352. कुछ न्यायाधीशों और मजिस्ट्रटों के समक्ष किए गए अपराधों का उनके द्वारा विचारण न किया जाना -- धारा 344, 345, 349 और 350 में जैसा उपबंधित है उसके सिवाय (उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से भिन्न) दण्ड न्यायालय का कोई भी न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट धारा 195 में निर्दिष्ट किसी अपराध के लिए किसी व्यक्ति का विचारण उस दशा में नहीं करेगा, जब वह अपराध उसके समक्ष या उसके प्राधिकार का अवमान करके किया गया है अथवा किसी न्यायिक कार्यवाही के दौरान ऐसे न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट की हैसियत में उसके ध्यान में लाया गया है।
352. Certain Judges and Magistrates not to try certain offences when committed before themselves ---Except as provided in sections 344, 345, 349 and 350, no Judge of a Criminal Court (other than a Judge of a High Court) or Magistrate shall try any person for any offence referred to in section 195, when such offence is committed before himself or in contempt of his authority, or is brought under his notice as such judge or magistrate in the course of a judicial proceeding.