अपराध [Offences]
Updated: Jan, 30 2021
अध्याय 6
अपराध
34. शत्रु से संबंधित अपराध, जो मृत्यु से दण्डनीय है - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई भी व्यक्ति जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई भी अपराध करेगा, अर्थात्
(क) किसी गैरिजन, दुर्ग, पदस्थान, स्थान या गारद को, जो उसके भारसाधन में सुपुर्द किया गया है या जिसकी रक्षा करना उसका कर्तव्य है लज्जास्पद रूप से परित्यक्त या समर्पित करेगा या उक्त कार्यों में से कोई कार्य करने के लिए किसी कमान आफिसर या अन्य व्यक्ति को विवश या उत्प्रेरित करने के लिए किन्हीं साधनों का उपयोग करेगा, अथवा
(ख) सेना, नौसेना या वायु सेना विधि के अध्यधीन के किसी भी व्यक्ति को शत्रु के विरुद्ध कार्य करने से प्रविरत रहने के लिए विवश या उपत्प्रेरित करने के लिए या ऐसे व्यक्ति को शत्रु के विरुद्ध कार्य करने से निरुत्साहित करने के लिए किन्हीं साधनों का साशय उपयोग करेगा, अथवा
(ग) शत्रु की उपस्थिति में अपने आयुधों, गोलाबारूद्ध, औजारों या उपस्कर को लज्जास्पद रूप से संत्यक्त करेगा या ऐसी रीति से कदाचार करेगा जिससे कायरता दर्शित हो, अथवा
(घ) विश्वासघातपूर्वक, शत्रु से या किसी ऐसे व्यक्ति से जो संघ के विरुद्ध उद्यतायुध है वार्ताचार करेगा या उसे आसूचना देगा, अथवा
(ङ) धन, आयुध, गोलाबारूद, सामान या प्रदाय से शत्रु की प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः सहायता करेगा, अथवा
(च) विश्वासघातपूर्वक या कायरता से शत्रु को अवहार ध्वज भेजेगा, अथवा
(छ) युद्ध-काल में या किन्हीं सैनिक संक्रियाओं के दौरान कार्रवाई, कैम्प, गैरिजन या क्वार्टरों में मिथ्या एलार्म साश्य कारित करेगा या ऐसी रिपोर्ट जो एलार्म या नैराश्य पैदा करने के लिए प्रकल्पित हो, फैलाएगा, अथवा
(ज) संघर्ष के समय नियमित रूप से अवमुक्त हुए बिना या बिना छुट्टी अपने कमान आफिसर को या अपने पदस्थान से गारद, पिकेट, पैट्रोल, या दल को छोड़ेगा, अथवा
(झ) युद्ध कैदी बनाए जाने पर स्वेच्छा से शत्रु पक्ष में सेवा करेगा या शत्रु की सहायता करेगा, अथवा
(ञ) ऐसे शत्रु को, जो कैदी नहीं है, जानते हुए संश्रय देगा या उसका संरक्षण करेगा, अथवा
(ट) युद्ध या एलार्म के समय सन्तरी होते हुए अपने पदस्थान पर सो जाएगा या नशे में होगा, अथवा
(ठ) जानते हुए कोई ऐसा कार्य करेगा जो भारत के सैनिक, नौसैनिक या वायु सैना बलों की या उनसे सहयोग करने वाले किन्हीं बलों की या ऐसे बलों के किसी भाग की सफलता को संकट में डालने के लिए प्रकल्पित हो, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर मृत्यु दण्ड या ऐसा लघुतर दण्ड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
35. शत्रु से संबंधित अपराध जो मृत्यु से दण्डनीय नहीं हैं - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात् :-
(क) सम्यक् पूर्वावधानी के अभाव से या आदेशों की अवज्ञा या कर्तव्य की जानबूझकर उपेक्षा के कारण कैदी बना लिया जाएगा या कैदी बना लिए जाने पर, तब जब वह अपनी सेवा पर वापस आ जाने में समर्थ है ऐसा करने में असफल रहेगा, अथवा
(ख) सम्यक् प्राधिकार के बिना शत्रु के साथ वार्ताचार करेगा या उसकी आसूचना देगा या ऐसे किसी वार्ताचार या आसूचना का ज्ञान प्राप्त होने पर उसे तुरन्त अपने कमान आफिसर या अन्य वरिष्ठ आफिसर से प्रकट करने का जानबूझकर लोप करेगा, अथवा
(ग) सम्यक् प्राधिकार के बिना शत्रु को अवहार ध्वज भेजेगा, सेना न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर, कारावास, जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दण्ड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
36. अन्य समयों की अपेक्षा सक्रिय सेवा के समय अधिक कठोरता से दण्डनीय अपराध - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई भी व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात् -
(क) किसी संरक्षण गारद का अतिक्रमण करेगा या किसी सन्तरी का अतिक्रमण करेगा या उस पर आपराधिक बल का प्रयोग करेगा, अथवा
(ख) लूट-पाट की तलाश में किसी गृह या अन्य स्थान में अनधिकृत प्रवेश करेगा, अथवा
(ग) सन्तरी होते हुए अपने पदस्थान पर सो जाएगा या नशे में होगा, अथवा
(घ) अपने वरिष्ठ आफिसर के आदेशों के बिना गारद, पिकेट, पैट्रोल या पदस्थान छोड़ेगा, अथवा
(ङ) कैम्प, गैरिजन या क्वार्टरों में मिथ्या एलार्म साशय या उपेक्षा से कारित करेगा, फैलाएगा या ऐसी रिपोर्ट जो अनावश्यक एलार्म या नैराश्य पैदा करने के लिए प्रकल्पित हो, फैलाएगा, अथवा
