Updated: Mar, 13 2020

6. चिकित्सीय सहायता और देखरेख -

(1) जब भी कोई एसजेपीयू, या स्थानीय पुलिस अधिकारी द्वारा अधिनियम की धारा 19 के अधीन यह सूचना प्राप्त की जाती है कि अधिनियम के अधीन अपराध किया गया है और उसका यह समाधान हो जाता है कि जिस बालक के खिलाफ अपराध किया गया है उसे तत्काल चिकित्सीय देखरेख और सुरक्षा की आवश्यकता है, तो जैसा भी मामला हो, वह अधिकारी या स्थानीय पुलिस, ऐसी सूचना प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर, ऐसे बालक को सबसे निकट के अस्पताल या चिकित्सीय सेवा सुविधा केन्द्र में उसके चिकित्सीय देखभाल के लिए ले जाने का प्रबंध करेगी:

परंतु यदि अधिनियम की धारा 3,5,7, या 9 के अधीन अगर अपराध किया गया हो, तो पीड़ित को आपातकालीन चिकित्सा सेवा के लिए भेजा जाएगा।

(2) माता-पिता या संरक्षक या जिस पर बालक को विश्वास हो की उपस्थिति में आपातकालीन चिकित्सीय सेवा इस तरह प्रदान की जाएगी कि बालक की निजता सुरक्षित रहे।

(3) बालक को आपातकालीन सेवा प्रदान करने वाला कोई भी चिकित्सक, अस्पताल या अन्य चिकित्सीय सुविधा केन्द्र ऐसी सेवा प्रदान करने के पूर्व आवश्यक दस्तावेज के रूप में कानूनी या मजिस्ट्रेट की अनुमति या अन्य दस्तावेजों की मांग नहीं करेगा।

(4) सेवा प्रदान करने वाला रजिस्ट्रीकृत चिकित्सक बालक की जांच करने के साथ निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करेगा:

(क) अन्य जननांग चोटों सहित कटने-फटने और चोटों के लिए उपचार, यदि कोई हो;

(ख) पहचान किए गए एसटीडी के लिए प्रोफिलैक्सिस सहित यौन संचारित रोगों (एसटीडी) के संपर्क में आने का उपचार;

(ग) संक्रामक रोग विशेषज्ञों से आवश्यक परामर्श के बाद एचआईवी के लिए प्रोफिलैक्सिस सहित ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) के संपर्क में आने का उपचार;

(घ) प्यूबर्टल (तरूण अवस्था प्राप्त योग्य ) बालक और उसके माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति के जिसमें बालक को भरोसा और आत्मविश्वास हो के साथ संभावित गर्भावस्था और आपातकालीन गर्भ निरोधकों के बारे में चर्चा की जानी चाहिए; और

(ड.) जब कभी आवश्यक हो, मानसिक या मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं, या अन्य परामर्श, या नशीली दवाओं की लत छुड़ाने की सेवा और कार्यक्रमों के लिए एक रेफरल या परामर्श किया जाना
चाहिए। 

(5) रजिस्ट्रीकृत चिकित्सक एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस को बालक की स्थिति के बारे में 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट दे सकता है।

(6) आपातकालीन चिकित्सीय सेवा प्रदान किए जाने के दौरान संग्रह किए गए कोई भी फॉरेंसिक प्रमाण आवश्यक रूप से अधिनियम की धारा 27 के अधीन संग्रह किए जाने चाहिए।

(7) अगर बच्ची गर्भवती पाई जाती है तो रजिस्ट्रीकृत चिकित्सक बालक और बालक के माता-पिता या संरक्षक उसकी सहायता करने वाले व्यक्ति को गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिनियम, 1971 और किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अनुसार विभिन्न विधिपूर्ण विकल्पों के बारे में परामर्श देगा।

(8) अगर बच्चा ड्रग्स या अन्य नशीले पदार्थों के सेवन करने का शिकार पाया गया है तो बालक की नशा मुक्ति कार्यक्रम तक पहुंच सुनिश्चित की जाएगी।

(9) यदि बालक (विकलांग जन) दिव्यांग है तो दिव्यांगजन का अधिकार अधिनियम, 2016 (2016 का 49) के उपबंधों के अधीन उसकी समुचित उपाय और देखरेख की जाएगी

6. Medical aid and care.––

(1) Where an officer of the SJPU, or the local police receives information under section 19 of the Act that an offence under the Act has been committed, and is satisfied that the child against whom an offence has been committed is in need of urgent medical care and protection, such officer, or as the case may be, the local police shall, within 24 hours of receiving such information, arrange to take such child to the nearest hospital or medical care facility center for emergency medical care:

Provided that where an offence has been committed under sections 3, 5, 7 or 9 of the Act, the victim shall be referred to emergency medical care.

(2) Emergency medical care shall be rendered in such a manner as to protect the privacy of the child, and in the presence of the parent or guardian or any other person in whom the child has trust and confidence.

(3) No medical practitioner, hospital or other medical facility center rendering emergency medical care to a child shall demand any legal or magisterial requisition or other documentation as a pre-requisite to rendering such care.

(4) The registered medical practitioner rendering medical care shall attend to the needs of the child, including:

(a) treatment for cuts, bruises, and other injuries including genital injuries, if any;

(b) treatment for exposure to sexually transmitted diseases (STDs) including prophylaxis for identified STDs;

(c) treatment for exposure to Human Immunodeficiency Virus (HIV), including prophylaxis for HIV after necessary consultation with infectious disease experts;

(d) possible pregnancy and emergency contraceptives should be discussed with the pubertal child and her parent or any other person in whom the child has trust and confidence; and,

(e) wherever necessary, a referral or consultation for mental or psychological health needs, or other counseling, or drug de-addiction services and programmes should be made.

(5) The registered medical practitioner shall submit the report on the condition of the child within 24 hrs to the SJPU or Local Police.

(6) Any forensic evidence collected in the course of rendering emergency medical care must be collected in accordance with section 27 of the Act.

(7) If the child is found to be pregnant, then the registered medical practitioner shall counsel the child, and her parents or guardians, or support person, regarding the various lawful options available to the child as per the Medical Termination of Pregnancy Act 1971 and the Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act 2015 (2 of 2016).

(8) If the child is found to have been administered any drugs or other intoxicating substances, access to drug de addiction programme shall be ensured.

(9) If the Child is a divyang (person with disability), suitable measure and care shall be taken as per the provisions of The Rights of Persons with Disabilities Act, 2016 (49 of 2016).