376. छोटे मामलों में अपील न होना --
धारा 374 में किसी बात के होते हुए भी, दोषसिद्ध व्यक्ति द्वारा कोई अपील निम्नलिखित में से किसी मामले में न होगी, अर्थात्--
(क) जहाँ उच्च न्यायालय केवल छह मास से अनधिक की अवधि के कारावास का या एक हजार रुपये से अनधिक जुर्माने का अथवा ऐसे कारावास और जुर्माने दोनों का, दण्डादेश पारित करता है;
(ख) जहाँ सेशन न्यायालय या महानगर मजिस्ट्रेट केवल तीन मास से अनधिक की अवधि के कारावास का या दो सौ रुपये से अनधिक जुर्माने का अथवा ऐसे कारावास और जुर्माने दोनों का, दण्डादेश पारित करता है;
(ग) जहाँ प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट केवल एक सौ रुपये से अनधिक जुर्माने का दण्डादेश पारित करता है; अथवा
(घ) जहाँ संक्षेपत: विचारित किसी मामले में, धारा 260 के अधीन कार्य करने के लिए सशक्त मजिस्ट्रेट केवल दो सौ रुपए से अनधिक जुर्माने का दण्डादेश पारित करता है : परन्तु यदि ऐसे किसी दण्डादेश के साथ कोई अन्य दण्ड मिला दिया गया है तो ऐसे दण्डादेश के विरुद्ध अपील की जा सकती है किन्तु वह केवल इस आधार पर अपीलनीय न हो जाएगा कि--
(i) दोषसिद्ध व्यक्ति को परिशांति कायम रखने के लिए प्रतिभूति देने का आदेश दिया गया है; अथवा
(ii) जुर्माने देने में व्यतिक्रम होने पर कारावास के निदेश को दण्डादेश में सम्मिलित किया गया है; अथवा
(iii) उस मामले में जुर्माने का एक से अधिक दण्डादेश पारित किया गया है, यदि अधिरोपित जुर्माने की कुल रकम उस मामले की बाबत इसमें इसके पूर्व विनिर्दिष्ट रकम से अधिक नहीं है।
376. No appeal in petty cases —
Notwithstanding anything contained in section 374, there shall be no appeal by a convicted person in any of the following cases, namely :
(a) where a High Court passes only a sentence of imprisonment for a term not exceeding six months or of fine not exceeding one thousand rupees, or of both such imprisonment and fine;
(b) where a Court of Session or a Metropolitan Magistrate passes only a sentence of imprisonment for a term not exceeding three months or of fine not exceeding two hundred rupees, or of both such imprisonment and fine;
(c) where a Magistrate of the first class passes only a sentence of fine not exceeding one hundred rupees; or
(d) where, in a case tried summarily, a Magistrate empowered to act under section 260 passes only a sentence of fine not exceeding two hundred rupees: Provided that an appeal may be brought against any such sentence if any other punishment is combined with it, but such sentence shall not be appealable merely on the ground
(i) that the person convicted is ordered to furnish security to keep the peace; or
(ii) that a direction for imprisonment in default of payment of fine is included in the sentence; or
(iii) that more than one sentence of fine is passed in the case, if the total amount of fine imposed does not exceed the amount hereinbefore specified in respect of the case.