(च) पैरोल, संकेत-शब्द या प्रतिसंकेत किसी ऐसे व्यक्ति को जो उसे जानने का हकदार नहीं है, बताएगा या जो पैरोल, संकेत-शब्द या प्रतिसंकेत उसे बताया गया है उससे भिन्न पैरोल, संकेत-शब्द या प्रतिसंकेत जानते हुए देगा,
सेना न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर -
उस दशा में, जिसमें कि ऐसा कोई अपराध वह तब करेगा, जब वह सक्रिय सेवा पर है कारावास, जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा, तथा
उस दशा में जिसमें ऐसा कोई अपराध वह तब करेगा जब तक वह सक्रिय सेवा पर नहीं है कारावास, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
37. विद्रोह - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात् -
(क) भारत के सैनिक, नौसैनिक या वायु सेना बलों में या उनसे सहयोग करने वाले किन्हीं बलों में विद्रोह आरम्भ करेगा, उद्दीप्त करेगा, कारित करेगा या कारित करने के लिए किन्हीं अन्य व्यक्तियों के साथ षड्यंत्र करेगा, अथवा
(ख) ऐसे किसी विद्रोह में सम्मिलित होगा, अथवा
(ग) ऐसे किसी विद्रोह में उपस्थित होते हुए उसे दबाने के लिए अपने अधिकतम प्रयास नहीं करेगा, अथवा
(घ) यह जानते हुए या इस बात के विश्वास का कारण रखते हुए कि ऐसा कोई विद्रोह या ऐसा विद्रोह करने का आशय या ऐसा कोई षड्यंत्र अस्तित्व में है, उसकी इत्तिला अपने कमान आफिसर या अन्य वरिष्ठ आफिसर को अविलम्ब नहीं देगा, अथवा
(ङ) भारत के सैनिक, नौसैनिक या वायु सेना बलों में के किसी व्यक्ति को उस के कर्तव्य से या संघ के प्रति उसकी राजनिष्ठा से विचलित करने का प्रयास करेगा, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर मृत्यु या ऐसा लघुतर दण्ड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
38. अभित्यजन और अभित्यजन में सहायता करना - (1) इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो सेवा का अभित्यजन करेगा या करने का प्रयत्न करेगा वह सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर -
उस दशा में जिसमें कि ऐसा अपराध वह सक्रिय सेवा पर करेगा या तब करेगा, जब वह सक्रिय सेवा पर जाने के आदेश के अधीन है मृत्यु या ऐसा लघुतर दण्ड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा, तथा
उस दशा में जिसमें कि ऐसा अपराध वह किन्हीं परिस्थितियों में करेगा कारावास, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसा लघुतर दण्ड जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
(2) इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति जो जानते हुए ऐसे किसी अभित्यजन को संश्रय देगा, वह सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दण्ड, जो इस अधिनियम में वर्णित हो, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
(3) इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति जो इस अधिनियम के अध्यधीन के किसी व्यक्ति के किसी अभित्यजन या अभित्यजन के प्रयत्न के संज्ञान रखते हुए तत्काल अपने स्वयं के या किसी अन्य वरिष्ठ आफिसर को सूचना देगा या ऐसे व्यक्ति को पकड़वाने के लिए अपनी शक्ति में कोई कार्रवाई नहीं करेगा, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दण्ड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
39. छुट्टी बिना अनुपस्थिति - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात् -
(क) छुट्टी बिना अपने को अनुपस्थित रखेगा, अथवा
(ख) अपने को अनुदत्त छुट्टी के उपरान्त पर्याप्त हेतुक के बिना अनुपस्थित रहेगा, अथवा
(ग) अनुपस्थिति छुट्टी पर होते हुए और उचित प्राधिकारी से यह इत्तिला मिलने पर कि कोई कोर या कोर के प्रभाग को या किसी विभाग को, जिसका वह अंग है, सक्रिय सेवा पर जाने के लिए आदिष्ट हो गई है, काम पर अविलम्ब वापस आने में पर्याप्त हेतुक के बिना असफल रहेगा, अथवा
(घ) परेड में या अभ्यास या कर्तव्य के लिए नियुक्त स्थान पर नियत समय पर उपसंजात होने में पर्याप्त हेतुक के बिना असफल रहेगा, अथवा
(ङ) उस दौरान जब वह परेड में या प्रगमन पथ पर है, पर्याप्त हेतुक के बिना या अपने वरिष्ट आफिसर से इजाजत लिए बिना परेड या प्रगमन पथ छोड़ेगा, अथवा
(च) जब वह कैम्प में या गैरिजन में अन्यत्र है, तब किसी साधारण, स्थानीय या अन्य आदेश द्वारा नियत किन्हीं परिसीमाओं के परे या प्रतिषिद्ध किसी स्थान में, पास या अपने वरिष्ठ आफिसर की लिखित इजाजत के बिना पाया जाएगा, अथवा
(छ) जब कि उसे किसी स्कूल में हाजिर होने के लिए सम्यक् रूप से आदेश दिया गया है तब अपने वरिष्ठ आफिसर की इजाजत के बिना या सम्यक् हेतुक के बिना अपने को उससे अनुपस्थित रखेगा,
सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दण्ड जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
40. वरिष्ठ आफिसर पर आघात करना या उसे धमकी देना - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात्
(क) अपने वरिष्ठ आफिसर पर आपराधिक बल का प्रयोग करेगा या हमला करेगा, अथवा
(ख) ऐसे आफिसर के प्रति धमकी भरी भाषा का प्रयोग करेगा, अथवा
(ग) ऐसे आफिसर के प्रति अनधीनता द्योतक भाषा का प्रयोग करेगा,
सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध पर -
उस दशा में, जिसमें ऐसे आफिसर उस समय अपना पद्-निष्पादन कर रहा है या उस दशा में, जिसमें कि अपराध सक्रिय सेवा पर किया जाता है कारावास, जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दण्ड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा, या
अन्य दशाओं में कारावास, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसा लघुतर दण्ड जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा :
परन्तु खंड (ग) में विनिर्दिष्ट अपराध की दशा में कारावास पांच वर्ष से अधिक का नहीं होगा।
41. वरिष्ठ आफिसर के प्रति अवज्ञा - (1) इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो अपने वरिष्ठ आफिसर द्वारा अपने पद्-निष्पादन में स्वयं दिए गए किसी विधिपूर्ण समादेश की, चाहे मौखिक रूप से या लिखकर या संकेत द्वारा या अन्यथा दिया गया हो, ऐसी रीति से अवज्ञा करेगा, जिससे प्राधिकारी को जानबूझकर किया गया तिरस्कार दर्शित हो, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारवास, जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दण्ड जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
(2) इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो अपने वरिष्ठ आफिसर द्वारा दिए गए किसी विधिपूर्ण समादेश की अवज्ञा करेगा, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर -
उस दशा में, जिसमें ऐसा अपराध वह तब करेगा जब वह सक्रिय सेवा पर है, कारावास, जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दण्ड जो अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा, तथा
उस दशा में जिसमें कि ऐसा अपराध वह तब करता है, जब वह सक्रिय सेवा पर नहीं है, कारावास, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दण्ड जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
42. अनधीनता और बाधा - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात्
(क) किसी झगड़े, दंगे या उपद्रव से संपृक्त होते हुए, किसी ऐसे आफिसर की, भले ही वह निम्नतर रैंक का हो, जो उसकी गिरफ्तारी का आदेश देता है, आज्ञापालन से इन्कार करेगा या ऐसे आफिसर पर आपराधिक बल का प्रयोग करेगा या हमला करेगा, अथवा
(ख) किसी ऐसे व्यक्ति पर अपराधिक बल का प्रयोग करेगा या हमला करेगा जिसकी अभिरक्षा में उसे विधिपूर्वक रखा गया है चाहे वह व्यक्ति इस अधिनियम के अध्यधीन हो या न हो और चाहे उसका वरिष्ठ आफिसर हो या न हो, अथवा
(ग) ऐसे अनुरक्षक का प्रतिरोध करेगा जिसका कर्तव्य उसे पकड़ना या अपने भारसाधन में लेना है, अथवा (घ) बैरकों, कैम्प या क्वार्टरों में अनधिकृत रूप से निकलेगा, अथवा (ङ) किसी साधारण, स्थानीय या अन्य आदेश के पालन की उपेक्षा करेगा, अथवा
(च) प्रोवो-मार्शल के या उसकी ओर से विधिपूर्वक कार्य करने वाले किसी व्यक्ति के समक्ष अड़चन डालेगा या प्रोवोमार्शल या उसकी ओर से विधिपूर्वक कार्य करने वाले किसी व्यक्ति-निष्पादन में उसकी सहायता की अपेक्षा की जाने पर उससे इन्कार करेगा, अथवा
(छ) किसी ऐसे व्यक्ति पर जो बल के लिए रसद या प्रदाय ला रहा हो अपराधिक बल का प्रयोग करेगा या हमला करेगा, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि उन अपराधों की दशा में जो खंड (घ) और (ङ) में विनिर्दिष्ट हैं, दो वर्ष तक की, और उन अपराधों की दशा में, जो अन्य खंडों में विनिर्दिष्ट हैं, दस वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
43. कपटपूर्ण अभ्यावेशन - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात्
(क) उस कोर या विभाग से, जिसका वह अंग है, नियमित उन्मोचन अभिप्राप्त किए बिना या उन शर्तों को जो उसे अभ्यावेशित या प्रविष्ट होने के लिए समर्थ करती हैं अन्यथा पूरी किए बिना उसी या किसी अन्य कोर या विभाग में भारत के नौसेनिक या वायु सैनिक बल के किसी भाग में या प्रादेशिक सेना में अभ्यावेशित या प्रविष्ट होगा, अथवा
