428. अभियुक्त द्वारा भोगी गई निरोध की अवधि का कारावास के दण्डादेश के विरुद्ध मुजरा किया जाना --
जहाँ अभियुक्त व्यक्ति दोषसिद्धि पर किसी अवधि के लिए कारावास से दण्डादिष्ट किया गया है, जो जुर्माने के संदाय में व्यतिक्रम के लिए कारावास नहीं है, वहाँ उसी मामले के अन्वेषण, जांच या विचारण के दौरान और ऐसी दोषसिद्धि की तारीख से पहले उसके द्वारा भोगे गए, यदि कोई हो, निरोध की अवधि का, ऐसी दोषसिद्धि पर उस पर अधिरोपित कारावास की अवधि के विरुद्ध मुजरा किया जाएगा और ऐसी दोषसिद्धि पर उस व्यक्ति का कारावास में जाने का दायित्व उस पर अधिरोपित कारावास की अवधि के शेष भाग तक, यदि कोई हो, निर्बन्धित किया जाएगा |
परन्तु धारा 433 क में निर्दिष्ट मामलों में निरोध की ऐसी अवधि का उस धारा में निर्दिष्ट चौदह वर्ष की अवधि के विरुद्ध मुजरा किया जाएगा ।
428. Period of detention undergone by the accused to be set off against the sentence of imprisonment —
Where an accused person has, on conviction, been sentenced to imprisonment for a term '[not being imprisonment in default of payment of fine, the period of detention, if any, undergone by him during the investigation, inquiry or trial of the same case and before the date of such conviction shall be set off again the term of imprisonment imposed on him on such conviction and the liability of such person to undergo imprisonment on such conviction shall be restricted to the remainder, if any, of the term of imprisonment imposed on him.
Provided that in cases referred to in section 433-A, such period of detention shall be set off against the period of fourteen years referred to in that section.