359. असंज्ञेय मामलों में खर्चा देने के लिए आदेश --
(1) जब कभी किसी असंज्ञेय अपराध का कोई परिवाद न्यायालय में किया जाता है तब, यदि न्यायालय अभियुक्त को दोषसिद्ध कर देता है तो, वह अभियुक्त पर अधिरोपित शास्ति के अतिरिक्त उसे यह आदेश दे सकता है कि वह परिवादी को अभियोजन में उसके द्वारा किए गए खर्चे, पूर्णतः या अंशतः दे और यह अतिरिक्त आदेश दे सकता है कि उसे देने में व्यतिक्रम करने पर अभियुक्त तीस दिन से अनधिक की अवधि के लिए सादा कारावास भोगेगा और ऐसे खर्चे के अन्तर्गत आदेशिका फीस, साक्षियों और प्लीडरों की फीस की बाबत किए गए कोई व्यय भी हो सकेंगे जिन्हें न्यायालय उचित समझे ।
(2) इस धारा के अधीन आदेश किसी अपील न्यायालय द्वारा, या उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय द्वारा भी किया जा सकेगा जब वह अपनी पुनरीक्षण शक्तियों का प्रयोग कर रहा हो।
359. Order to pay costs in non-cognizable cases -
(1) Whenever any complaint of a non-cognizable offence is made to a Court, the Court, if it convicts the accused, may, in addition to the penalty imposed upon him, order him to pay to the complainant, in whole or in part, the cost incurred by him in the prosecution, and may further order that in default of payment, the accused shall suffer simple imprisonment for a period not exceeding thirty days and such costs may include any expenses incurred in respect of process-fees, witnesses and pleader's fees which the Court may consider reasonable.
(2) An order under this section may also be made by an Appellate Court or by the High Court or Court of Session when exercising its powers of revision.