(ख) बल के किसी भाग में किसी व्यक्ति के अभ्यावेशन से, तब सम्पृक्त होगा जब वह यह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि ऐसा व्यक्ति ऐसी परिस्थितियों में है कि अभ्यावेशित होने से वह इस अधिनियम के विरुद्ध अपराध करता है, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
44. अभ्यावेशन किए जाने के समय मिथ्या उत्तर - कोई भी व्यक्ति जो इस अधिनियम के अधीन अध्यधीन हो गया है और जिसके बारे में यह पता चलता है कि अभ्यावेशन के समय उसने विहित प्ररूप में उपवर्णित किसी ऐसे प्रश्न का, जो उससे उस अभ्यावेशन आफिसर द्वारा किया गया था जिसके समक्ष वह अभ्यावेशन के प्रयोजन के लिए उपसंजात हुआ था, जानबूझकर मिथ्या उत्तर दिया था, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
45. अशोभनीय आचरण - कोई भी आफिसर, कनिष्ठ आयुक्त आफिसर या वारण्ट आफिसर, जो ऐसी रीति से व्यवहार करेगा, जो उसके पद और उससे प्रत्याशित शील की दृष्टि से अशोभनीय है, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर, यदि वह आफिसर है सकलंक पदच्युत किए जाने के दंड के दायित्व से, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा और यदि वह कनिष्ठ आयुक्त आफिसर या वारण्ट आफिसर है, पदच्युत किए जाने के दायित्व के या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
46. कलंकास्पद आचरण के कतिपय प्रकार - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात्
(क) क्रूर, अशिष्ट या अप्राकृतिक प्रकार के किसी कलंकास्पद आचरण का दोषी होगा, अथवा
(ख) कर्तव्य से बचने के लिए रोगी बन जाएगा या अपने में रोग या अंगशैथिल्य का ढोंग करेगा या अपने में उसे उत्पन्न करेगा या निरोग होने में साशय विलम्ब करेगा या अपने रोग या अंगशैथिल्य को गुरुतर बनाएगा, अथवा
(ग) अपने आपको या किसी अन्य व्यक्ति को सेवा के अयोग्य बनाने के आशय से अपने आपको या उस व्यक्ति को स्वेच्छा उपहति कारित करेगा, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
47. अधीनस्थ के साथ बुरा बर्ताव करना - कोई आफिसर, कनिष्ठ आयुक्त आफिसर, वारण्ट आफिसर या अनायुक्त आफिसर जो किसी ऐसे व्यक्ति पर, जो रैंक या पद में उसके नीचे का है, आपराधिक बल का प्रयोग करेगा या उसके साथ अन्यथा बुरा बर्ताव करेगा, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
48. मत्तता - (1) इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो मत्तता की हालत में पाया जाता है चाहे, वह कर्तव्य पर हो या न हो, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर, यदि वह आफिसर है, सकलंक पदच्युत किए जाने के दण्ड या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा और यदि वह आफिसर नहीं है तो उपधारा (2) के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए कारावास, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
(2) जहां कि मत्तता में होने का अपराध आफिसर से भिन्न किसी व्यक्ति द्वारा तब किया जाता है जब वह सक्रिय सेवा पर नहीं है या कर्तव्य पर नहीं है, वहां अधिनिर्णीत कारावास की कालावधि छह मास से अधिक की नहीं होगी।
49. अभिरक्षा में से किसी व्यक्ति को निकल भागने देना - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात्
(क) उस दौरान, जब वह किसी गारद, पिकेट, पैट्रोल या चौकी का समादेशक है, किसी ऐसे व्यक्ति को, जो उसके भारसाधन में सुपुर्द किया गया है, उचित प्राधिकार के बिना, चाहे जानबूझकर, चाहे युक्तियुक्त प्रतिहेतु के बिना, निर्मुक्त करेगा या किसी कैदी या ऐसे सुपुर्द किए गए व्यक्ति को लेने से इंकार करेगा, अथवा
(ख) ऐसे व्यक्ति को, जो उसके भारसाधक में सुपुर्द किया गया है या जिसे रखना या जिस पर पहरा रखना उसका कर्तव्य है जानबूझकर या युक्तियुक्त प्रतिहेतु के बिना निकल भागने देगा, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर, उस दशा में जिसमें उसने जानबूझकर कार्य किया है कारावास, जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा, और उस दशा में जिसमें उसने जानबूझकर कार्य नहीं किया है कारावास, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
50. गिरफ्तारी या परिरोध के सम्बन्ध में अनियमित्तता - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात्
(क) किसी गिरफ्तार या परिरुद्ध व्यक्ति को विचारण के लिए लाए बिना अनावश्यक रूप से निरुद्ध रखेगा या उसका मामला अन्वेषण के लिए उचित प्राधिकारी के समक्ष लाने में अफसल रहेगा, अथवा
