दण्ड [Punishments]
Updated: Jan, 30 2021
अध्याय 7
दण्ड
71. सेना-न्यायालयों द्वारा अधिनिर्णेय दण्ड - इस अधिनियम के अध्यधीन के व्यक्तियों द्वारा, जो सेना-न्यायालयों द्वारा सिद्धदोष ठहराए गए हैं, किए गए अपरोधों के बारे में दण्ड निम्नलिखित मापमान के अनुसार दिए जा सकेंगे, अर्थात्:
(क) मृत्यु;
(ख) आजीवन या सात वर्ष से अन्यून की किसी कालावधि के लिए निर्वासन;
(ग) चौदह वर्ष से अनधिक की किसी कालावधि के लिए, कठिन या सादा कारावास,
(घ) आफिसरों की दशा में सकलंक पदच्युत किया जाना;
(ङ) सेना से पदच्युति;
(च) वारण्ट आफिसरों की दशा में, सामान्य सैनिकों में या निम्नतर रैंक या श्रेणी में या उनके रैंक की सूची में के किसी निम्नतर स्थान पर अवनत कर देना, और अनायुक्त आफिसरों की दशा में सामान्य सैनिकों में या किसी निम्नतर रैंक या श्रेणी में अवनत कर देना;
परन्तु सामान्य सैनिकों में अवनत किए गए वारण्ट आफिसर से सामान्य सैनिकों में सिपाही के रूप में सेवा करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी;
(छ) आफिसरों, कनिष्ठ आयुक्त आफिसरों, वारण्ट आफिसरों और अनायुक्त आफिसरों की दशा में, रैंक में की ज्येष्ठता का समपहरण, तथा उनमें से किसी ऐसे की दशा में जिसकी प्रोन्नति सेवाकाल की लम्बाई पर निर्भर है उसके सेवाकाल का इसलिए पूर्णतः या भागतः समपहरण कि वह प्रोन्नति के प्रयोजन के लिए न गिनी जाए:
(ज) सेवाकाल का इसलिए समपहरण कि वह वेतन वृद्धि, पेंशन या किसी अन्य विहित प्रयोजन के लिए न गिना जाए;
(झ) आफिसरों, कनिष्ठ आयुक्त आफिसरों, वारण्ट आफिसरों और अनायुक्त आफिसरों, की दशा में तीव्र-धिग्दण्ड या धिग्दण्ड;
(ञ) सक्रिय सेवा के दौरान किए गए किसी अपराध के लिए तीन मास से अनधिक की कालावधि के लिए वेतन और भत्तों का समहपरण;
(ट) सकलंक पदच्युत किए जाने से या सेवा से पदच्युति से दण्डित व्यक्ति की दशा में वेतन और भत्तों के उन सब बकायों और अन्य लोक धन का समपहरण, जो ऐसे सकलंक पदच्युत किए जाने के या ऐसी पदच्युति के समय उसको शोध्य हों;
(ठ) वेतन और भत्तों का तब तक के लिए रोक दिया जाना जब तक उस साबित हुई हानि या नुकसान की प्रतिपूर्ति न हो जाए जो उस अपराध के कारण हुआ है जिसका वह सिद्धदोष ठहराया गया है।
72. सेना-न्यायालय द्वारा अधिनिर्णेय आनुकल्पिक दण्ड - इस अधिनियम के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए यह है कि सेना-न्यायालय इस अधिनियम के अध्यधीन के उस व्यक्ति को, धाराओं 34 से 68 तक में, जिनके अन्तर्गत ये दोनों धाराएं भी आती हैं, विनिर्दिष्ट अपराधों में से किसी का सिद्धदोष ठहराने पर, या तो वह विशिष्ट दण्ड जिससे उक्त धाराओं में वह अपराध दण्डनीय कथित है, या उसके बदले में धारा 71 में दिए गए मापमान में के दण्डों में से कोई निम्नतर दण्ड अपराध की प्रकृति और मात्रा को ध्यान में रखते हुए, अधिनिर्णीत कर सकेगा।
73. दण्डों का संयोजन - सेना-न्यायालय का दण्डादेश, किसी एक अन्य दण्ड के अतिरिक्त या बिना, धारा 71 के खण्ड (घ) या खण्ड (ङ) में विनिर्दिष्ट दण्ड, और उस धारा के खण्ड (च) से (ठ) तक में विनिर्दिष्ट दण्डों में से कोई एक या अधिक दण्ड अधिनिर्णीत कर सकेगा।
