अभियोग का सारांश बताया जाना (Substance of accusation to be stated)
Updated: Jul, 07 2019
अध्याय 20
मजिस्ट्रेट द्वारा समन-मामलों का विचारण
251. अभियोग का सारांश बताया जाना --
जब समन मामलों में अभियुक्त मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होता है या लाया जाता है, तब उसे उस अपराध की विशिष्टियाँ बताई जाएंगी जिसका उस पर अभियोग है, और उससे पूछा जाएगा कि क्या वह दोषी होने का अभिवाक् करता है अथवा प्रतिरक्षा करना चाहता है किन्तु यथा रीति आरोप विरचित करना आवश्यक न होगा।
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राज्य संशोधन
छत्तीसगढ़ -- मूल अधिनियम की धारा 251 में शब्द “अभियुक्त मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होता है या लाया जाता है” के बाद निम्नलिखित शब्द जोड़ा जाए, अर्थात्--
“या न्यायालय में उसके अधिवक्ता की उपस्थिति में इलेक्ट्रानिक विडियो लिंकेज के माध्यम से उपस्थित
होता है।” [छ.ग. राजपत्र (असाधारण) दि. 13-3-2006 पृष्ठ 166-166(2) पर प्रकाशित । (दि. 13-3-2006 से प्रभावी)]
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251. Substance of accusation to be stated -
When in a summons-case the accused appears or is brought before the Magistrate, the particulars of the offence of which he is accused shall be stated to him, and he shall be asked whether he pleads guilty or has any defence to make, but it shall not be necessary to frame a formal charge.
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STATE AMENDMENT
Chhattisgarh - In Section 251 of the Principal Act, after the words “brought before the Magistrate” the following words shall be added :
"or appears through the medium of electronic video linkage in the presence of his pleader in the Court." [Published in C.G. Rajpatra (Asadharan) dt. 13-3-2006 (w.e.f. 13-3-2006)].
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