(ख) किसी व्यक्ति को सैनिक अभिरक्षा के लिए सुपुर्द करके, ऐसी सुपुर्दगी के समय या यथासाध्य शीघ्र और किसी भी दशा में तत्पश्चात् अड़तालीस घन्टों के अन्दर उस आफिसर या अन्य व्यक्ति को जिसकी अक्षिरक्षा में गिरफ्तार किया गया व्यक्ति सुपुर्द किया गया हो, उस अपराध का जिसका कि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति पर आरोप है लिखित और स्वहस्ताक्षरित वृत्तान्त परिदत्त करने में युक्तियुक्त हेतुक के बिना असफल रहेगा, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
51. अभिरक्षा से निकल भागना - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो विधिपूर्ण अभिरक्षा में होते हुए निकल भागेगा या निकल भागने का प्रत्यन करेगा, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी या, ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
52. सम्पत्ति के बारे में अपराध - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात् -
(क) सरकार की या किसी सैनिक, नौसैनिक या वायु सेना मैस, बैंड या संस्था की या सैनिक, नौसैनिक या वायु सैनिक विधि के अध्यधीन के किसी व्यक्ति की किसी सम्पत्ति की चोरी करेगा, अथवा
(ख) ऐसी किसी सम्पत्ति का बोईमानी से दुर्विनियोग करेगा या उसको अपने उपयोग के लिए संपरिवर्तित कर लेगा, अथवा
(ग) ऐसी किसी सम्पत्ति के बारे में आपराधिक न्यास-भंग करेगा, अथवा
(घ) ऐसी किसी सम्पत्ति को, जिसके बारे में खंड (क), (ख) और (ग) के अधीन अपराधों में से कोई अपराध किया गया है, यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि ऐसा अपराध हुआ है, बेईमानी से प्राप्त करेगा या रखे
रखेगा,
(ङ) सरकार की किसी सम्पत्ति को, जो उसे न्यस्त की हुई हो, जानबूझकर नष्ट करेगा या उसकी क्षति करेगा, अथवा,
(च) कपट-वंचन करने के एक व्यक्ति को सदोष अभिलाभ या किसी अन्य व्यक्ति को सदोष हानि पहुंचाने के आशय से कोई अन्य बात करेगा, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
53. उद्दापन और भ्रष्टाचार - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात्;-
(क) उद्दापन करेगा, अथवा
(ख) उचित प्राधिकार के बिना किसी व्यक्ति से धन, रसद या सेवा का आहरण के अधीन होगा,
सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
54. उपस्कर को गायब कर देना - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात्:-
(क) किन्हीं आयुधों, गोलाबारुद्ध, उपस्कर, उपकरणों, औजारों, कपड़ों या किसी अन्य वस्तु को, जो सरकार की सम्पत्ति होते हुए उसे अपने उपयोग के लिए दी हुई हो या उसे न्यस्त की हुई हो, गायब कर देगा या गायब करवा देने में सम्पृक्त होगा, अथवा
(ख) खंड (क) में वर्णित किसी वस्तु को उपेक्षा से गंवा देगा, अथवा
(ग) अपने को अनुदत्त किसी पदक या अलंकरण को बेचेगा, गिरवी रखेगा, नष्ट करेगा या विरूपित करेगा,
सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि खंड (क) में विनिर्दिष्ट अपराधों की दशा में दस वर्ष तक की और अन्य खंडों में विनिर्दिष्ट अपराधों की दशा में पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
55. सम्पत्ति को क्षति - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात्:-
(क) धारा 54 के खंड (क) में वर्णित कोई सम्पत्ति या किसी सैनिक, नौसैनिक या वायु सेना बल के मैस, बैंड या संस्था की या सैनिक, नौसैनिक या वायु सेना के विधि के अध्यधीन के या नियमित सेना में सेवा करने वाले या उससे संलग्न व्यक्ति की कोई सम्पत्ति नष्ट करेगा या उसे क्षति करेगा, अथवा
(ख) कोई ऐसा कार्य करेगा जिसके कारण अग्नि से सरकार की किसी सम्पत्ति को नुकसान होता है या उसका नाश होता है, अथवा
(ग) अपने को न्यस्त किए हुए किसी जीवजन्तु को मार देगा, क्षति करेगा, गायब कर देगा, या उससे बुरा बर्ताव करेगा या उसे गंवा देगा,
सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर, उस दशा में, जिसमें उसने जानबूझकर ऐसा कार्य किया है कारावास, जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा, और उस दशा में जिसमें उसने युक्तियुक्त प्रतिहेतु के बिना ऐसा कार्य किया है, कारावास, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
56. मिथ्या अभियोग - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात्:-
(क) इस अधिनियम के अध्यधीन के किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई मिथ्या अभियोग, यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए लगाएगा कि यह अभियोग मिथ्या है; अथवा
