दोषमुक्ति या दोषसिद्धि (Acquittal or conviction) - Section 248
Updated: Jul, 06 2019
ग - विचारण की समाप्ति
248. दोषमुक्ति या दोषसिद्धि --
(1) यदि इस अध्याय के अधीन किसी मामले में, जिसमें आरोप विरचित किया गया है, मजिस्ट्रेट इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि अभियुक्त दोषी नहीं है तो वह दोषमुक्ति का आदेश अभिलिखित करेगा।
(2) जहाँ इस अध्याय के अधीन किसी मामले में मजिस्ट्रेट इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि अभियुक्त दोषी है, किन्तु वह धारा 325 या धारा 360 के उपबंधों के अनुसार कार्यवाही नहीं करता है वहाँ वह दण्ड के प्रश्न पर अभियुक्त को सुनने के पश्चात् विधि के अनुसार उसके बारे में दण्डादेश दे सकता है।
(3) जहाँ इस अध्याय के अधीन किसी मामले में धारा 211 की उपधारा (7) के उपबंधों के अधीन पूर्व दोषसिद्धि का आरोप लगाया गया है और अभियुक्त यह स्वीकार नहीं करता है कि आरोप में किए गए अभिकथन के अनुसार उसे पहले दोषसिद्ध किया गया था वहाँ मजिस्ट्रेट उक्त अभियुक्त को दोषसिद्ध करने के पश्चात् अभिकथित पूर्व दोषसिद्धि के बारे में साक्ष्य ले सकेगा और उस पर निष्कर्ष अभिलिखित करेगा:
परन्तु जब तक अभियुक्त उपधारा (2) के अधीन दोषसिद्ध नहीं कर दिया जाता है तब तक न तो ऐसा आरोप मजिस्ट्रेट द्वारा पढ़कर सुनाया जाएगा, न अभियुक्त से उस पर अभिवचन करने को कहा जाएगा, और न पूर्व दोषसिद्धि का निर्देश अभियोजन द्वारा, या उसके द्वारा दिए गए किसी साक्ष्य में, किया जाएगा।
C - Conclusion of trial
248. Acquittal or conviction —