यपाल के विशेष नियम या निर्देश ना हों, उसका आरम्भिक वेतन अलग से निर्धारित किया जाएगा और उसके धारित पद में उसके वेतन निर्धारण के संबंध में निम्नलिखित तरीका अपनाया जायेगा।

(क) सभी कर्मचारियों के मामले में-

(i) वेतन बैंड/वेतनमान में वेतन का निर्धारण 1.1.2006 को यथाविद्यमान मौजूदा परिलब्धियों अथवा परिकल्पित परिलब्धियों इनमें जो भी अधिक हो, की राशि को 10 के अगले गुणक में पूर्णांकित करके किया जायेगा।

(ii) यदि संशोधित वेतन बैंड/वेतनमान का न्यूनतम उपर्युक्त (i) के अनुसार प्राप्त राशि से ज्यादा है तो वेतन संशोधित वेतन बैंड/वेतनमान के न्यूनतम पर निर्धारित किया जायेगा।

इसके अतिरिक्त यह भी शर्त है कि-

वेतन निर्धारण में, जहां कहीं शासकीय कर्मचारियों का वेतन, जो मौजूदा वेतनमान में, दो या अधिक संयोजी अवस्थाओं पर आहरित वेतन समूहबद्ध हो जाता है, अर्थात् अन्यथा कहें तो इसी अवस्था पर संशोधित वेतन ढांचे में वेतन बैंड में निर्धारित हो जाता है तो इस प्रकार से समूहबद्ध ऐसी प्रत्येक दो अवस्थाओं के लिए उन्हें एक वेतनवृद्धि का लाभ दिया जायेगा जिससे कि संशोधित रनिंग वेतन बैंडों में दो अवस्थाओं से अधिक बंचिंग से बचा जा सके। इस प्रयोजन के लिए वेतन वृद्धि बैंड में वेतन पर परिकलित की जाएगी। बंचिंग को कम करने के लिए वेतन वृद्धियां देते समय ग्रेड वेतन को ध्यान में नहीं रखा जायेगा।

उपर्युक्त ढंग से वेतन वर्धन से, यदि किसी शासकीय कर्मचारी का वेतन, संशोधित वेतन बैंड/वेतनमान (जहां लागू हो) की उस अवस्था पर निर्धारित हो जाता है जो कि अगली उच्च अवस्था अथवा अवस्थाओं वाले (वरिष्ठ) संशोधित वेतन बैंड वाले कर्मचारियों को प्राप्त हो रहा है, तब ऐसी स्थिति में, बाद वाले कर्मचारी का वेतन, उसी सीमा तक बढ़ाया जायेगा जितनी वह पिछले कर्मचारी के वेतन की तुलना में कम हो।

(iii) वेतन बैंड में वेतन निर्धारणः- वेतन बैंड में वेतन के अलावा मौजूदा वेतनमान के अनुरूप ग्रेड वेतन भी देय होगा। 

नोट- उपर्युक्त (iii) का उदाहरण इन नियमों के व्याख्यात्मक ज्ञापन में दिया गया है।

(ख) उन कर्मचारियों को, जो कि मौजूदा वेतनमान में वेतन के अलावा विशेष वेतन/भत्ता प्राप्त कर रहे हैं तथा जिनके लिए स्थानापन्न तौर पर किसी विशेष वेतन/भत्तों के बिना ही कोई वेतन बैंड ग्रेड वेतन दिया गया है, ऐसे कर्मचारियों का वेतन संशोधित वेतन ढांचे में ऊपर (क) के उपखण्ड में निहित प्रावधानों के अनुसार ही किया जावेगा।

टिप्पणी 1. यदि कोई शासकीय कर्मचारी जनवरी, 2006 की पहली तारीख को छुट्टी पर हो और वह छुट्टी का वेतन लेने का हकदार हो तो वह 1 जनवरी, 2006 से या संशोधित वेतन ढांचे में विकल्प देने की तारीख से संशोधित वेतन ढांचे में वेतन लेने का हकदार होगा। इसी प्रकार यदि कोई शासकीय कर्मचारी जनवरी, 2006 की पहली तारीख को अध्ययनार्थ छुट्टी पर हो तो वह 1 जनवरी, 2006 अथवा विकल्प की तारीख से इन नियमों के तहत लाभ प्राप्त करने का हकदार होगा।

