457. संपत्ति के अभिग्रहण पर पुलिस द्वारा प्रक्रिया --
(1) जब कभी किसी पुलिस अधिकारी द्वारा किसी संपत्ति के अभिग्रहण की रिपोर्ट इस संहिता के उपबंधों के अधीन मजिस्ट्रेट को की जाती है और जांच या विचारण के दौरान ऐसी संपत्ति दण्ड न्यायालय के समक्ष पेश नहीं की जाती है तो मजिस्ट्रेट ऐसी संपत्ति के व्ययन के, या उस पर कब्जा करने के हकदार व्यक्ति को ऐसी संपत्ति का परिदान किए जाने के बारे में या यदि ऐसा व्यक्ति अभिनिश्चित नहीं किया जा सकता है तो ऐसी संपत्ति की अभिरक्षा और पेश किए जाने के बारे में ऐसा आदेश कर सकता है जो वह ठीक समझे।
(2) यदि ऐसा हकदार व्यक्ति ज्ञात है, तो मजिस्ट्रेट वह संपत्ति उसे उन शर्तों पर (यदि कोई हो), जो मजिस्ट्रेट ठीक समझे, परिदत्त किए जाने का आदेश दे सकता है और यदि ऐसा व्यक्ति अज्ञात है तो मजिस्ट्रेट उस संपत्ति को निरुद्ध, कर सकता है और ऐसी दशा में एक उद्घोषणा जारी करेगा, जिसमें उस संपत्ति की अंगभूत वस्तुओं का विनिर्देश हो, और जिसमें किसी व्यक्ति से, जिसका उसके ऊपर दावा है, यह अपेक्षा की गई हो कि वह उसके समक्ष हाजिर हो और ऐसी उद्घोषणा की तारीख से छह मास के अन्दर अपने दावे को सिद्ध करे।
457. Procedure by police upon seizure of property -
(1) Whenever the seizure of property by any police officer is reported to a Magistrate under the provisions of this Code and such property is not produced before a Criminal Court during an inquiry or trial, the Magistrate may make such order as he thinks fit respecting the disposal of such property or the delivery of such property to the person entitled to the possession thereof, or if such person cannot be ascertained, respecting the custody and production of such property.
(2) If the person so entitled is known, the Magistrate may order the property to be delivered to him on such conditions (if any) as the Magistrate thinks fit and if such person is unknown, the Magistrate may detain it and shall, in such case, issue a proclamation specifying the articles of which such property consists and requiring any person who may have a claim thereto, to appear before him and establish his claim within six months from the date of such proclamation.