Updated: Jul, 06 2019

 

240. आरोप विरचित करना --

(1) यदि ऐसे विचार, परीक्षा, यदि कोई हो, और सुनवाई कर लेने पर मजिस्ट्रेट की यह राय है कि ऐसी उपधारणा करने का आधार है कि अभियुक्त ने इस अध्याय के अधीन विचारणीय ऐसा अपराध किया है जिसका विचारण करने के लिए वह मजिस्ट्रेट सक्षम है और जो उसकी राय में उसके द्वारा पर्याप्त रूप से दंडित किया जा सकता है तो वह अभियुक्त के विरुद्ध आरोप लिखित रूप में विरचित करेगा।

(2) तब वह आरोप अभियुक्त को पढ़कर सुनाया और समझाया जाएगा और उससे यह पूछा जाएगा कि क्या वह उस अपराध का, जिसका आरोप लगाया गया है दोषी होने का अभिवाक् करता है या विचारण किए जाने का दावा करता है।

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राज्य संशोधन

छत्तीसगढ़ -- मूल अधिनियम की धारा 240 की उपधारा (2) में शब्द “अभियुक्त को” के पश्चात् निम्नलिखित शब्द जोड़ा जाए, अर्थात् :-

                 “न्यायालय में उसके अधिवक्ता की उपस्थिति में व्यक्तिगत रूप से या इलेक्ट्रानिक विडियो लिंकेज के माध्यम से उपस्थित होने पर।"

[छ.ग. राजपत्र (असाधारण) पृष्ठ 166-166(2) पर प्रकाशित । (दिनांक 13-3-2006 से प्रभावी)]

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240. Framing of charge -

(1) If, upon such consideration, examination, if any, and hearing, the Magistrate is of opinion that there is ground for presuming that the accused has committed an offence triable under this Chapter, which such Magistrate is competent to try and which, in his opinion, could be adequately punished by him, he shall frame in writing a charge against the accused.

(2) The charge shall then be read and explained to the accused, and he shall be asked whether he pleads guilty of the offence charged or claims to be tried.

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STATE AMENDMENT

Chhattisgarh -- In sub-section (2) of Section 240 of the Principal Act, after the words "the accused” the following shall be added :

“present either in person or through the medium of electronic video linkage in the presence of his pleader in the Court.”

[Published in C.G. Rajpatra (Asadharan) dt. 13-3-2006 (w.e.f. 13-3-2006)]. 

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