कतिपय दशाओं में प्रतिकर अधिनिर्णीत करने की शक्ति (Power to award compensation in certain cases)
Updated: Feb, 11 2021
21. कतिपय दशाओं में प्रतिकर अधिनिर्णीत करने की शक्ति -
(1) किसी संविदा के विनिर्दिष्ट पालन के वाद में वादी, ऐसे पालन के या तो अतिरिक्त या स्थान पर उसके भंग के लिए प्रतिकर का भी दावा कर सकेगा ।
(2) यदि किसी ऐसे वाद में, न्यायालय यह विनिश्चय करे कि विनिर्दिष्ट पालन तो अनुदत्त नहीं किया जाना चाहिए किन्तु पक्षकार के बीच ऐसी संविदा है जो प्रतिवादी द्वारा भंग की गई है और वादी उस भंग के लिए प्रतिकर पाने का हकदार है, तो वह उसे तदनुसार वैसा प्रतिकर दिलाएगा ।
(3) यदि किसी ऐसे वाद में, न्यायालय यह विनिश्चय करे कि विनिर्दिष्ट पालन तो अनुदत्त किया जाना चाहिए किन्तु उस मामले में न्याय की तुष्टि के लिए इतना ही पर्याप्त नहीं है और संविदा के भंग के लिए वादी को कुछ प्रतिकर भी दिया जाना चाहिए तो वह तदनुसार उसको ऐसा प्रतिकर दिलाएगा ।
(4) इस धारा के अधीन अधिनिर्णीत किसी प्रतिकर की रकम के अवधारण में न्यायालय, भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 (1872 का 9) की धारा 73 में विनिर्दिष्ट सिद्धांतों द्वारा मार्गदर्शित होगा ।
(5) इस धारा के अधीन कोई प्रतिकर नहीं दिलाया जाएगा जब तब कि वादी ने अपने वादपत्र में ऐसे प्रतिकर का दावा न किया हो :
परन्तु जहां वादपत्र में वादी ने किसी ऐसे प्रतिकर का दावा न किया हो वहां न्यायालय कार्यवाही के किसी भी प्रक्रम में वादी को वादपत्र में ऐसे प्रतिकर का दावा अन्तर्गत करने के लिए संशोधित करने की अनुज्ञा ऐसे निबन्धनों पर देगा जैसे न्यायसंगत हों ।
स्पष्टीकरण - यह परिस्थिति कि संविदा विनिर्दिष्ट पालन के अयोग्य हो गई है न्यायालय को इस धारा द्वारा प्रदत्त अधिकारिता के प्रयोग से प्रवारित नहीं करती ।
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