74. आफिसरों का सकलंक पदच्युत किया जाना - किसी आफिसर को धारा 71 के खण्ड (क) से (ग) तक में विनिर्दिष्ट दण्डों में से कोई दण्ड अधिनिर्णीत किए जाने के पहले सकलंक पदच्युत किए जाने का दण्डादेश दिया जाएगा।
75. [फील्ड दण्ड] -1992 के अधिनियम सं० 37 की धारा 2 द्वारा निरसित ।]
76. [दण्डों के मापमान में फील्ड दण्ड की स्थिति ।] -1992 के अधिनियम सं० 37 की धारा 2 द्वारा निरसित ।]
77. वारण्ट आफिसर या अनायुक्त आफिसर की दशा में कतिपय दण्डों का परिणाम - ऐसा वारण्ट आफिसर या अनायुक्त आफिसर जिसे सेना-न्यायालय द्वारा निर्वासन, कारावास, या सेवा से पदच्युति का दण्डादेश दिया गया है, सामान्य सैनिकों में अवनत कर दिया गया समझा जाएगा।
78. सक्रिय सेवा पर दोषसिद्ध किए गए व्यक्ति का सामान्य सैनिकों में प्रतिधारण - जब कि किसी अभ्यावेशित व्यक्ति को उस समय के दौरान जब कि वह सक्रिय सेवा पर है, सेना-न्यायालय द्वारा पदच्युति का या पदच्युति सहित या रहित निर्वासन या कारावास का दण्डादेश दिया गया हो, तब विहित आफिसर निदेश दे सकेगा कि ऐसे व्यक्ति को सामान्य सैनिकों में सेवा करने के लिए प्रतिधृत रखा जाए और ऐसी सेवा उसकी निर्वासन या कारावास की, यदि कोई हो, अवधि के भाग के रूप में गिनी जाएगी।
79. सेना-न्यायालय द्वारा दण्डित किए जाने से अन्यथा दण्डित किया जाना - इस अधिनियम के अध्यधीन के व्यक्तियों द्वारा किए गए अपराधों के बारे में दण्ड, सेना-न्यायालय के मध्यक्षेप के बिना और धाराओं 80, 83, 84 और 85 में कथित रीति से भी दिए जा सकेंगे।
80. आफिसरों, कनिष्ठ आयुक्त आफिसरों और वारण्ट आफिसरों से भिन्न व्यक्तियों का दण्डित किया जाना - धारा 81 के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए यह है कि कमान आफिसर या ऐसा अन्य आफिसर, जिसे थल सेनाध्यक्ष ने केन्द्रीय सरकार की सम्मति से, विनिर्दिष्ट किया हो, इस अधिनियम के अध्यधीन व्यक्ति के विरुद्ध जो आफिसर, कनिष्ठ आयुक्त आफिसर या वारण्ट आफिसर के रूप से अन्यथा जिस पर इस अधिनियम के किसी अपराध का आरोप है, विहित रीति से कार्यवाही कर सकेगा और ऐसे व्यक्ति को निम्नलिखित दण्डों में से एक या अधिक दण्ड विहित विस्तार तक अधिनिर्णीत कर सकेगा, अर्थात् :
(क) सैनिक अभिरक्षा के अट्ठाईस दिन तक का कारावास;
(ख) अट्ठाईस दिन तक का निरोध;
(ग) अट्ठाईस दिन तक का लाइन्स में परिरोध;
(घ) अतिरिक्त पहरा या ड्यूटी;
(ङ) नियुक्तिसम पद से या कोर वेतन से या कर्मिक वेतन से वंचित करना और अनायुक्त आफिसरों की दशा में कार्यकारी रैंक से वंचित करना या वेतन की निम्नतर श्रेणी में अवनत भी करना;
(च) सुसेवा वेतन और सदाचरण वेतन का समपहरण;
(छ) तीव्र-धिग्दण्ड या धिग्दण्ड;
(ज) किसी एक मास में चौदह दिन के वेतन तक का जुर्माना;
(झ) धारा 91 के खण्ड (छ) के अधीन शास्तिक कटौतियां:
81. धारा 80 के अधीन दण्डों की परिसीमा - * * * *
(2) उक्त धारा के खण्ड (क), (ख), (ग) और (घ) में विनिर्दिष्ट दण्डों में से दो या अधिक के अधिनिर्णयन की दशा में खण्ड (ग) या खण्ड (घ) में विनिर्दिष्ट दण्ड खण्ड (क) या खण्ड (ख) में विनिर्दिष्ट दण्ड के खत्म होने पर ही प्रभावशील होगा।