(ख) धारा 26 या धारा 27 के अधीन कोई परिवाद करने में कोई ऐसा कथन, जो इस अधिनियम के अध्यधीन के किसी व्यक्ति के शील पर आक्षेप करता है, यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए करेगा कि वह कथन मिथ्या है अथवा किन्हीं तात्त्विक तथ्यों को जानते हुए और जानबूझकर दबा लेगा,
सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
57. शासकीय दस्तावेजों का मिथ्याकरण तथा मिथ्या घोषणा - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात् :
(क) किसी ऐसी रिपोर्ट, विवरणी, सूची, प्रमाणपत्र, पुस्तक या अन्य दस्तावेज में जो उसके द्वारा बनाई या हस्ताक्षरित की गई है या जिसकी विषय-वस्तु की यथार्थता का अभिनिश्चय करना उसका कर्तव्य है, कोई मिथ्या या कपटपूर्ण कथन जानते हुए करेगा या किए जाने में संसर्गी होगा, अथवा
(ख) कपट-वंचन करने के आशय से किसी ऐसी दस्तावेज में जो खंड (क) में वर्णित वर्णन की है कोई लोप जानते हुए करेगा या लोप के किए जाने में संसर्गी होगा, अथवा
(ग) जानते हुए और किसी व्यक्ति को क्षति करने के आशय से या जानते हुए और कपट-वंचन करने के आशय से किसी ऐसी दस्तावेज को, जिससे परिरक्षित रखना या पेश करना उसका कर्तव्य है दबा लेगा, विरूपित करेगा, परिवर्तित करेगा या गायब कर देगा, अथवा
(घ) जहां कि किसी बात के बारे में घोषणा करना उसका पदीय कर्तव्य है वहां जानते हुए मिथ्या घोषणा करेगा, अथवा
(ङ) अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई पेंशन, भत्ता या अन्य फायदा या विशेषाधिकार ऐसे कथन से, जो मिथ्या है, और जिसके मिथ्या होने का उसे या तो ज्ञान है या विश्वास है या जिसके सत्य होने का उसे विश्वास नहीं है, अथवा किसी पुस्तक या अभिलेख में कोई मिथ्या प्रविष्टि करके या उसमें की मिथ्या प्रविष्टि का उपयोग करके, अथवा मिथ्या कथन अन्तर्विष्ट करने वाली कोई दस्तावेज बनाकर, अथवा कोई सही प्रविष्टि करने का या सत्य कथन अन्तर्विष्ट रखने वाली दस्तावेज बनाने का लोप करके, अभिप्राप्त करेगा,
सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
58. रिक्त स्थान छोड़ कर हस्ताक्षर करना और रिपोर्ट देने में असफल रहना - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात्:-
(क) वेतन, आयुध, गोलाबारूद, उपस्कर, कपड़े, प्रदाय या सामान से या सरकार की किसी सम्पत्ति से सम्बद्ध ऐसी किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते समय किसी तात्विक भाग को जिसके लिए उसका हस्ताक्षर प्रमाणक है, कपटपूर्वक रिक्त छोड़ देगा, अथवा
(ख) ऐसी रिपोर्ट या विवरणी देने या भेजने से, जिसका देना या भेजना उसका कर्तव्य है इन्कार करेगा या वैसा करने का लोप आपराधिक उपेक्षा से करेगा,
सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
59. सेना-न्यायालयों से सम्बद्ध अपराध - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात्:-
(क) किसी सेना-न्यायालय के समक्ष साक्षी के तौर पर हाजिर होने के लिए सम्यक् रूप से समनित या आदिष्ट होने पर हाजिर होने में जानबूझकर या युक्तियुक्त प्रतिहेतु के बिना व्यतिक्रम करेगा, अथवा
(ख) उस शपथ या प्रतिज्ञान को, जिसके लिए या किए जाने की अपेक्षा सेना-न्यायालय द्वारा वैध रूप से की गई हो, या करने से इन्कार करेगा, अथवा
(ग) अपनी शक्ति या नियंत्रण में की किसी दस्तावेज को, उसके द्वारा पेश या परिदत्त किए जाने की अपेक्षा सेनान्यायालय द्वारा वैध रूप से की गई हो, पेश या परिदत्त करने से इन्कार करेगा, अथवा
(घ) जब कि वह साक्षी है तब किसी ऐसे प्रश्न का उत्तर देने से इन्कार करेगा जिसका उत्तर देने के लिए वह विधि द्वारा आबद्ध है, अथवा
(ङ) अपमानकारी या धमकी भरी भाषा का प्रयोग करके, या सेना-न्यायालय की कार्यवाहियों में कोई विघ्न या विक्षोभ कारित करने के द्वारा सेना-न्यायालय के अवमान का दोषी होगा,
सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
60. मिथ्या साक्ष्य - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो किसी सेना-न्यायालय या अन्य ऐसे अधिकरण के समक्ष जो शपथ दिलाने या प्रतिज्ञान कराने के लिए इस अधिनियम के अधीन सक्षम है, सम्यक् रूप से शपथ लेकर या प्रतिज्ञान करके कोई ऐसा कथन करेगा, जो मिथ्या है, और जिसके मिथ्या होने का उसे या तो ज्ञान या विश्वास है या जिसके सत्य होने का उसे विश्वास नहीं है, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
