418. कारावास के दण्डादेश का निष्पादन --
(1) जहाँ उन मामलों से, जिनके लिए धारा 413 द्वारा उपबंध किया गया है, भिन्न मामलों में अभियुक्त आजीवन कारावास या किसी अवधि के कारावास के लिए दण्डादिष्ट किया गया है, वहाँ दण्डादेश देने वाला न्यायालय उस जेल या अन्य स्थान को, जिसमें वह परिरुद्ध है या उसे परिरुद्ध किया जाना है तत्काल वारण्ट भेजेगा और यदि अभियुक्त पहले से ही उस जेल या अन्य स्थान में परिरुद्ध नहीं है तो वारण्ट के साथ उसे ऐसी जेल या अन्य स्थान को भिजवाएगा :
परन्तु जहाँ अभियुक्त को न्यायालय के उठने तक के लिए कारावास का दण्डादेश दिया गया है, वहाँ वारण्ट तैयार करना या वारण्ट जेल को भेजना आवश्यक न होगा और अभियुक्त को ऐसे स्थान में, जो न्यायालय निदिष्ट करे, परिरुद्ध किया जा सकता है।
(2) जहाँ अभियुक्त न्यायालय में उस समय उपस्थित नहीं है जब उसे ऐसे कारावास का दण्डादेश दिया गया है जैसा उपधारा (1) में उल्लिखित है, वहाँ न्यायालय उसे जेल या ऐसे अन्य स्थान में, जहाँ उसे परिरुद्ध किया जाना है, भेजने के प्रयोजन से उसकी गिरफ्तारी के लिए वारण्ट जारी करेगा; और ऐसे मामले में दण्डादेश उसकी गिरफ्तारी की तारीख से प्रारंभ होगा।
418. Execution of sentence of imprisonment ---
(1) Where the accused is sentenced to imprisonment for life or to imprisonment for a term in cases other than those provided for by section 413, the Court passing the sentence shall forthwith forward a warrant to the jail or other place in which he is, or is to be, confined and, unless the accused is already confined in such jail or other place, shall forward him to such jail or other place, with the warrant :
Provided that where the accused is sentenced to imprisonment till the rising of the Court, it shall not be necessary to prepare or forward a warrant to a jail and the accused may be confined in such place as the Court may direct.
(2) Where the accused is not present in Court when he is sentenced to such imprisonment as is mentioned in sub-section (1), the Court shall issue a warrant for his arrest for the purpose of forwarding him to the jail or other place in which he is to be confined; and in such case, the sentence shall commence on the date of his arrest.