संविदा के भाग का विनिर्दिष्ट पालन (Specific performance of part of contract)
Updated: Mar, 21 2020
12. संविदा के भाग का विनिर्दिष्ट पालन -
(1) इस धारा में इसके पश्चात् अन्यथा उपबंधित के सिवाय, न्यायालय किसी संविदा के किसी भाग का विनिर्दिष्ट पालन निदेशित नहीं करेगा।
(2) जहाँ किसी संविदा का कोई पक्षकार उसमें के उसके सम्पूर्ण भाग का पालन करने में असमर्थ हो किन्तु वह भाग जो अपालित रह जाना है मूल्य में पूरे भाग के अनुपात में बहुत कम हो और धन के रूप में प्रतिकर हो सकता है, तो न्यायालय, दोनों में से किसी पक्षकार के वाद पर, संविदा का उतना विनिर्दिष्ट पालन करने का निदेश दे सकेगा जितना पालन किया जा सकता है और कमी के लिये धन के रूप में प्रतिकर अधिनिर्णीत कर सकेगा।
(3) जहाँ किसी संविदा का कोई पक्षकार उसमें के उसके सम्पूर्ण भाग का पालन करने में असमर्थ हो, और वह भाग जो अपालित रह जाना है या तो -
(क) सम्पूर्ण का कोई प्रचुर भाग हो यद्यपि धन के रूप में प्रतिकर हो सकता हो; या
(ख) धन के रूप में प्रतिकर नहीं हो सकता हो, तो वह विनिर्दिष्ट पालन के लिये कोई डिक्री प्राप्त करने का हकदार नहीं है किन्तु न्यायालय, दूसरे पक्षकार के वाद पर, व्यतिक्रम करने वाले पक्षकार को संविदा के उतने भाग का विनिर्दिष्टतः पालन करने का निदेश दे सकेगा जितना वह पालन कर सकता है, यदि दूसरा पक्षकार -
(i) खण्ड (क) के अधीन आने वाली किसी दशा में, उस भाग के लिये जो अपालित रह जाना है, प्रतिफल घटाकर, संविदा के सम्पूर्ण के लिये करारित प्रतिफल दे दे या दे चुका हो और खण्ड (ख) के अधीन आने वाली किसी दशा में, बिना किसी कमी के संविदा के सम्पूर्ण के लिये प्रतिफल [दे दे या दे चुका हो]; और
(ii) दोनों में से प्रत्येक दशा में, संविदा के बाकी भाग के पालन के समस्त दावों और या तो कमी के लिये या प्रतिवादी के व्यतिक्रम के कारण उसके द्वारा उठाई गई हानि या नुकसान के लिये, प्रतिकर के समस्त अधिकारों, को त्याग दे।
(4) जब किसी संविदा का कोई भाग, जो उसके स्वयं के द्वारा लिया जाए, का विनिर्दिष्टतः पालन किया जा सकता है और किया ही जाना चाहिए, उसी संविदा के अन्य भाग, जिसका विनिर्दिष्टतः पालन नहीं किया जा सकता या किया ही नहीं जाना चाहिए, से पृथक् और स्वतंत्र आधार पर खड़ा हो तो न्यायालय पूर्ववर्ती भाग के विनिर्दिष्ट पालन का निदेश दे सकेगा।
स्पष्टीकरण - इस धारा के प्रयोजनों के लिये, किसी संविदा का कोई पक्षकार, उसमें के उसके सम्पूर्ण भाग का पालन करने में असमर्थ माना जाएगा यदि उसकी विषय-वस्तु का कोई भाग संविदा की दिनांक को विद्यमान हो, उसके पालन के समय विद्यमान न रह जाए।
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