Updated: Jul, 01 2019

 

206. - छोटे अपराधों के मामले में विशेष समन --

(1) यदि किसी छोटे अपराध का संज्ञान करने वाले मजिस्ट्रेट की राय में मामले को धारा 260 [या धारा 261] के अधीन संक्षेपतः निपटाया जा सकता है तो वह मजिस्ट्रेट उस दशा के सिवाय जहाँ उन कारणों से जो लेखबद्ध किए जाएंगे उसकी प्रतिकूल राय है, अभियुक्त से यह अपेक्षा करते हुए उसके लिए समन जारी करेगा कि वह विनिर्दिष्ट तारीख को मजिस्ट्रेट के समक्ष या तो स्वयं या प्लीडर द्वारा हाजिर हो या वह मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर हुए बिना आरोप का दोषी होने का अभिवचन करना चाहता है तो लिखित रूप में उस अभिवाक् और समन में विनिर्दिष्ट जुर्माने की रकम डाक या संदेशवाहक द्वारा विनिर्दिष्ट तारीख के पूर्व भेज दे या यदि वह प्लीडर द्वारा हाजिर होना चाहता है और ऐसे प्लीडर द्वारा उस आरोप के दोषी होने का अभिवचन करना चाहता है तो प्लीडर को अपनी ओर से आरोप के दोषी होने का अभिवचन करने के लिए लिखकर प्राधिकृत करे और ऐसे प्लीडर की मार्फत जुर्माने का संदाय करे :

परन्तु ऐसे समन में विनिर्दिष्ट जुर्माने की रकम एक हजार रुपए से अधिक न होगी।

(2) इस धारा के प्रयोजनों के लिए “छोटे अपराध” से कोई ऐसा अपराध अभिप्रेत है जो केवल एक हजार रुपए से अनधिक जुर्माने से दण्डनीय है किन्तु इसके अन्तर्गत कोई ऐसा अपराध नहीं है जो मोटर यान अधिनियम, 1939 (1939 का 4) के अधीन या किसी अन्य ऐसी विधि के अधीन, जिसमें दोषी होने के अभिवाक् पर अभियुक्त की अनुपस्थिति में उसको दोषसिद्ध करने के लिए उपबंध है, इस प्रकार दण्डनीय है।

(3) राज्य सरकार, किसी मजिस्ट्रेट को उपधारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग किसी ऐसे अपराध के संबंध में करने के लिए, जो धारा 320 के अधीन शमनीय है, या जो कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास से अधिक नहीं है या जुर्माने से या दोनों से दण्डनीय है अधिसूचना द्वारा विशेष रूप से वहाँ सशक्त कर सकती है, जहाँ मामले के तथ्यों और परिस्थितियों का ध्यान रखते हुए मजिस्ट्रेट की राय है कि केवल जुर्माना अधिरोपित करने से न्याय के उद्देश्य पूरे हो जाएंगे ।

 

206. - Special summons in cases of petty offence --

(1) If, in the opinion of a Magistrate taking cognizance of a petty offence, the case may be summarily disposed of under section 260 (or section 261), the Magistrate shall, except where he is, for reasons to be recorded in writing of a contrary opinion, issue summons to the accused requiring him either to appear in person or by pleader before the Magistrate on a specified date, or if he desires to plead guilty to the charge without appearing before the Magistrate, to transmit before the specified date, by post or by messenger to the Magistrate, the said plea in writing and the amount of fine specified in the summons or if he desires to appear by pleader and to plead guilty to the charge through such pleader, to authorise, in writing, the pleader to plead guilty to the charge on his behalf and to pay the fine through such pleader :

Provided that the amount of the fine specified in such summons shall not exceed (one thousand rupees).

(2) For the purposes of this section, “petty offence” means any offence punishable only with fine not exceeding one thousand rupees, but does not include any offence so punishable under the Motor Vehicles Act, 1939 (4 of 1939)", or under any other law which provides for convicting the accused person in his absence on a plea of guilty.

(3) The State Government may, by notification, specially empower any Magistrate to exercise the powers conferred by sub-section (1) in relation to any offence which is compoundable under section 320 or any offence punishable with imprisonment for a term not exceeding three months, or with fine or with both where the Magistrate is of opinion that, having regard to the facts and circumstances of the case, the imposition of fine only would meet the ends of justice.

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