(3) जब कि किसी व्यक्ति को उक्त खण्डों (क), (ख) और (ग) में विनिर्दिष्ट दण्डों में से दो या अधिक दण्ड संयुक्ततः अधिनिर्णीत किए गए हों या तब अधिनिर्णीत किए गए हों जब वह उक्त दण्डों में से एक या अधिक पहले से ही भोग रहा हो, तब उन दण्डों का सम्पूर्ण विस्तार कुल मिलाकर बयालीस दिन से अधिक नहीं होगा।
(4) धारा 80 के खण्डों [(क), (ख) और (ग)] में विनिर्दिष्ट दण्ड किसी ऐसे व्यक्ति को अधिनिर्णीत नहीं किए जाएंगे जो अनायुक्त आफिसर के रैंक का है या जो उस अपराध को करते समय जिसके लिए उसे दण्डित किया जाता है, ऐसे रैंक का था।
(5) उक्त धारा के खण्ड (छ) में विनिर्दिष्ट दण्ड अनायुक्त आफिसर के रैंक से नीचे के किसी व्यक्ति को अधिनिर्णीत नहीं किया जाएगा।
82. धारा 80 में विनिर्दिष्ट दण्डों के अतिरिक्त दण्ड - थल सेनाध्यक्ष केन्द्रीय सरकार की सम्मति से ऐसे अन्य दण्ड, जो धारा 80 में विनिर्दिष्ट दण्डों में से किसी के अतिरिक्त या बिना उक्त धारा के अधीन अधिनिर्णित किए जा सकेंगे और वह विस्तार, जिस तक ऐसे अन्य दण्ड अधिनिर्णीत किए जा सकेंगे, विनिर्दिष्ट कर सकेगा।
83. बिग्रेड कमाण्डरों और अन्यों द्वारा आफिसरों, कनिष्ठ आयुक्त आफिसरों और वारण्ट आफिसरों का दण्डित किया जाना - ऐसा आफिसर, जो बिग्रेड कमाण्डर या समतुल्य कमाण्डर से कम शक्ति नहीं रखता या ऐसा अन्य आफिसर, जिसे [थल सेनाध्यक्ष] केन्द्रीय सरकार की सम्मति से विनिर्दिष्ट करे, फील्ड आफिसर के रैंक से नीचे के ऐसे आफिसर, कनिष्ठ आयुक्त आफिसर या वारण्ट आफिसर के विरुद्ध, जिस पर इस अधिनियम के अधीन अपराध का आरोप हो, विहित रीति से कार्यवाही कर सकेगा और निम्नलिखित दण्डों में से एक या अधिक दण्ड अधिनिर्णीत कर सकेगा, अर्थात् :
(क) तीव्र-धिग्दण्ड या धिग्दण्ड,
(ख) वेतन और भत्तों का तब तक के लिए रोक दिया जाना जब तक उस साबित हुई हानि या नुकसान की प्रतिपूर्ति न हो जाए जो उस अपराध के कारण हुआ है जिसका वह सिद्धदोष ठहराया गया है।
84. एरिया कमाण्डरों और अन्यों द्वारा आफिसरों, कनिष्ठ आयुक्त आफिसरों और वारण्ट आफिसरों का दण्डित किया जाना - ऐसा आफिसर, जो एरिया कमाण्डर या समतुल्य कमाण्डर से कम शक्ति नहीं रखता या ऐसा आफिसर, जो जनरल सेनान्यायालय संयोजित करने के लिए सशक्त हो या ऐसा अन्य आफिसर, जिसे '[थल सेनाध्यक्ष] केन्द्रीय सरकार की सम्मति से विनिर्दिष्ट करे लेफ्टीनेन्ट कर्नल, कनिष्ठ आयुक्त आफिसर या वारण्ट आफिसर के रैंक से नीचे के किसी ऐसे आफिसर के विरुद्ध जिस पर इस अधिनियम के अधीन अपराध का आरोप है, विहित रीति से कार्यवाही कर सकेगा और निम्नलिखित दण्डों में से एक या अधिक दण्ड अधिनिर्णीत कर सकेगा, अर्थात् :
(क) ज्येष्ठता का समपहरण, या उनमें से किसी ऐसे की दशा में जिसकी प्रोन्नति सेवाकाल की लम्बाई पर निर्भर है बारह मास से अनधिक की कालावधि के सेवाकाल का इसलिए समपहरण कि वह प्रोन्नति के प्रयोजन के लिए न गिना जाए, किन्तु यह बात दण्ड अधिनिर्णीत किए जाने के पूर्व अभियुक्त के यह निर्वाचन करने के अधिकार के अध्यधीन होगी कि उसका विचारण सेना-न्यायालय द्वारा किया जाए,
