शास्तिक कटौतियां [Penal deductions]
Updated: Jan, 30 2021
अध्याय 8
शास्तिक कटौतियां
90. आफ़िसरों के वेतन और भत्तों में से कटौतियां - किसी भी आफिसर के वेतन और भत्तों में से निम्नलिखित शास्तिक कटौतियां की जा सकेंगी, अर्थात् :
(क) उस हर दिन के लिए, जिस दिन वह छुट्टी के बिना अनुपस्थित रहता है आफिसर को शोध्य सभी वेतन और भत्ते तब के सिवाय जब कि उसके कमान आफिसर को समाधानप्रद स्पष्टीकरण दे दिया गया है और केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है,
(ख) ऐसे हर दिन के सभी वेतन और भत्ते जब वह किसी ऐसे अपराध के आरोप पर अभिरक्षाधीन या कर्तव्य से विलम्बित रहा है जिस अपराध के लिए वह तत्पश्चात् किसी दण्ड न्यायालय या सेना न्यायालय द्वारा या किसी ऐसे आफिसर द्वारा जो धारा 83 या धारा 84 के अधीन प्राधिकार का प्रयोग कर रहा है दोषसिद्ध किया जाता है,
(ग) इस अधिनियम के अध्यधीन के किसी व्यक्ति के उस वेतन की जो उसने विधिविरुद्ध रूप से प्रतिधृत कर रखा है या जिसे देने से उसने विधिविरुद्ध रूप से इन्कार कर दिया है, प्रतिपूर्ति के लिए अपेक्षित कोई राशि,
(घ) किसी अपराध के किए जाने से हुए किन्हीं व्ययों, हानि, नुकसान या नाश के लिए ऐसे प्रतिकर की, जो उस सेना - न्यायालय द्वारा जिसके द्वारा वह ऐसे अपराध के लिए सिद्धदोष ठरराया जाता है, या किसी ऐसे आफिसर द्वारा, जो धारा 83 या धारा 84 के अधीन प्राधिकार का प्रयोग कर रहा है अवधारित किया जाए, प्रतिपूर्ति के लिए अपेक्षित कोई राशि,
(ङ) वे सब वेतन और भत्ते जिनके समपहरण या रोक दिए जाने का आदेश किसी सेना - न्यायालय द्वारा दिया गया हो,
(च) किसी दण्ड न्यायालय द्वारा या किसी ऐसे सेना - न्यायालय द्वारा जो धारा 69 के अधीन अधिकारिता का प्रयोग कर रहा है अधिनिर्णीत जुर्माने के संदाय के लिए अपेक्षित कोई राशि,
(छ) लोक - सम्पत्ति या रेजिमेन्ट - सम्पत्ति की किसी ऐसी हानि, नुकसान या नाश की जिसकी बाबत केन्द्रीय सरकार को सम्यक् अन्वेषण के पश्चात् यह प्रतीत होता है कि वह उस आफिसर के सदोष कार्य से या उपेक्षा से घटित हुआ है, प्रतिपूर्ति के लिए अपेक्षित कोई राशि,
(ज) केन्द्रीय - सरकार के आदेश से समपहृत सब वेतन और भत्ते, यदि [थल सेनाध्यक्ष] द्वारा उस निमित्त गठित जांच अधिकरण का यह निष्कर्ष हो कि वह आफिसर शत्रु से जा मिला था या जब वह शत्रु के हाथ में था तब उसने शत्रु की ओर से या शत्रु के आदेशों के अधीन सेवा की थी या उसने किसी रीति में शत्रु की सहायता की थी या सम्यक् पूर्वावधानी न बरत कर या आदेशों की अवज्ञा या कर्तव्य की जानबूझकर उपेक्षा करने द्वारा उसने स्वयं को शत्रु द्वारा कैदी बना लिया जाने दिया था या शत्रु द्वारा कैदी बना लिए जाने पर तब जब उसके लिए अपनी सेवा पर वापस आ जाना सम्भव था, वह ऐसा करने में असफल रहा था,
(झ) केन्द्रीय सरकार या किसी विहित आफिसर के आदेश द्वारा उसकी पत्नी या उसकी धर्मज या अर्धमज सन्तान के भरण - पोषण के लिए दिए जाने के लिए या उक्त सरकार द्वारा उक्त पत्नी या सन्तान को दी गई सहायता के खर्चे के निमित्त दिए जाने के लिए अपेक्षित कोई राशि।
91. आफ़िसरों से भिन्न व्यक्तियों के वेतन और भत्तों में से कटौतियां - धारा 94 के उपबन्धों के अध्यधीन यह है कि आफिसर से भिन्न इस अधिनियम के अध्यधीन किसी भी व्यक्ति के वेतन और भत्तों में से निम्नलिखित शास्तिक कटौतियां की जा सकेंगी, अर्थात् :
(क) अभित्यन पर या छुट्टी बिना या युद्ध कैदी होने के कारण अनुपस्थिति के हर दिन के लिए और किसी भी दंड न्यायालय, सेना - न्यायालय या किसी ऐसे आफिसर द्वारा जो धारा 80 के अधीन प्राधिकार का प्रयोग कर रहा है अधिनिर्णीत निर्वासन या कारावास के हर दिन के लिए सब वेतन और भत्ते,
