स्थावर सम्पत्ति के विक्रय या पद्टे के लिये संविदाओं ऐसी संविदाओं का कतिपय परिस्थितियों में विखंडन, जिनके विनिर्दिष्ट पालन की डिक्री की जा चुकी हैै (Rescission in certain circumstances of contracts for the sale or lease of immovable property, the specific performance of which has been decreed)
Updated: Feb, 11 2021
28. स्थावर सम्पत्ति के विक्रय या पद्टे के लिये संविदाओं ऐसी संविदाओं का कतिपय परिस्थितियों में विखंडन, जिनके विनिर्दिष्ट पालन की डिक्री की जा चुकी हैै -
(1) जहां कि किसी वाद में स्थावर सम्पत्ति के विक्रय या पट्टे पर दिए जाने की संविदा के विनिर्दिष्ट पालन की डिक्री की जा चुकी हो और क्रेता या पद्टेदार डिक्री द्वारा अनुज्ञात कालावधि के भीतर या ऐसी अतिरिक्त कालावधि के भीतर, जो न्यायालय अनुज्ञात करे, विक्रय धन या अन्य राशि, जिसे देने के लिए न्यायालय ने उसे आदेश दिया हो, न दे वहां विक्रेता या पट्टाकर्ता उसी वाद में जिसमें डिक्री की गई है, संविदा के विखंडित किए जाने का आवेदन कर सकेगा और ऐसे आवेदन पर न्यायालय आदेश द्वारा संविदा को, या तो वहां तक जहां तक कि व्यतिक्रम करने वाले पक्षकार का सम्बन्ध है, या सम्पूर्णत: जैसा भी मामले में न्याय द्वारा अपेक्षित हो, विखंडित कर सकेगा ।
(2) जहां कि उपधारा (1) के अधीन संविदा विखंडित कर दी गई हो, वहां न्यायालय -
(क) यदि क्रेता या पट्टेदार ने संविदा के अधीन सम्पत्ति का कब्जा अभिप्राप्त कर लिया हो, तो न्यायालय उसे निदेश देगा कि वह विक्रेता या पट्टाकर्ता को कब्जा प्रत्यावर्तित कर दे ; तथा
(ख) ऐसे सब भाटकों और लाभों का संदाय जो सम्पत्ति के सम्बन्ध में उस तारीख से जिसको क्रेता या पद्टेदार द्वारा ऐसा कब्जा अभिप्राप्त किया गया था, विक्रेता या पट्टाकर्ता को कब्जे के प्रत्यावर्तन तक प्रोद्भूत हुए हों, विक्रेता या पट्टाकर्ता को किए जाने के लिए और यदि मामले में न्याय द्वारा ऐसा अपेक्षित हो, तो संविदा के सम्बन्ध में अग्रिम धन या निक्षेप के तौर पर क्रेता या पट्टेदार द्वारा दी गई किसी राशि के प्रतिदाय के लिए निदेश दे सकेगा ।
(3) यदि क्रेता या पट्टेदार ऐसा क्रय धन या अन्य राशि, जिसको उसे डिक्री द्वारा उपधारा (1) में निर्दिष्ट कालावधि के भीतर देने का आदेश दिया गया हो, दे दें तो न्यायालय उसी वाद में किए गए आवेदन पर क्रेता या पट्टेदार को ऐसा अतिरिक्त अनुतोष दिला सकेगा जिसका वह हकदार हो और जिसके अन्तर्गत समुचित मामलों में निम्नलिखित में से सब या कोई अनुतोष भी आता है, अर्थात् :--
(क) विक्रेता या पट्टाकर्ता द्वारा उचित हस्तान्तर पत्र या पट्टे का निष्पादन ;
(ख) ऐसे हस्तान्तर पत्र या पद्टे के निष्पादन पर सम्पत्ति के कब्जे का या विभाजन और पृथक् कब्जे का परिदान ।
(4) ऐसे किसी अनुतोष के बारे में, जिसका इस धारा के अधीन दावा किया जा सके, कोई पृथक् वाद जो, यथास्थिति, विक्रेता, क्रेता या पट्टाकर्ता या पद्टेदार की प्रेरणा पर लाया गया हो, ग्राह्म नहीं होगा ।
(5) इस धारा के अधीन की किसी भी कार्यवाही के खर्च न्यायालय के विवेकाधिकार में होंगे ।
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