सेवा के विशेषाधिकार [Service Privileges]
Updated: Jan, 30 2021
अध्याय 5
सेवा के विशेषाधिकार
25. वेतन में से केवल प्राधिकृत कटौतियां की जाएंगी - इस अधिनियम के अध्यधीन के हर व्यक्ति का वेतन जो किसी तत्समय प्रवृत्त विनियम के अधीन उसे उस रूप में शोध्य है, इस या किसी अन्य अधिनियम के द्वारा या अधीन प्राधिकृत कटौतियों से भिन्न कोई कटौती किए बिना दिया जाएगा।
26. आफ़िसरों से भिन्न व्यथित व्यक्तियों को प्राप्त उपचार - (1) आफिसर से भिन्न इस अधिनियम के अध्यधीनम का कोई भी व्यक्ति, जो यह समझता है कि किसी वरिष्ठ या अन्य आफिसर द्वारा उसके साथ अन्याय किया गया है, उस दशा में, जिसमें कि वह किसी ट्रुप या कम्पनी से संलग्न नहीं है उस आफिसर से, जिसके समादेश या आदेश के अधीन वह सेवा कर रहा है, परिवाद कर सकेगा और उस दशा में जिसमें किसी ट्रुप या कम्पनी से संलग्न है उसका समादेशन करने वाले आफिसर से परिवाद कर सकेगा।
(2) जब कि वह आफिसर, जिसके विरुद्ध परिवाद किया गया है, ऐसा आफिसर है जिससे कोई परिवाद उपधारा (1) के अधीन किया जाना चाहिए, तब व्यथित व्यक्ति उस आफिसर के अगले वरिष्ठ आफिसर से परिवाद कर सकेगा।
(3) हर आफिसर, जिसे ऐसा कोई परिवाद प्राप्त हो परिवादी को पूरा प्रतितोष देने के लिए यावत् संभव पूर्ण अन्वेषण करेगा या जब आवश्यक हो परिवाद वरिष्ठ प्राधिकारी को निर्देशित कर देगा।
(4) ऐसा हर परिवाद ऐसी रीति से किया जाएगा जो उचित प्राधिकारी द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट की जाए।
(5) थल सेनाध्यक्ष द्वारा उपधारा (2) के अधीन किए गए किसी विनिश्चय को केन्द्रीय सरकार पुनरीक्षित कर सकेगी, किन्तु उसके अध्यधीन रहते हुए थल सेनाध्यक्ष का विनिश्चय अंतिम होगा।
27. व्यथित आफिसरों को प्राप्त उपचार - कोई आफिसर जो यह समझता है कि उसके कमान आफिसर या किसी वरिष्ठ आफिसर द्वारा उसके साथ अन्याय किया गया है और जिसको अपने कमान आफिसर से सम्यक् आवेदन करने पर ऐसा प्रतितोष प्राप्त नहीं होता जिसका वह स्वयं को हकदार समझता है, वह केन्द्रीय सरकार से ऐसी रीति से परिवाद कर सकेगा जो उचित प्राधिकारी द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट की जाए।
28. कुर्की से उन्मुक्ति - ऐसे किसी भी व्यक्ति के, जो इस अधिनियम के अध्यधीन है, न तो आयुधों, कपड़ों, उपस्कर, साजसामान या आवश्यक वस्तुओं का और न उसके कर्तव्य के निर्वहन में उसके द्वारा प्रयुक्त किसी जीव जन्तु का अभिग्रहण और न ऐसे किसी व्यक्ति के वेतन और भत्तों की या उनके किसी भाग की कुर्की, किसी सिविल या राजस्व न्यायालय या किसी राजस्व आफिसर के ऐसे निदेश द्वारा किसी ऐसी डिक्री या आदेश की तुष्टि में की जाएगी जो उसके विरुद्ध प्रवर्तनीय हो ।
29. ऋण के लिए गिरफ्तारी से उन्मुक्ति - (1) इस अधिनियम के अध्यधीन का कोई व्यक्ति ऋण के लिए तब तक, जब तक वह बल का अंग रहता है किसी सिविल या राजस्व न्यायालय या राजस्व आफिसर के द्वारा या प्राधिकार से निकाली गई किसी आदेशिका के अधीन गिरफ्तार किए जाने के दायित्व के अधीन नहीं होगा।
(2) ऐसे किसी न्यायालय का न्यायाधीश या उक्त आफिसर ऐसे व्यक्ति की इस धारा के उपबन्धों के प्रतिकूल गिरफ्तारी के किसी ऐसे परिवाद की, जो उस व्यक्ति या उसके वरिष्ठ आफिसर द्वारा किया जाए, छानबीन कर सकेगा और उस व्यक्ति को स्वहस्ताक्षरित अधिपत्र द्वारा उन्मोचित कर सकेगा और परिवादी को युक्तियुक्त खर्च अधिनिर्णीत कर सकेगा और परिवादी उस खर्च को उसी रीति से वसूल कर सकेगा जिससे वह आदेशिका अभिप्राप्त करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध, डिक्री द्वारा उस अधिनिर्णीत खर्च वसूल करता।