टिप्पणी 2. निलंबित शासकीय कर्मचारी, मौजूदा वेतनमान के आधार पर निर्वाह भत्ता प्राप्त करता रहेगा तथा संशोधित वेतन ढांचे में उसका वेतन लंबित अनुशासनात्मक कार्यवाही पर अंतिम निर्णय लिये जाने के बाद, अनुशासनिक कार्यवाही पर दिये आदेश अनुसार होगा।

टिप्पणी 3. जब कोई शासकीय कर्मचारी किसी स्थाई पद पर हो तथा नियमित आधार पर किसी उच्च पद पर स्थानापन्न रूप में कार्यरत हो तथा दोनों पदों पर लागू वेतनमानों का एक में विलय कर दिया गया हो ऐसे में वेतन का निर्धारण इस उपनियम के अधीन स्थानापन्न पद के संदर्भ में किया जायेगा तथा इस प्रकार से निर्धारित किया गया वेतन ही स्थाई वेतन माना जायेगा।

इस नोट के प्रावधान, आवश्यक परिवर्तनों सहित, उन शासकीय कर्मचारियों पर भी लागू होंगे जो कि विभिन्न मौजूदा वेतनमानों के स्थान पर एक संशोधित वेतन संरचना वाले स्थानापन्न पद पर कार्यरत हैं।

टिप्पणी 4. यदि किसी शासकीय कर्मचारी की मौजूदा परिलब्धियाँ "संशोधित परिलब्धियों" से अधिक हो जाती हैं तो उस अन्तर को, व्यक्तिगत वेतन के रूप में दर्शाया जावेगा तथा भविष्य में देय वेतन वृद्धियों में समाहित किया जावेगा।

टिप्पणी 5. जहाँ उपनियम (1) के अधीन वेतन निर्धारण में, कोई कर्मचारी मौजूदा वेतनमान में 1 जनवरी, 2006 के तुरन्त पहले, समान केडर के किसी कनिष्ठ कर्मचारी की तुलना में अधिक वेतन प्राप्त कर रहा था और संशोधित वेतन बैंड में उसका वेतन एक ऐसी अवस्था पर निर्धारित हो जाता है जो कि उसके कनिष्ठ से कम हो, तब ऐसी स्थिति में उसका वेतन संशोधित वेतन बैंड में उसी अवस्था तक बढ़ा दिया जाएगा जिस अवस्था पर वह कनिष्ठ कर्मचारी हो।

टिप्पणी 6. जहाँ कोई शासकीय कर्मचारी 1 जनवरी, 2006 को व्यक्तिगत वेतन प्राप्त कर रहा हो और जो उसकी मौजूदा परिलब्धिया से जुड़ने पर संशोधित परिलब्धियों से अधिक हो जाती है, तो उस अन्तर को, वेतन में होने वाली भावी वृद्धियों में, उस शासकीय कर्मचारी के व्यक्तिगत वेतन के रूप में समाहित करने की अनुमति होगी। 

टिप्पणी 7. ऐसे मामलों में, जहाँ किसी वरिष्ठ शासकीय कर्मचारी की, 1 जनवरी, 2006 के पहले किसी उच्चतर पद पर पदोन्नति हो जाती है तथा वह उस कनिष्ठ कर्मचारी से संशोधित वेतन संरचना में, कम वेतन प्राप्त कर रहा है जो उसके बाद उच्च पद पर पदोन्नति किया गया है, तब ऐसी स्थिति में वरिष्ठ शासकीय कर्मचारी का वेतन, उसके कनिष्ठ कर्मचारी के उच्च पद पर दिये जा रहे वेतन बैंड में, वेतन के बराबर, कर दिया जावेगा। यह वृद्धि कनिष्ठ शासकीय कर्मचारी की पदोन्नति की तिथि से की जायेगी तथा वह निम्नलिखित शर्तों की पूर्ति के अधीन होगी, अर्थात् -

(क) कनिष्ठ तथा वरिष्ठ शासकीय कर्मचारियों का एक ही केडर का होना चाहिए तथा जिस पद पर वे पदोन्नत हुए हैं वह केडर में समान पद होने चाहिए।

(ख) निम्नतर तथा उच्चतर पदों के पूर्व-संशोधित वेतनमान तथा संशोधित ग्रेड वेतन जिनमें वे वेतन पाने के हकदार हैं, समान होने चाहिए।

(ग) वरिष्ठ शासकीय कर्मचारी पदोन्नति के समय, कनिष्ठ कर्मचारी के बराबर या उसके अधिक वेतन प्राप्त कर रहा हो।

