संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ (Short title, extent and commencement)
Updated: Apr, 21 2019
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005
(2005 का अधिनियम संख्यांक 22)
प्रत्येक लोक प्राधिकारी के कार्यकरण में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के संवर्धन के लिये, लोक प्राधिकारियों के नियंत्रणाधीन सूचना तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिये नागरिकों के सूचना के अधिकार की व्यावहारिक शासन पद्धति स्थापित करने, एक केन्द्रीय सूचना आयोग तथा राज्य सूचना आयोग का गठन करने और उनसे संबंधित या उनसे आनुषंगिक विषयों का उपबंध करने के लिये अधिनियम ।
भारत के संविधान ने लोकतंत्रात्मक गणराज्य की स्थापना की है;
और लोकतंत्र शिक्षित नागरिक वर्ग तथा ऐसी सूचना की पारदर्शिता की अपेक्षा करता है, जो उसके कार्यकरण तथा भ्रष्टाचार को रोकने के लिये भी और सरकारों तथा उनके परिकरणों को शासन के प्रति उत्तरदायी बनाने के लिये अनिवार्य है;
और वास्तविक व्यवहार में सूचना के प्रकटन से संभवत: अन्य लोक हितों, जिनके अंतर्गत सरकारों के दक्ष प्रचालन, सीमित राज्य वित्तीय संसाधनों के अधिकतम उपयोग और संवेदनशील सूचना की गोपनीयता को बनाए रखना भी है, के साथ विरोध हो सकता है;
और लोकतंत्रात्मक आदर्श की प्रभुता को बनाए रखते हुए इन विरोधी हितों के बीच सामंजस्य बनाना आवश्यक है;
अत:, अब यह समीचीन है कि ऐसे नागरिकों को, कतिपय सूचना देने के लिये, जो उसे पाने के इच्छुक हैं, उपलब्ध किया जाए;
भारत गणराज्य के छप्पनवें वर्ष में संसद द्वारा निम्म्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :–
अध्याय-1 प्ररंभिक
1. संक्षिप्त नाम विस्तार और प्रारंभ – (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 है।
(2) इसका विस्तार जम्मू कश्मीर राज्य के सिवाय संपूर्ण भारत पर है ।
(3) धारा 4 की उपधारा (1) धारा 5 की उपधारा (1) और उपधारा (2) धारा 12 धारा 13 धारा 15 धारा 16 धारा 24 धारा 27 और धारा 28 के उपबंध तुरन्त प्रभावी होंगे और इस अधिनियम के शेष उपबंध इसके अधिनियमन के एक सौ बीसवें दिन को प्रवृत्त होंगे |
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Right to Information Act, 2005 (No. 22 of 2005)
[15th June, 2005]
An Act to provide for setting out the practical regime of right to information for citizens to secure access to information under the control of public authorities, in order to promote transparency and accountability in the working of every public authority, the constitution of a Central Information Commission and State Information Commissions and for matters connected therewith or incidental thereto.
WHEREAS the Constitution of India has established democratic Republic;
AND WHEREAS democracy requires an informed citizenry and transparency of information which are vital to its functioning and also to contain corruption and to hold Governments and their instrumentalities accountable to the governed;
AND WHEREAS revelation of information in actual practice is likely to conflict with other public interests including efficient operations of the Governments, optimum use of limited fiscal resources and the preservation of confidentiality of sensitive information;
AND WHEREAS it is necessary to harmonise these conflicting interests while preserving the paramountcy of the democratic ideal;
NOW, THEREFORE, it is expedient to provide for furnishing certain information to citizens who desire to have it.
BE it enacted by Parliament in the Fifty-sixth Year of the Republic of India as follows:-
Chapter- 1 Preliminary
1. Short title, extent and commencement. -(1) This Act may be called the Right to Information Act, 2005.
(2) It extends to the whole of India except the State of Jammu and Kashmir.
(3) The provisions of sub-section (1) of Section 4, sub-sections (1) and (2) of Section 5, Sections 12, 13, 15, 16, 24, 27 and 28 shall come into force at once and the remaining provisions of this Act shall come into force on the one hundred and twentieth day of its enactment.
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