पत्रों आदि द्वारा किए गए अपराध ( Offences committed by letters, etc.)
Updated: Jun, 30 2019
182. पत्रों आदि द्वारा किए गए अपराध -
(1) किसी ऐसे अपराध की, जिसमें छल करना भी है, जांच या उनका विचारण, उस दशा में जिसमें ऐसी प्रवंचना पत्रों या दूरसंचार संदेशों के माध्यम से की गई है ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर ऐसे पत्र या संदेश भेजे गए हैं या प्राप्त किए गए हैं तथा छल करने और बेईमानी से संपत्ति का परिदान उत्प्रेरित करने वाले किसी अपराध की जांच या उनका विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर संपत्ति, प्रवंचित व्यक्ति द्वारा परिदत्त की गई है या अभियुक्त व्यक्ति द्वारा प्राप्त की गई है।
(2) भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 494 या धारा 495 के अधीन दण्डनीय किसी अपराध की जांच या उनका विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर अपराध किया गया है या अपराधी ने प्रथम विवाह की अपनी पत्नी या पति के साथ अंतिम बार निवास किया है या प्रथम विवाह की पत्नी अपराध के किए जाने के पश्चात् स्थायी रूप से निवास करती है।
(2) Any offence punishable under section 494 or section 495 of the Indian Penal Code (45 of 1860) may be inquired into or tried by a Court within whose local jurisdiction the offence was committed or the offender last resided with his or her spouse by the first marriage or the wife by first marriage has taken up permanent residence after the commission of the offence.