(घ) विसंगति सीधे तौर पर मूलभूत नियम 22 के प्रावधानों के उपयोग के कारण अथवा किसी संशोधित वेतन संरचना में इस प्रकार की पदोन्नति में वेतन निर्धारण को नियंत्रित करने वाले अन्य किसी नियम या आदेशों के कारण होनी चाहिए। यदि कनिष्ठ पद पर कोई भी कनिष्ठ अधिकारी संशोधन पूर्व वेतनमान के अनुसार वरिष्ठ अधिकारी की तुलना में, अग्रिम वेतन वृद्धि दिये जाने के कारण, अधिक वेतन प्राप्त करता रहा है तो वरिष्ठ अधिकारी के वेतन को बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है।

(2) नियम 5 के प्रावधानों के अधीन उपनियम (1) के तहत यदि स्थानापन्न पद पर नियत किया गया वेतन, स्थायी पद में नियत किये गये वेतन से कम है तो पूर्व को स्थायी वेतन के अगले चरण से  ऊपर नियत किया जायेगा।

8. संशोधित वेतन ढांचे में वेतन वृद्धि- संशोधित वेतन ढांचे में वेतन वृद्धि की दर वेतन बैंड में वेतन और लागू ग्रेड वेतन के जोड़ का 3 प्रतिशत होगी, जिसे 10 के अगले गुणक में पूर्णांकित किया जायेगा। वेतन वृद्धि की राशि, वेतन बैंड में मौजूदा वेतन में जोड़ी जायेगी। इस संबंध में उदाहरण 2 इन नियमों के व्याख्यात्मक ज्ञापन में दिया गया है।

9. संशोधित वेतन ढांचे में अगली वेतन वृद्धि की तारीख - वार्षिक वेतन वृद्धि की तारीख एक समान अर्थात् प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई होगी। 1 जुलाई को संशोधित वेतन ढांचे में 6 माह और अधिक पूरा करने वाले कर्मचारी, वेतन वृद्धि प्राप्त करने के पात्र होंगे। संशोधित वेतन संरचना में 1 जनवरी, 2006 को संशोधित वेतन ढांचे में निर्धारण के पश्चात्, पहली वेतन वृद्धि 1 जुलाई, 2006 को उन कर्मचारियों को प्रदान की जायेगी, जिनकी अगली वेतन वृद्धि की तारीख 1 जुलाई, 2006 और 31 दिसम्बर, 2006 के बीच होगी। 

बशर्ते कि उन कर्मचारियों के मामले में संशोधित वेतन ढांचे में अगली वेतन वृद्धि जनवरी, 2006 को देने की अनुमति होगी, जो 1 जनवरी, 2006 को एक वर्ष से अधिक समय से मौजूदा वेतनमान का अधिकतम वेतन ले रहे थे। उसके बाद उन पर नियम 9 की शर्त लागू होगी। 

बशर्ते कि उन मामलों में जब कोई कर्मचारी अपने वेतन बैंड के अधिकतम स्तर पर पहुँच जाएगा तो उसे अधिकतम स्तर पर पहुँचने के एक वर्ष बाद अगले उच्चतर वेतन बैंड में डाल दिया जायेगा। उच्चतर वेतन बैंड में स्थापन के समय एक वेतन वृद्धि का लाभ दिया जायेगा। उसके पश्चात् वह उच्चतर वेतन बैंड में तब तक रहेगा जब तक वेतन बैंड में उसका वेतन पीबी 4 के अधिकतम तक नहीं पहुँच जाता और उसके पश्चात् उसे और कोई वेतन वृद्धि नहीं दी जायेगी।

नोट- ऐसे मामलों में, जहाँ दो मौजूदा वेतनमानों में से एक को, पदोन्नति वेतनमान होने के कारण मिला दिया गया हो और अब कनिष्ठ शासकीय कर्मचारी अपना वेतन, निचले वेतनमान में समान अथवा नीचे के स्तर पर पा रहा हो तथा संशोधित वेतन संरचना में वेतन बैंड में वह मौजूदा उच्चतर वेतनमान में कार्यरत वरिष्ठ सरकारी कर्मचारी के वेतन से अधिक वेतन ले रहा हो तो वरिष्ठ शासकीय कर्मचारी का वेतन, वेतन बैंड में उसी तारीख से उक्त कनिष्ठ कर्मचारी के वेतन के बराबर कर दिया जायेगा । और इस प्रकार वह अपनी अगली वेतन वृद्धि नियम-9 के अनुसार प्राप्त करेगा।