(ख) तीव्र-धिग्दण्ड या धिग्दण्ड,
(ग) वेतन और भत्तों का तब तक के लिए रोक दिया जाना जब तक उस साबित हुई हानि या नुकसान की प्रतिपूर्ति न हो जाए जो उस अपराध के कारण हुआ है जिसका वह सिद्धदोष ठहराया गया है।
85. कनिष्ठ आयुक्त आफिसरों का दण्डित किया जाना - कमान आफिसर या अन्य ऐसा आफिसर जिसे थल सेनाध्यक्ष ने केन्द्रीय सरकार की सम्मति से विनिर्दिष्ट किया हो, ऐसे कनिष्ठ आयुक्त आफिसर के विरुद्ध जिस पर इस अधिनियम के अधीन अपराध का आरोप है, कार्यवाही विहित रीति से कर सकेगा और निम्नलिखित दंडों में से एक या अधिक दंड अधिनिर्णीत कर सकेगा, अर्थात्:-
(i) तीव्र-धिग्दंड या धिग्दंड;
(ii) वेतन और भत्तों को तब के लिए रोक देना जब तक उस साबित हानि या नुकसान की प्रतिपूर्ति न हो जाए, जो उस अपराध के कारण हुआ है जिसका वह सिद्धोदोष ठहराया गया है:
परन्तु खंड (i) में विनिर्दिष्ट दंड उस दशा में अधिनिर्णीत नहीं किया जाएगा यदि कमान आफिसर या ऐसा अन्य आफिसर कर्नल के रैंक से नीचे का है।
86. कार्यवाहियों का पारेषण - हर ऐसे मामले में जिसमें दण्ड धाराओं 83, 84 और 85 में से किसी के अधीन अधिनिर्णीत किया गया है, कार्यवाही की प्रमाणित शुद्ध प्रतियां दण्ड अधिनिर्णीत करने वाले आफिसर द्वारा धारा 88 में यथापरिभाषित वरिष्ठ सैनिक अधिकारी को विहित रीति से भेजी जाएंगी।
87. कार्यवाही का पुनर्विलोकन - यदि धाराओं 83, 84 और 85 में से किसी के अधीन अधिनिर्णीत कोई दण्ड, धारा 88 में यथापरिभाषित वरिष्ठ सैनिक प्राधिकारी को अवैध, अन्यापूर्ण या अत्यधिक प्रतीत होता है तो वह प्राधिकारी दण्ड को रद्द कर सकेगा, उसमें फेरफार कर सकेगा या उसका परिहार कर सकेगा और ऐसा अन्य निदेश दे सकेगा जो उस मामले की परिस्थितियों में समुचित हो। 88. वरिष्ठ सैनिक प्राधिकारी धाराओं 86 और 87 के प्रयोजन के लिए, “वरिष्ठ सैनिक प्राधिकारी” से अभिप्रेत है -
(क) कमान आफिसर द्वारा अधिनिर्णीत दण्डों की दशा में कोई ऐसा आफिसर जो ऐसे कमान आफिसर से समादेश में वरिष्ठ हो,
(ख) किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा अधिनिर्णीत दण्डों की दशा में, केन्द्रीय सरकार, थल सेनाध्यक्ष] अथवा थल सेनाध्यक्ष द्वारा विनिर्दिष्ट अन्य आफिसर।
89. सामूहिक जुर्माने - (1) जब कभी कोई शास्त्र या शास्त्र का भाग, जो किसी अर्ध स्कवाड्रन, बैटरी, कम्पनी, या अन्य ऐसी ही यूनिट के उपस्कर का भाग है, खो जाता है या चोरी हो जाता है, तब उस सेना, कोर, डिवीजन या स्वतंत्र बिग्रेड का जिसकी वह यूनिट है, समादेश करने वाला आफिसर जांच अधिकरण की रिपोर्ट अभिप्राप्त करने के पश्चात् ऐसी यूनिट के कनिष्ठ आयुक्त आफिसरों, वारण्ट आफिसरों, अनायुक्त आफिसरों और ऐसे यूनिटों के जवानों पर या उनमें से उतनों पर, जितने उसके निर्णय में ऐसे खो जाने या चोरी के लिए उत्तरदायी ठहराए जाने चाहिए सामूहिक जुर्माना अधिरोपित कर सकेगा।
(2) ऐसा जुर्माना, उन व्यक्तियों के, जिन पर वह पड़ता है, वेतन पर प्रतिशतता के रूप में निर्धारित किया जाएगा।