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- Criminal Procedure Code 1973 [CrPC] With State Amendments [Hindi & English]
- बंदी का न्यायालय में अभिरक्षा में लाया जाना...
270. बंदी का न्यायालय में अभिरक्षा में लाया जाना -- धारा 269 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, कारागार का भारसाधक अधिकारी, धारा 267 की उपधारा (1) के अधीन दिए गए और जहाँ आवश्यक है, वहाँ उसकी उपधारा (2) के अधीन सम्यक् रूप से प्रतिहस्ताक्षरित आदेश के परिदान पर, आदेश में नामित व्यक्ति को ऐसे न्यायालय में, जिसमें उनकी हाजिरी अपेक्षित है, भिजवाएगा जिससे वह आदेश में उल्लिखित समय पर वहाँ उपस्थित हो सके, और उसे न्यायालय में या उसके पास अभिरक्षा में तब तक रखवाएगा जब तक उसकी परीक्षा न कर ली जाए या जब तक न्यायालय उसे उस कारागार को, जिसमें वह परिरुद्ध या निरुद्ध था, वापस ले जाए जाने के लिए प्राधिकृत न करे।
270. Prisoner to be brought to Court in custody -- Subject to the provisions of section 269, the officer in charge of the prison shall, upon delivery of an order made under sub-section (1) of section 267 and duly countersigned, where necessary, under sub-section (2) thereof, cause the person named in the order to be taken to the Court in which his attendance is required, so as to be present there at the time mentioned in the order and shall cause him to be kept in custody in or near the Court until he has been examined or until the Court authorises him to be taken back to the prison in which he was confined or detained.