10. 1 जनवरी, 2006 के बाद संशोधित वेतन ढांचे में वेतन का निर्धारण- जहाँ कोई शासकीय कर्मचारी मौजूदा वेतनमान में अपना वेतन लेना जारी रखता है और उसे 1 जनवरी, 2006 के बाद की तारीख से संशोधित वेतन ढांचे में लाया जाता है, तो संशोधित वेतन संरचना में बाद की तारीख से उसका वेतन, निर्धारण कंडिका 7 के अनुसार किया जायेगा। 

11. 1 जनवरी, 2006 के बाद पुनर्नियुक्त होने पर उस तारीख से पहले धारित पद पर वेतन का निर्धारण- वह शासकीय कर्मचारी का जो 1 जनवरी, 2006 से पहले किसी पद पर स्थानापन्न रहा हो परन्तु उस तारीख को उस पद पर न रहा हो, जो बाद में उस पद पर नियुक्त होने पर संशोधित वेतन ढांचे में वेतन ले रहा हो तो उसे मूलभूत नियम 22 के परन्तुक का लाभ उसी स्थिति में दिया जाएगा कि क्या 1 जनवरी, 2006 को वह उस पद पर था और उसने उस तारीख को तथा उस तारीख से संशोधित वेतन ढांचे में रहने का विकल्प दिया था।

12. 1 जनवरी, 2006 को या उसके बाद पदोन्नति पर वेतन निर्धारण- संशोधित वेतन ढांचे में एक ग्रेड से दूसरे ग्रेड में पदोन्नति की स्थिति में वेतन निर्धारण के लिए वेतन बैंड में वेतन तथा ग्रेड पे की राशि के योग 3 प्रतिशत के बराबर एक वेतनवृद्धि जोड़ी जायेगी और इसे 10 के अगले गुणक में पूर्णांकित किया जायेगा। इस राशि को मौजूदा वेतन में जोड़कर पे बैंड में वेतन का निर्धारण होगा तथा पदोन्नत पद का वेतन पर ग्रेड पे देय होगी। जहाँ पदोन्नति में वेतन बैंड में तब्दीली भी जरूरी हो ऐसी स्थिति में इसी पद्धति का पालन किया जाएगा तथापि वेतन वृद्धि जोड़ने के बाद भी जहाँ वेतन बैंड में वेतन पदोन्नति वाले पद के उच्च वेतन बैंड के न्यूनतम से कम होगा तो इस वेतन को उक्त वेतन बैंड में न्यूनतम के बराबर बढ़ा दिया जाएगा।

13. वेतन-बकायों के भुगतान की विधि- इन नियमों के अधीन वेतन नियतन के परिणामस्वरूप दिनांक 1 जनवरी, 2006 से 31 अगस्त, 2008 तक की बकाया राशि के भुगतान के संबंध में निर्देश पृथक् से जारी किये जायेंगे।

14. नियमों का अध्यारोही प्रभाव- उन मामलों में जहाँ वेतन इन नियमों द्वारा विनियमित होता है, वहां मूल नियम तथा किन्हीं अन्य नियमों के उपबन्ध, उस सीमा तक लागू नहीं होंगे, जहाँ तक कि वे इन नियमों से असंगत हों।

15. शिथिल करने की शक्ति- राज्य सरकार, शासकीय सेवकों के या शासकीय सेवकों के प्रवर्ग के मामले में इन नियमों के उपबन्धों में से किसी भी उपबन्ध का प्रवर्तन ऐसी रीति में और ऐसी सीमा तक शिथिल या निलंबित कर सकेगी जैसा कि उसे लोकहित में न्यायसंगत और साम्यापूर्ण या आवश्यक या समीचीन प्रतीत हो :

परन्तु ऐसा शिथिलीकरण या निलंबन, जो यथास्थिति किसी शासकीय सेवक या शासकीय सेवकों के किसी प्रवर्ग के लिए, अलाभप्रद हो, प्रवर्तित नहीं किया जाएगा।

16. निर्वचन- यदि इन नियमों के निर्वचन के संबंध में कोई प्रश्न उद्भूत हो तो वह राज्य सरकार के वित्त विभाग को निर्दिष्ट किया जायेगा, जिसका उस पर विनिश्चय अंतिम होगा।

मध्यप्रदेश के राज्यपाल के नाम से 

तथा आदेशानुसार,

हस्ता ./

(प्रभाकर बसोड़)

सचिव