61. वेतन का विधिविरुद्ध रोक रखना - कोई आफिसर, कानिष्ठ आयुक्त आफिसर, वारण्ट आफिसर या अनायुक्त आफिसर, जो इस अधिनियम के अध्यधीन, किसी व्यक्ति का वेतन प्राप्त करके, उसके शोध्य होने पर उसे विधिविरुद्धतया रोक रखेगा या देने से इन्कार करेगा सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
62. वायुयान और उड़ान के सम्बन्ध के अपराध - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा, अर्थात्:-
(क) किसी वायुयान या वायुयान सामग्री को, जो सरकार की है जानबूझकर युक्तियुक्त प्रतिहेतु के बिना नुकसान करेगा, नष्ट करेगा या खो देगा, अथवा
(ख) किसी ऐसे कार्य या उपेक्षा का दोषी होगा जिससे ऐसा नुकसान, नाश या खो जाना कारित होना सम्भाव्य है, अथवा
(ग) किसी वायुयान या वायुयान सामग्री का, जो सरकार की है, विधिपूर्ण प्राधिकार के बिना व्ययन करेगा, अथवा
(घ) उड़ान में या किसी वायुयान का उपयोग करने में या किसी वायुयान या वायुयान सामग्री के सम्बन्ध में किसी ऐसे कार्य या उपेक्षा का दोषी होगा जिससे किसी व्यक्ति को जीवन हानि या शारीरिक क्षति कारित होती है या उसका कारित होना संभाव्य है, अथवा
(ङ) युद्ध-स्थिति के दौरान सरकार के किसी वायुयान का, या किसी तटस्थ राज्य के प्राधिकार से या के अधीन परिबद्धकरण या किसी तटस्थ राज्य में नाश जानबूझकर और उचित कारण के बिना या उपेक्षापूर्वक कारित करेगा,
सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर, उस दशा में जिसमें कि उसने जानबूझकर कार्य किया है, कारावास, जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने, और किसी अन्य दशा में कारावास, जिसकी पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
63. अच्छी व्यवस्था और अनुशासन का अतिक्रमण - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो किसी ऐसे कार्य या लोप का दोषी है जो, यद्यपि इस अधिनियम में विनिर्दिष्ट नहीं है तथापि अच्छी व्यवस्था और सैनिक अनुशासन पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला है, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
64. प्रकीर्ण अपराध - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित अपराधों में से कोई भी अपराध करेगा, अर्थात् :
(क) किसी चौकी पर या प्रगमन पर समादेशन करते हुए यह परिवाद प्राप्त होने पर कि उसके समादेश के अधीन के किसी व्यक्ति ने किसी व्यक्ति को पीटा है या उसके साथ अन्यथा बुरा बर्ताव किया है या उसे सताया है या किसी मेले या बाजार में विघ्न डाला है या कोई बल्वा या अत्याचार किया है, क्षतिग्रस्त व्यक्ति की सम्यक् हानि पूर्ति कराने या मामले की रिपोर्ट उचित प्राधिकारी से करने में असफल रहेगा ; अथवा
(ख) पूजा के किसी स्थान को अपवित्र करके या अन्यथा किसी व्यक्ति के धर्म का साशय अपमान करेगा या उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएगा ; अथवा
(ग) आत्महत्या करने का प्रयत्न करेगा और ऐसा प्रयत्न करने में उस अपराध के किए जाने की दशा में कोई कार्य करेगा ; अथवा
(घ) वारण्ट आफिसर के रैंक से नीचे का होते हुए, जब वह कर्तव्य पर न हो, तब कैम्प या छावनियों में या के आसपास या किसी नगर या बाजार में या के आसपास या किसी नगर या बाजार को जाते हुए या उससे वापस आते हुए, कोई राइफल, तलवार या अन्य आक्रामक शस्त्र ले जाते हुए उचित प्राधिकार के बिना देखा जाएगा ; अथवा
(ङ) किसी व्यक्ति के अभ्यावेशन या सेवा में के किसी व्यक्ति के लिए अनुपस्थिति छुट्टी, प्रोन्नति या कोई अन्य फायदा या अनुग्रह उपाप्त कराने के लिए हेतु, या इनाम के रूप में कोई परितोषण अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः प्रतिगृहीत करेगा या अभिप्राप्त करेगा या प्रतिगृहीत करने के लिए सहमत होगा या अभिप्राप्त करने का प्रयत्न करेगा ; अथवा
(च) उस देश के, जिसमें वह सेवा कर रहा है, किसी वासी या निवासी की सम्पत्ति या उसके शरीर के विरुद्ध कोई अपराध करेगा,
सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर कारावास, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
65. प्रयत्न - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो 34 से 64 तक की धाराओं में (जिनके अन्तर्गत ये धाराएं आती हैं) विनिर्दिष्ट अपराधों में से कोई अपराध करने का प्रयत्न करेगा और ऐसा प्रयत्न करने में अपराध करने की दशा में कोई कार्य करेगा, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर, उस दशा में, जिसमें कि ऐसा प्रयत्न दण्डित करने के लिए इस अधिनियम द्वारा कोई अभिव्यक्त उपबन्ध नहीं किया गया है।