(ख) हर ऐसे दिन के सब वेतन और भत्ते जब कि वह किसी ऐसे अपराध के आरोप पर जिसके लिए वह तत्पश्चात् किसी दंड - न्यायालय द्वारा या सेना - न्यायालय द्वारा सिद्धदोष ठहराया जाता है या छुट्टी बिना ऐसी अनुपस्थिति के आरोप पर जिसके लिए तत्पश्चात् उसे किसी ऐसे आफिसर द्वारा जो धारा 80 के अधीन प्राधिकार का प्रयोग कर रहा है कारावास अधिनिीत किया जाता है, अभिरक्षा में रहा है,
(ग) हर ऐसे दिन के सब वेतन और भत्ते जब वह ऐसी रुग्णता के कारण अस्पताल में रहा है जिसकी बाबत उसकी परिचर्या करने वाले चिकित्सा आफिसर द्वारा यह प्रमाण दिया गया है कि वह उसके द्वारा किए गए इस अधिनियम के अधीन के किसी अपराध से कारित हुई है,
(घ) हर ऐसे दिन के लिए, जब वह ऐसी रुग्णता के कारण अस्पताल में रहा है जिसकी बाबत उसकी परिचर्या करने वाले चिकित्सा आफिसर द्वारा यह प्रमाणपत्र दिया गया है कि वह उसके अपने अवचार या प्रज्ञाहीनता से कारित हुई है, उतनी राशि जितनी केन्द्रीय सरकार के या ऐसे आफिसर के, जो उस सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाए, आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट की जाए,
(ङ) वे सब वेतन और सब भत्ते जिनके समपहरण या रोक दिए जाने का आदेश किसी सेवा - न्यायालय या किसी ऐसे आफिसर द्वारा जो धाराओं 80, 83, 84 और 85 में से किसी के अधीन प्राधिकार का प्रयोग कर रहा है, दिया गया है,
(च) शत्रु से उसका उद्धार किए जाने के और सेवा से उसकी ऐसी पदच्युति के, जो शत्रु द्वारा उसके कैदी बनाए जाने के समय के या शत्रु के हाथ में उसके रहने के दौरान के उसके आचरण के परिणामस्वरूप हुई है बीच के हर दिन के सब वेतन और भत्ते,
(छ) केन्द्रीय सरकार को या किसी निर्माण या सम्पत्ति को उसके द्वारा कारित व्ययों, हानि, नुकसान या नाश के लिए ऐसे प्रतिकर की जो उसके कमान आफिसर द्वारा अधिनिर्णीत की जाए, प्रतिपूर्ति के लिए अपेक्षित कोई राशि,
(ज) किसी दण्ड - न्यायालय द्वारा या किसी ऐसे सेना - न्यायालय द्वारा या जो धारा 69 के अधीन अधिकारिता का प्रयोग कर रहा है सेना - न्यायालय द्वारा या किसी ऐसे आफिसर द्वारा जो धारा 80 और 89 में से किसी के अधीन प्राधिकार का प्रयोग कर रहा है अधिनिर्णीत जुर्माने के संदाय के लिए अपेक्षित कोई राशि,
(झ) केन्द्रीय सरकार के या किसी विहित आफिसर के आदेश द्वारा उसकी पत्नी या उसकी धर्मज या अधर्मज सन्तान के भरण - पोषण के लिए दिए जाने के लिए या उक्त सरकार द्वारा उक्त पत्नी या सन्तान को दी गई सहायता के खर्चे के निमित्त दिए जाने के लिए अपेक्षित कोई राशि।
92. अनुपस्थिति या अभिरक्षा के समय की संगणना - धारा 91 के खण्ड (क) और (ख) के प्रयोजनों के लिए
(क) किसी भी व्यक्ति को एक दिन के लिए अनुपस्थित या अभिरक्षा में तब तक नहीं माना जाएगा जब तक कि अनुपस्थिति या अक्षिरक्षा, चाहे पूर्णतः एक दिन में या भागतः एक दिन में और भागतः किसी अन्य दिन में, लगातार छह या अधिक घंटों तक न रही हो,
(ख) एक दिन से कम की अनुपस्थिति या अभिरक्षा को एक दिन की अनुपस्थिति या अभिरक्षा गिना जा सकेगा यदि ऐसी अनुपस्थिति या अभिरक्षा ने उस अनुपस्थित व्यक्ति को किसी ऐसे सैनिक कर्तव्य की पूर्ति करने से निवारित किया है जो उस कारण किसी अन्य व्यक्ति पर डाला गया है,
(ग) लगातार बारह या अधिक घंटों की अनुपस्थिति या अभिरक्षा को उस हर एक पूरे दिन की अनुपस्थिति या अभिरक्षा गिना जा सकेगा जिसके किसी प्रभाग के दौरान वह व्यक्ति अनुपस्थित था या अभिरक्षा में रहा था,
