463. धारा 164 या धारा 281 के उपबंधों का अननुपालन --
(1) यदि कोई न्यायालय, जिसके समक्ष अभियुक्त व्यक्ति की संस्वीकृति या अन्य कथन, जो धारा 164 या धारा 281 के अधीन अभिलिखित है या अभिलिखित होना तात्पर्यत है, साक्ष्य में दिया जाता है या लिया जाता है, इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि कथन अभिलिखित करने वाले मजिस्ट्रेट द्वारा इन धाराओं में से किसी धारा के किसी उपबंध का अनुपालन नहीं किया गया है तो वह, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1872 का 1) की धारा 91 में किसी बात के होते हुए भी, ऐसे अननुपालन के बारे में साक्ष्य ले सकता है और यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि ऐसे अननुपालन से अभियुक्त की, गुणागुण विषयक बातों पर अपनी प्रतिरक्षा करने में कोई हानि नहीं हुई है और उसने अभिलिखित कथन सम्यक् रूप से किया था, तो ऐसे कथन को ग्रहण कर सकता है।
(2) इस धारा के उपबंध अपील, निर्देश और पुनरीक्षण न्यायालयों को लागू होते हैं।
463. Non-compliance with provisions of section 164 or section 281 ---
(1) If any Court before which a confession or other statement of an accused person recorded, or purporting to be recorded under section 164 or section 281, is tendered, or has been received, in evidence finds that any of the provisions of either of such sections have not been complied with by the Magistrate recording the statement, it may, notwithstanding anything contained in section 91 of the Indian Evidence Act, 1872 (1 of 1872), take evidence in regard to such non-compliance and may, if satisfied that such non-compliance has not injured the accused in his defence on the merits and that he duly made the statement recorded, admit such statement.
(2) The provisions of this section apply to Courts of appeal, reference and revision.