तब जब कि किए जाने के लिए प्रयनित अपराध मृत्यु से दंडनीय है, कारावास, जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है भोगने के दायित्व के अधीन होगा, तथा तब जब कि किए जाने के लिए प्रयनित अपराध कारावास से दंडनीय है, कारावास, जिसकी अवधि उस अपराध के लिए उपबन्धित दीर्घतम अवधि की आधी तक हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
66. किए गए अपराधों का दुष्प्रेरण - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो 34 से 64 की धाराओं में (जिनके अन्तर्गत ये दोनों धाराएं आती हैं) विनिर्दिष्ट अपराधों में से किसी के किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर उस दशा में, जिसमें कि दुष्प्रेरित कार्य दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप किया गया है और इस अधिनियम द्वारा कोई अभिव्यक्त उपबन्ध ऐसे दुष्प्रेरण को दण्डित करने के लिए नहीं किया गया है उस अपराध के लिए उपबन्धित दण्ड या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
67. मृत्यु से दण्डनीय उन अपराधों का दुष्प्रेरण जो किए न गए हों - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो उन अपराधों में किसी अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा जो धारा 34, 37 और धारा 38 की उपधारा (1) के अधीन मृत्यु से दण्डनीय है, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर उस दशा में, जिसमें कि वह अपराध दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप नहीं किया गया है और इस अधिनियम द्वारा कोई अभिव्यक्त उपबन्ध ऐसे दुष्प्रेरण को दण्डित करने के लिए नहीं किया गया है कारावास, जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
68. कारावास से दण्डनीय उन अपराधों का दुष्प्रेरण जो किए न गए हों - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो उन अपराधों में से किसी अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा जो 34 से 64 तक की धाराओं में (जिनके अन्तर्गत यह दोनों धाराएं आती हैं) विनिर्दिष्ट और कारावास से दण्डनीय हैं, सेना-न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर, उस दशा में, जिसमें कि वह अपराध दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप नहीं किया गया है और इस अधिनियम द्वारा कोई अभिव्यक्त उपबन्ध ऐसे दुष्प्रेरण को दण्डित करने के लिए नहीं किया गया है, कारावास, जिसकी अवधि उस अपराध के लिए उपबन्धित दीर्घतम अवधि की आधी तक हो सकेगी, या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
69. सिविल अपराध - धारा 70 के उपबन्धों के अध्यधीन यह है कि इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो भारत में या भारत से परे किसी स्थान में सिविल अपराध करेगा इस अधिनियम के विरुद्ध अपराध का दोषी समझा जाएगा और यदि वह अपराध इस धारा के अधीन उस पर “आरोपित” किया जाए तो वह सेना-न्यायालय द्वारा विचारण किए जाने के दायित्व के अधीन होगा और दोषसिद्धि पर निम्नलिखित रूप से दण्डनीय होगा, अर्थात्:-
(क) यदि अपराध ऐसा है जो भारत में प्रवृत्त किसी विधि के अधीन मृत्यु से या निर्वासन से दण्डनीय है तो वह कोड़े लगाने के दण्ड से भिन्न कोई दण्ड, जो उस अपराध के लिए पूर्वोक्त विधि द्वारा समनुदिष्ट है या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा, और
(ख) अन्य किसी दशा में वह कोड़े लगाने के दण्ड से भिन्न कोई दण्ड, जो भारत में प्रवृत्त विधि द्वारा उस अपराध के लिए समनुदिष्ट है या कारावास, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसा लघुतर दंड, जो इस अधिनियम में वर्णित है, भोगने के दायित्व के अधीन होगा।
70. सिविल अपराध जो सेना-न्यायालय द्वारा विचारणीय नहीं हैं - इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति, जो ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध जो सैनिक, नौसैनिक या वायु सेना विधि के अध्यधीन नहीं है, हत्या का या ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध, हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध का या ऐसे व्यक्ति से बलात्संग करने का अपराध करेगा इस अधिनियम के विरुद्ध किसी अपराध का दोषी तब के सिवाय न समझा जाएगा और सेना-न्यायालय द्वारा उसका विचारण तब के सिवाय नहीं किया जाएगा जब कि वह उक्त अपराधों में से कोई अपराध -
(क) सक्रिय सेवा पर रहते समय करता है, अथवा
(ख) भारत के बाहर किसी स्थान पर करता है, अथवा
(ग) ऐसी सीमांत चौकी पर करता है जो केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट की गई हो।