(घ) अनुपस्थिति या कारावास की कालावधि को जो मध्य रात्रि के पूर्व प्रारम्भ और पश्चात् समाप्त हो एक दिन गिना जा सकेगा।
93. विचारण के दौरान वेतन और भत्ते - इस अधिनियम के अध्यधीन के किसी ऐसे व्यक्ति की दशा में, जो किसी अपराध के आरोप पर अभिरक्षा में है या कर्तव्य से निलम्बित है विहित आफिसर निदेश दे सकेगा कि, धारा 90 और 91 के खण्ड (ख) के उपबन्धों को क्रियान्वित करने के लिए, ऐसे व्यक्ति के पूरे वेतन और भत्ते या उनका कोई भाग उस आरोप के जो उसके विरुद्ध है, विचारण का परिणाम लम्बित रहने तक विधारित रखे जाएं।
94. कतिपय कटौतियों की परिसीमा - किसी व्यक्ति के वेतन और भत्तों में से धारा 91 के खण्डों (ङ) और (छ) से (झ) तक के अधीन की गई कुल कटौतियां तब के सिवाय जब कि वह पदच्युति से दण्डादिष्ट किया गया हो, किसी एक मास में उसके उस मास के वेतन और भत्तों के आधे से अधिक नहीं होगी।
95. किसी व्यक्ति को शोध्य लोक-धन में से कटौती - किसी व्यक्ति के वेतन और भत्तों में से काटी जाने के लिए इस अधिनियम द्वारा प्राधिकृत कोई राशि, उसे वसूल करने के किसी अन्य ढंग पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना पेंशन से भिन्न किसी ऐसे लोक-धन में से काटी जा सकेगी जो उसे शोध्य है।
96. युद्ध कैदी के आचरण की जांच के दौरान उसके वेतन और भत्ते - जहां कि इस अधिनियम के अध्यधीन के किसी व्यक्ति के उस समय के आचरण की जांच, जब कि वह शत्रु द्वारा कैदी बनाया जा रहा था या जबकि वह शत्रु के हाथों में था, इस अधिनियम या किसी अन्य विधि के अधीन की जानी है वहां थल सेनाध्यक्ष या उसके द्वारा प्राधिकृत कोई आफिसर आदेश दे सकेगा कि ऐसे व्यक्ति के पूरे वेतन और भत्ते या उनका कोई भाग उस जांच का परिणाम लम्बित रहने तक विधारित रखे जाएं।
97. कटौतियों का परिहार - वेतन और भत्तों में से इस अधिनियम द्वारा प्राधिकृत किसी कटौती का परिहार ऐसी रीति से और इतने विस्तार तक तथा ऐसे प्राधिकारी द्वारा किया जा सकेगा जो समय - समय पर विहित किया जाए।
98. परिहारित कटौतियों में से युद्ध कैदी के आश्रितों के लिए उपबन्ध - इस अधिनियम के अध्यधीन के उन सब व्यक्तियों की दशा में, जो ऐसे युद्ध कैदी हैं जिनके वेतन और भत्ते धारा 90 के खण्ड (ज) या धारा 91 खण्ड (क) के अधीन समपहृत किए गए हैं किन्तु जिनकी बाबत धारा 97 के अधीन कोई परिहार किया गया है, यह विधिपूर्ण होगा कि विहित प्राधिकारियों द्वारा ऐसे व्यक्तियों के किन्हीं आश्रितों के लिए उचित उपबन्ध ऐसे वेतन और भत्तों से किया जाए और उस दशा में वह परिहार ऐसे वेतन और भत्तों में से ऐसा करने के पश्चात् जो कुछ बाकी बचे उतने को ही लागू समझा जाएगा।
99. युद्ध कैदी के वेतन और भत्तों में से उसके आश्रितों के लिए उपबन्ध - यह विधिपूर्ण होगा कि इस अधिनियम के अध्यधीन का जो कोई व्यक्ति युद्ध कैदी है या लापता है, उसके किन्हीं आश्रितों के लिए उचित उपबन्ध विहित प्राधिकारियों द्वारा उसके वेतन और भत्तों में से किया जाए।
100. वह कालावधि जिसके दौरान कोई व्यक्ति युद्ध कैदी समझा जाता है - किसी व्यक्ति की बाबत धाराओं 98 और 99 के प्रयोजनों के लिए यह समझा जाएगा कि जब तक उसके आचरण की ऐसी जांच जैसी धारा 96 में निर्दिष्ट है, समाप्त नहीं हो जाती तब तक और यदि वह ऐसे आचरण के परिणामस्वरूप सकलंक पदच्युत किया जाता है या सेवा से पदच्युत किया जाता है तो ऐसे सकलंक पच्युत किया जाने की या पदच्युत किए जाने की तारीख तक युद्ध कैदी बना रहा है।