अनुतोष का वैयक्तिक वर्जन (Personal bars to relief)
Updated: Feb, 11 2021
16. अनुतोष का वैयक्तिक वर्जन -
किसी संविदा का विनिर्दिष्ट पालन किसी व्यक्ति के पक्ष में प्रवर्तित नहीं कराया जा सकता --
(क) जिसने धारा 20 के अधीन संविदा का प्रतिस्थापित पालन अभिप्राप्त कर लिया है; या
(ख) जो संविदा के अत्यावश्यक निबंधन जिसका उसकी ओर से पालन किया जाना बाकी हो, का पालन करने में असमर्थ हो गया हो या उसका अतिक्रमण करे या संविदा के प्रति कपट का कार्य करे, या संविदा द्वारा स्थापित किये जाने के लिये आशयित संबंध, से विसंवादी या का ध्वसंक कार्य जानबूझकर करे; या
(ग) जो यह साबित करने में विफल रहे कि संविदा के अत्यावश्यक निबंधन जो उसके द्वारा पालन किये जाने हैं, का उसने पालन कर दिया है या पालन करने को सदा तैयार और रजामंद रहा है, उन निबंधनों से भिन्न जिनका पालन प्रतिवादी द्वारा निवारित या अधित्यक्त किया गया है।
स्पष्टीकरण -- खण्ड (ग) के प्रयोजनों के लिये :-
(i) जहाँ किसी संविदा में धन का संदाय अन्तर्वलित हो, वादी के लिये यह आवश्यक नहीं है कि कोई धन वास्तविक रूप में प्रतिवादी को निविदान करे या न्यायालय में निक्षेप करे सिवाय जबकि न्यायालय द्वारा ऐसा निदेशित किया गया हो;
(ii) वादी को संविदा का शुद्ध अर्थान्वयन के अनुसार पालन कर लेना, या पालन करने को तैयार तथा रजामंद होना साबित करना होगा ।
16. Personal bars to relief
Specific performance of a contract cannot be enforced in favour of a person--
(a) who has obtained substituted performance of contract under section 20; or
(b) who has become incapable of performing, or violates any essential term of, the contract that on his part remains to be performed, or acts in fraud of the contract, or wilfully acts at variance with, or in subversion of, the relation intended to be established by the contract; or
(c) who fails to prove that he has performed or has always been ready and willing to perform the essential terms of the contract which are to be performed by him, other than terms the performance of which has been prevented or waived by the defendant.
Explanation -- For the purposes of clause (c):-
(i) where a contract involves the payment of money, it is not essential for the plaintiff to actually tender to the defendant or to deposit in court any money except when so directed by the court;
(ii) the plaintiff must prove performance of, or readiness and willingness to perform, the contract according to its true construction.