आदेशिका के जारी किए जाने को मुल्तवी करना (Postponement of issue of process)
Updated: Jul, 01 2019
202. आदेशिका के जारी किए जाने को मुल्तवी करना --
(1) यदि कोई मजिस्ट्रेट ऐसे अपराध का परिवाद प्राप्त करने पर, जिसका संज्ञान करने के लिए वह प्राधिकृत है या जो धारा 192 के अधीन उसके हवाले किया गया है, ठीक समझता है तो और ऐसे मामले में जहाँ अभियुक्त ऐसे किसी स्थान में निवास कर रहा है जो उस क्षेत्र से परे है, जिसमें वह अपनी अधिकारिता का प्रयोग करता है अभियुक्त के विरुद्ध आदेशिका का जारी किया जाना मुल्तवी कर सकता है और यह विनिश्चित करने के प्रयोजन से कि कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार है अथवा नहीं, या तो स्वयं ही मामले की जांच कर सकता है या किसी पुलिस अधिकारी द्वारा या अन्य ऐसे व्यक्ति द्वारा, जिसको वह ठीक समझे अन्वेषण किए जाने के लिए निदेश दे सकता है :
परन्तु अन्वेषण के लिए ऐसा कोई निदेश वहाँ नहीं दिया जाएगा--
(क) जहाँ मजिस्ट्रेट को यह प्रतीत होता है कि वह अपराध जिसका परिवाद किया गया है अनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है; अथवा
(ख) जहाँ परिवाद किसी न्यायालय द्वारा नहीं किया गया है जब तक कि परिवादी की या उपस्थित साक्षियों की (यदि कोई हो) धारा 200 के अधीन शपथ पर परीक्षा नहीं कर ली जाती है।
(2) उपधारा (1) के अधीन किसी जांच में यदि मजिस्ट्रेट ठीक समझता है तो साक्षियों का शपथ पर साक्ष्य ले सकता है :
परन्तु यदि मजिस्ट्रेट को यह प्रतीत होता है कि वह अपराध जिसका परिवाद किया गया है अनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है तो यह परिवादी से अपने सब साक्षियों को पेश करने की अपेक्षा करेगा और उनकी शपथ पर परीक्षा करेगा।
(3) यदि उपधारा (1) के अधीन अन्वेषण किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाता है जो पुलिस अधिकारी नहीं है तो उस अन्वेषण के लिए उसे वारण्ट के बिना गिरफ्तार करने की शक्ति के सिवाय पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को इस संहिता द्वारा प्रदत्त सभी शक्तियाँ होंगी।
Provided that no such direction for investigation shall be made
(a) where it appears to the Magistrate that the offence complained of is triable exclusively by the Court of Sessions; or.
(b) where the complaint has not been made by a Court, unless the complainant and the witnesses present (if any) have been examined on oath under section 200.
(2) In an inquiry under sub-section (1), the Magistrate may, if he thinks fit, take evidence of witnesses on oath :
Provided that if it appears to the Magistrate that the offence complained of is triable exclusively by the Court of Session, he shall call upon the complainant to produce all his .witnesses and examine them on oath.
(3) If an investigation under sub-section (1) is made by a person not being a police officer, he shall have for that investigation all the powers conferred by this Code on an officer in charge of a police station except the power to arrest without warrant.