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- EXPLOSIVES ACT, 1884 [Hindi & English]
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6 ङ अनुप्तियों में परिवर्तन, उनका निलम्बन और प्रतिसंहरण -
(1) अनुज्ञापन प्राधिकारी विहित शर्तों के सिवाय उन शर्तों में परिवर्तन कर सकेगा जिनके अध्यधीन रहते हुए अनुज्ञप्ति अनुदत्त की गई है और उस प्रयोजन के लिए लिखित सूचना द्वारा अनुज्ञप्ति के धारक से यह अपेक्षा कर सकेगा कि वह सूचना में विनिर्दिष्ट समय के भीतर, उसे अनुज्ञप्ति समर्पित कर दे ।
(2) अनुज्ञापन प्राधिकारी विहित शर्तों के सिवाय अनुज्ञप्ति की शर्तों में भी अनुज्ञप्ति के धारक के आवेदन पर परिवर्तन कर सकेगा ।
(3) अनुज्ञापन प्राधिकारी लिखित आदेश द्वारा अनुज्ञप्ति ऐसी अवधि के लिए निलम्बित कर सकेगा जो वह ठीक समझे या अनुज्ञप्ति को प्रतिसंहृत कर सकेगा,-
(क) यदि अनुज्ञापन प्राधिकारी का यह समाधान हो जाता है कि अनुज्ञप्ति का धारक ऐसे विस्फोटक का विनिर्माण, कब्जा, विक्रय, परिवहन, आयात या निर्यात करने के लिए इस अधिनियम या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा प्रतिषिद्ध है या वह विकृतचित्त है या किसी अन्य कारणवश इस अधिनियम के अधीन अनुज्ञप्ति के लिए अनुपयुक्त है; या
(ख) यदि अनुज्ञापन प्राधिकारी लोक-शान्ति की सुरक्षा के लिए या लोक सुरक्षा के लिए अनुज्ञप्ति निलम्बित या प्रतिसंहृत करना आवश्यक समझता है; या
(ग) यदि अनुज्ञप्ति किसी तात्त्विक सूचना को छिपाकर या अनुज्ञप्ति के लिए आवेदन करते समय अनुज्ञप्ति के धारक द्वारा या उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी गई गलत सूचना के आधार पर प्राप्त की गई है; या
(घ) यदि अनुज्ञप्ति की शर्तों में से किसी का उल्लंघन किया है; या
(ङ) यदि अनुज्ञप्ति का धारक उपधारा (1) के अधीन उस सूचना का अनुपालन करने में असफल रहा है जिसके द्वारा उससे अनुज्ञप्ति समर्पित करने की अपेक्षा की गई है ।
(4) अनुज्ञापन प्राधिकारी अनुज्ञप्ति के धारक के आवेदन पर भी अनुज्ञप्ति को प्रतिसंहृत कर सकेगा ।
(5) जहां अनुज्ञापन प्राधिकारी उपधारा (1) के अधीन अनुज्ञप्ति की शर्तों में परिवर्तन करने का कोई आदेश या उपधारा (3) के अधीन किसी अनुज्ञप्ति को निलम्बित या प्रतिसंहृत करने का कोई आदेश करता है तो वह उसके कारण लेखबद्ध करेगा और अनुज्ञप्ति के धारक द्वारा मांग की जाने पर उसका एक संक्षिप्त कथन उसको देगा जब तक कि किसी मामले में अनुज्ञापन प्राधिकारी की यह राय न हो कि ऐसे कथन का दिया जाना लोक हित में नहीं होगा ।
(6) इस अधिनियम में या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन किसी अपराध के लिए अनुज्ञप्ति के धारक को दोषसिद्ध करने वाला न्यायालय अनुज्ञप्ति को निलम्बित या प्रतिसंहृत भी कर सकेगा :
परन्तु यदि दोषसिद्धि अपील में या अन्यथा अपास्त कर दी जाती है तो निलम्बन या प्रतिसंहरण शून्य हो जाएगा ।
(7) उपधारा (6) के अधीन निलम्बन या प्रतिसंहरण का आदेश अपील न्यायालय या पुनरीक्षण की अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए उच्च न्यायालय द्वारा भी किया जा सकेगा ।
(8) केन्द्रीय सरकार समस्त भारत या उसके किसी भाग में इस अधिनियम के अधीन अनुदत्त सभी या किन्हीं अनुज्ञप्तियों को शासकीय राजपत्र में आदेश द्वारा निलम्बित या प्रतिसंहृत कर सकेगी या निलम्बित या प्रतिसंहृत करने के लिए किसी अनुज्ञापन प्राधिकारी को निदेश दे सकेगी ।
(9) इस धारा के अधीन अनुज्ञप्ति के निलम्बन या प्रतिसंहरण पर उसका धारक उस प्राधिकारी को, जिसके द्वारा वह निलम्बित या प्रतिसंहृत की गई है या ऐसे अन्य प्राधिकारी को, जो निलम्बन या प्रतिसंहरण के आदेश में इस निमित्त विनिर्दिष्ट किया जाए, अनुज्ञप्ति अविलम्ब अभ्यर्पित करेगा ।
6 E. Variation, suspension and revocation of licences. -
(1) The licensing authority may vary the conditions subject to which a licence has been granted except such of them as have been prescribed and may for that purpose require the holder of licence by notice in writing to deliver-up the licence to it within such time as may be specified in the notice.
(2)The licensing authority may, on the application of the holder of a licence, also vary the conditions of the licence except such of them as have been prescribed.
(3) The licensing authority may, by order in writing, suspend a licence for such period as it thinks fit or revoke a licence,-
(a) if the licensing authority is satisfied that the holder of the licence is prohibited by this Act or by any other law for the time being in force to manufacture, possess, sell, transport, import or export any explosive, or is of unsound mind, or is for any reason unfit for a licence under this Act; or
(b) if the licensing authority deems it necessary for the security of the public peace or for public safety to suspend or revoke the licence; or
(c) if the licence was obtained by the suppression of material information or on the basis of wrong information provided by the holder of the licence or any other person on his behalf at the time of applying for the licence; or
(d) if any of the conditions of the licence has been contravened; or
(e) if the holder of the licence has failed to comply with a notice under sub-section (1) requiring him to deliver-up the licence.
(4) The licensing authority may also revoke a licence on the application of the holder thereof.
(5) where the licensing authority makes an order varying the conditions of a licence under sub-section (1) or an order suspending or revoking a licence under sub-section (3), it shall record in writing the reasons therefor and furnish to the holder of the licence on demand a brief statement of the same unless in any case the licensing authority is of the opinion that it will not be in the public interest to furnish such statement.
(6) A court convicting the holder of a licence of any offence under this Act or the rules made thereunder may also suspend or revoke a licence:
Provided that if the conviction is set aside on appeal or otherwise, the suspension or revocation shall become void.
(7) An order of suspension or revocation under sub-section (6) may also be made by an appellate court or by the High Court when exercising its powers of revision.
(8) The Central Government may, by order in the Official Gazette, suspend or revoke, or direct any licensing authority to suspend or revoke, all or any licences granted under this .Act throughout India or any part thereof.
(9) On the suspension or revocation of a licence under this section the holder thereof shall without delay surrender the licence to the authority by whom it has been suspended or revoked or to such other authority as may be specified in this behalf in the order of suspension or revocation.