कुछ अपराधों की दशा में विचारण का स्थान (Place of trial in case of certain offences)
Updated: Jun, 30 2019
181. कुछ अपराधों की दशा में विचारण का स्थान --
(1) ठग होने के, या ठग द्वारा हत्या के, डकैती के, हत्या सहित डकैती के, डकैतों की टोली का होने के, या अभिरक्षा से निकल भागने के किसी अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर अपराध किया गया है या अभियुक्त व्यक्ति मिला है।
(2) किसी व्यक्ति के व्यपहरण या अपहरण के किसी अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर वह व्यक्ति व्यपहृत या अपहृत किया गया या ले जाया गया था छिपाया गया या निरुद्ध किया गया है।
(3) चोरी, उद्दापन या लूट के किसी अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर ऐसा अपराध किया गया है या चुराई हुई संपत्ति को जो कि अपराध का हिस्सा
है उसे करने वाले व्यक्ति द्वारा या किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा कब्जे में रखी गई है जिसने उस संपत्ति को चुराई हुई संपत्ति जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए प्राप्त किया या रखे रखा।
(4) आपराधिक दुर्विनियोग या आपराधिक न्यासभंग के किसी अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर अपराध किया गया है या उस संपत्ति का, जो अपराध का विषय है, कोई भाग अभियुक्त व्यक्ति द्वारा प्राप्त किया गया या रखा गया है अथवा उसका लौटाया जाना या लेखा दिया जाना अपेक्षित है।
(5) किसी ऐसे अपराध की, जिसमें चुराई हुई संपत्ति का कब्जा भी है, जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर ऐसा अपराध किया गया है या चुराई हुई संपत्ति किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा कब्जे में रखी गई है, जिसने उसे चुराई हुई जानते हुए या विश्वास करने का कारण होते हुए प्राप्त किया या रखे रखा।
(2) Any offence of kidnapping or abduction of a person may be inquired into or tried by a Court within whose local jurisdiction the person was kidnapped or abducted or was conveyed or concealed or detained.
(3) Any offence of theft, extortion or robbery may be inquired into or tried by a Court within whose local jurisdiction the offence was committed or the stolen property which is the subject of the offence was possessed by any person committing it or by any person who received or retained such property knowing or having reason to believe it to be stolen property.
(4) Any offence of criminal misappropriation or of criminal breach of trust may be inquired into or tried by a Court within whose local jurisdiction the offence was committed or any part of the property which is the subject of the offence was received or retained, or was required to be returned or accounted for, by the accused person.
(5) Any offence which includes the possession of stolen property may be inquired into or tried by a Court within whose local jurisdiction, the offence was committed or the stolen property was possessed by any person who received or retained it knowing or having reason to believe it to be stolen property.