जब लिखत रद्द की गई या शून्य अथवा शून्यकरणीय होने के रूप में सफलतापूर्वक प्रतिरोधित की गई, तो प्रत्यावर्तित किये जाने वाले फायदे या दिये जाने वाले प्रतिकर की अपेक्षा करने की शक्ति(Power to require benefit to be restored or compensation to be made when instrument is cancelled or is successfully resisted as being void or voidable)
Updated: Feb, 11 2021
33. जब लिखत रद्द की गई या शून्य अथवा शून्यकरणीय होने के रूप में सफलतापूर्वक प्रतिरोधित की गई, तो प्रत्यावर्तित किये जाने वाले फायदे या दिये जाने वाले प्रतिकर की अपेक्षा करने की शक्ति -
(1) किसी लिखत का रद्दकरण न्यायनिर्णीत करने पर, न्यायालय उस पक्षकार से, जिसे ऐसा अनुतोष अनुदत्त किया गया है, अपेक्षा कर सकेगा कि वह दूसरे पक्षकार को ऐसा कोई फायदा जो उसने उस पक्षकार से प्राप्त किया हो यावत्शक्य प्रत्यावर्तित करे और उसे ऐसा प्रतिकर दे, जो न्याय द्वारा अपेक्षित हो ।
(2) जहां कि प्रतिवादी किसी वाद का सफलतापूर्वक इस आधार पर प्रतिरोध करे -
(क) कि वह लिखत, जिसे वाद में उसके विरुद्ध प्रवर्तित कराना ईप्सित है, शून्यकरणीय है, वहां यदि प्रतिवादी ने दूसरे पक्षकार से लिखत के अधीन कोई फायदा प्राप्त किया हो जो न्यायालय ऐसा फायदा उस पक्षकार की यावत्शक्य प्रत्यावर्तित करने या उसके लिए प्रतिकर देने की उससे अपेक्षा कर सकेगा ;
(ख) कि वह करार, जिस वाद में उसके विरुद्ध प्रवर्तित कराना ईप्सित है, भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 (1872 का 9) की धारा 11 के अधीन संविदा करने में, उसके सक्षम न होने के कारण शून्य है, वहां, यदि प्रतिवादी ने दूसरे पक्षकार से करार के अधीन कोई फायदा प्राप्त किया हो तो न्यायालय ऐसा फायदा उस पक्षकार को यावत्शक्य, उस विस्तार तक प्रत्यावर्तित करने की उससे अपेक्षा कर सकेगा जहां तक कि उसे या उसकी संपदा का तद्द्वारा फायदा पहुंचा हो ।
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