फेरफार किए बिना अप्रवर्तन (Non-enforcement except with variation)
Updated: Feb, 11 2021
18. फेरफार किए बिना अप्रवर्तन -
जहां कि वादी ऐसी किसी लिखित संविदा का विनिर्दिष्ट पालन कराना चाहता है, जिसमें प्रतिवादी फेरफार होना अभिकथित करता है, वादी ऐसे अभिकथित फेरफार के बिना ईप्सित पालन निम्नलिखित दशाओं में अभिप्राप्त नहीं कर सकता, अर्थात् :-
(क) जहां कपट, तथ्य की भूल या दुर्व्यपदेशन द्वारा लिखित संविदा जिसका पालन ईप्सित है उसके निबन्धनों या प्रभाव में उससे भिन्न है जिससे कि पक्षकारों ने करार किया था या पक्षकारों के मध्य करारित समस्त निबन्धन जिनके आधार पर प्रतिवादी ने संविदा की थी, अन्तर्विष्ट न हों;
(ख) जहां पक्षकरों का उद्देश्य कतिपय विधिक परिणाम उत्पन्न करना था जो यथा विरचित संविदा से उत्पन्न होना परिकल्पित न हों;
(ग) जहां पक्षकरों ने संविदा के निष्पादन मेंं तत्पश्चात् उसके निबन्धनों में फेरफार कर दिया हो।
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