(3) ऐसे खर्च की वसूली के लिए परिवादी द्वारा कोई भी न्यायालय फीस देय न होगी।
30. सेना-न्यायालयों में हाजिर होने वाले व्यक्तियों की गिरफ्तारी से उन्मुक्ति - (1) किसी भी सेना-न्यायालय का पीठासीन आफिसर या सदस्य, कोई भी जज-एडवोकेट, सेना न्यायालय के समक्ष की किसी कार्यवाही का कोई भी पक्षकार, या उनका कोई भी विधि व्यवसायी या अभिकर्ता, और किसी सेना-न्यायालय में हाजिर होने के समन के आज्ञानुवर्तन में कार्य करने वाला कोई भी साक्षी सेना-न्यायालय को जाने, उसमें हाजिर रहने या वहां से लौटने के दौरान सिविल या राजस्व आदेशिका के अधीन गिरफ्तार किए जाने के दायित्व के अधीन न होगा।
(2) यदि ऐसा कोई व्यक्ति ऐसी किसी आदेशिका के अधीन गिरफ्तार किया जाता है तो वह सेना-न्यायालय के आदेश से उन्मोचित किया जा सकेगा।
31. रिजर्विस्टों के विशेषाधिकार - हर व्यक्ति जो भारतीय रिजर्व-बल का अंग है, तब जब कि वह प्रशिक्षण या सेवा के लिए आहूत किया गया हो या उसमें लगा हो या उससे लौट रहा हो, उन सब विशेषाधिकारों का हकदार होगा जो इस अधिनियम के अध्यधीन के व्यक्ति को धाराओं 28 और 29 द्वारा दिए गए हैं।
32. सेना के कार्मिकों के मुकदमों के बारे में पूर्विकता - (1) इस अधिनियम के अध्यधीन के किसी व्यक्ति के द्वारा या की ओर से उचित सैनिक प्राधिकारी का एक यह प्रमाणपत्र किसी न्यायालय के समक्ष उपस्थित किए जाने पर कि उस न्यायालय में वाद या अन्य कार्यवाही चलाने या उसमें प्रतिरक्षा करने के प्रयोजन के लिए अनुपस्थिति छुट्टी उसे अनुदत्त की गई है या उसके द्वारा आवेदित है, न्यायालय उस व्यक्ति के आवेदन पर, यावत् सम्भव यह इन्तजाम करेगा कि उस वाद या अन्य कार्यवाही की सुनवाई या अंतिम निपटारा ऐसी अनुदत्त या आवेदित छुट्टी की कालावधि के भीतर हो जाए।
(2) उचित सैनिक प्राधिकारी के प्रमाणपत्र में छुट्टी का या आशयित छुट्टी का प्रथम और अन्तिम दिन कथित होगा और उस मामले का वर्णन दिया गया होगा जिसके लिए छुट्टी अनुदत्त या आवेदित की गई है।
(3) ऐसे किसी प्रमाणपत्र के उपस्थापन की बाबत या उसके मामले की सुनवाई को पूर्विकता दिए जाने के लिए ऐसे किसी व्यक्ति के द्वारा या की ओर से किसी आवेदन की बाबत कोई भी फीस न्यायालय को देय न होगी।
(4) जहां कि न्यायालय यह इन्तजाम करने में असमर्थ होता है कि वाद या अन्य कार्यवाही की सुनवाई और अन्तिम निपटारा यथापूर्वोक्त छुट्टी या आशयित छुट्टी की कालावधि के भीतर हो जाएं वहां वह ऐसा न कर सकने के अपने कारणों को अभिलिखित कर देगा और उसकी एक प्रतिलिपि ऐसे व्यक्ति को उसके आवेदन पर, प्रतिलिपि के आवेदन के या स्वयं प्रतिलिपि के लिए उसके द्वारा कोई भी संदाय किए गए बिना, दिला देगा।
(5) यदि किसी मामले में यह प्रश्न उठे कि ऐसा प्रमाणपत्र अनुदत्त करने के लिए, जैसा पूर्वोक्त है, अर्हित उचित सैनिक प्राधिकारी कौन है तो वह प्रश्न न्यायालय द्वारा तत्काल ऐसे आफिसर को जो ब्रिगेड कमान्डर से अन्यून शक्ति धारण करने वाला है या समतुल्य समादेशक है निर्देशित किया जाएगा जिसका विनिश्चय अंतिम होगा।
33. अन्य विधियों के अधीन के अधिकारों और विशेषाधिकारों की व्यावृत्ति - इस अध्याय की पूर्ववर्ती धाराओं में विनिर्दिष्ट अधिकार और विशेषाधिकार उन अन्य अधिकारों और विशेषाधिकारों के अतिरिक्त होंगे जो इस अधिनियम के अध्यधीन के व्यक्तियों को, या साधारणतया नियमित सेना, नौसेना और वायु सेना के सदस्यों को किसी तत्समय प्रवृत्त अन्य विधि द्वारा प्रदत्त हों, न कि उनके अल्पीकरण में।