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- Protection of Children from Sexual Offences Rules, 2020 [Hindi & English]
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3. जानकारी का सृजन और क्षमता निर्माण -
(1) केंद्रीय सरकार, या जैसा भी मामला हो, राज्य सरकार बालकों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं की जानकारी देते हुए आयु-अनुकूल शैक्षिक सामग्री और पाठ्यक्रम तैयार करेगी, जिसमें निम्नलिखित शामिल है
(i) उनकी शारीरिक और आभासी पहचान की सुरक्षा; और उनकी भावनात्मक तथा मानसिक भलाई की रक्षा करने के लिए उपाय;
(ii) लैंगिक अपराधों से निवारण और संरक्षण;
(iii) चाइल्ड हेल्पलाइन -1098 सेवाओं सहित रिपोर्टिंग तंत्र;
(iv) अधिनियम के अधीन अपराधों की प्रभावी निवारण के लिए लैंगिक संवेदनशीलता, लैंगिक समानता और लैंगिक साम्या को अंतरनिविष्ट करना।
(2) सभी सार्वजनिक स्थानों जैसे पंचायत भवनों, सामुदायिक केंद्रों, स्कूलों और महाविद्यालयों, बस टर्मिनलों, रेलवे स्टेशनों, सभा स्थलों, हवाई अड्डों, टैक्सी स्टैंडों, सिनेमा हॉलों और ऐसे अन्य प्रमुख स्थानों पर संबंधित सरकारों द्वारा उपयुक्त सामग्री और सूचना प्रसारित की जा सकेगी तथा इंटरनेट और सोशल मीडिया जैसे आभासी स्थानों में उपयुक्त रूप में भी प्रसारित की जा सकेगी।
(3) केंद्रीय सरकार और प्रत्येक राज्य सरकार संभावित जोखिम और भेद्यताओं, दुर्व्यवहार के संकेतों, अधिनियम के अधीन बालकों के अधिकारों के बारे में जानकारी के साथ ही बालकों के लिए उपलब्ध सेवाओं के उपयोग के बारे में जानकारी फैलाने के लिए सभी उपयुक्त उपाय करेगी।
(4) बालकों के आवास वाली या स्कूलों, क्रेचों, खेल अकादमियों या बालकों के लिए किसी अन्य सुविधा सहित बालकों के नियमित संपर्क में आने वाली किसी भी संस्था को बालकों के संपर्क में आने वाले प्रत्येक कर्मचारी, शिक्षण या गैर-शिक्षण, नियमित या संविदात्मक, या ऐसे संस्थान का कर्मचारी होने के नाते किसी अन्य व्यक्ति की समयसमय पर पुलिस सत्यापन और पृष्ठभूमि की जांच सुनिश्चित करनी चाहिए। ऐसे संस्थान यह भी सुनिश्चित करेंगे कि बालक सुरक्षा और संरक्षण पर उन्हें संवेदनशील बनाने के लिए आवधिक प्रशिक्षण आयोजित किया जाए।
(5) संबंधित सरकारें बालकों के विरूद्ध हिंसा के प्रति शून्य-सहिष्णुता के सिद्धांत के आधार पर एक बालक संरक्षण नीति तैयार करेंगी, जिसका बालकों के लिए कार्य करने वाले या संपर्क में आने वाले सभी संस्थानों, संगठनों या किसी अन्य एजेंसी द्वारा पालन किया जाएगा।
(6) केंद्रीय सरकार और प्रत्येक राज्य सरकार बालकों के संपर्क में आने वाले सभी व्यक्तियों को चाहे वे नियमित हों या संविदात्मक, समय-समय पर बालक सुरक्षा और संरक्षण के बारे में जागरूक करने और अधिनियम के अधीन उनकी जिम्मेदारी के बारे में शिक्षित करने के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम, संवेदीकरण कार्यशालाएं और पुनश्चर्या पाठ्यक्रम सहित प्रशिक्षण प्रदान करेगी। पुलिस कार्मिकों और फॉरेंसिक विशेषज्ञों की संबंधित भूमिकाओं में उनकी क्षमता के निर्माण हेतु नियमित आधार पर अभिविन्यास कार्यक्रम और गहन पाठ्यक्रम भी आयोजित किए जा सकेंगे।
3. Awareness generation and capacity building.–
(1) The Central Government, or as the case may be, the State Government shall prepare age-appropriate educational material and curriculum for children, informing them about various aspects of personal safety, including––
(i) measures to protect their physical, and virtual identity; and to safeguard their emotional and mental wellbeing;
(ii) prevention and protection from sexual offences;
(iii) reporting mechanisms, including Child helpline-1098 services;
(iv) inculcating gender sensitivity, gender equality and gender equity for effective prevention of offences under the Act.
(2) Suitable material and information may be disseminated by the respective Governments in all public places such as panchayat bhavans, community centers, schools and colleges, bus terminals, railway stations, places of congregation, airports, taxi stands, cinema halls and such other prominent places and also be disseminated in suitable form in virtual spaces such as internet and social media.
(3) The Central Government and every State Government shall take all suitable measures to spread awareness about possible risks and vulnerabilities, signs of abuse, information about rights of children under the Act along with access to support and services available for children.
(4) Any institution housing children or coming in regular contact with children including schools, creches, sports academies or any other facility for children must ensure a police verification and background check on periodic basis, of every staff, teaching or non-teaching, regular or contractual, or any other person being an employee of such Institution coming in contact with the child. Such Institution shall also ensure that periodic training is organised for sensitising them on child safety and protection.
(5) The respective Governments shall formulate a child protection policy based on the principle of zero-tolerance to violence against children, which shall be adopted by all institutions, organizations, or any other agency working with, or coming in contact with children.
(6) The Central Government and every State Government shall provide periodic trainings including orientation programmes, sensitization workshops and refresher courses to all persons, whether regular or contractual, coming in contact with the children, to sensitize them about child safety and protection and educate them regarding their responsibility under the Act. Orientation programme and intensive courses may also be organized for police personnel and forensic experts for building their capacities in their respective roles on a regular basis.