लंबित मामलों के अंतरण का विधिमान्यकरण (Validation for transfer of pending cases)
Updated: Mar, 29 2020
142 क. लंबित मामलों के अंतरण का विधिमान्यकरण -- (1) दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) या किसी न्यायालय के किसी निर्णय, डिक्री, आदेश या निदेशों में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, परक्राम्य लिखत (संशोधन) अध्यादेश, 2015 द्वारा यथा संशोधित, धारा 142 की उपधारा (2) के अधीन अधिकारिता रखने वाले न्यायालय को अंतरित सभी मामले, इस अधिनियम के अधीन ऐसे अंतरित किये गए समझे जाएंगे जैसे मानो वह उपधारा सभी तात्विक समयों पर प्रवृत्त थी ।
(2) धारा 142 की उपधारा (2) या उपधारा (1) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जहां सम्यक् अनुक्रम में, यथास्थिति, पाने वाले ने या धारक ने, धारा 142 की उपधारा (2) के अधीन अधिकारिता रखने वाले न्यायालय में किसी चेक के लेखीवाल के विरुद्ध कोई परिवाद फाइल किया है या उपधारा (1) के अधीन मामला उस न्यायालय को अंतरित किया गया है और ऐसा परिवाद उस न्यायालय में लंबित है, वहां उसी लेखीवाल के विरुद्ध धारा 138 से उद्भूत होने वाले सभी पश्चात्वर्ती परिवाद, इस बात पर विचार किए बिना कि क्या वे चेक उस न्यायालय की क्षेत्रीय अधिकारिता के भीतर संग्रहण के लिए परिदत्त या संदाय के लिए प्रस्तुत किए गए थे, उसी न्यायालय के समक्ष फाइल किए जाएंगे ।
(3) यदि परक्राम्य लिखत (संशोधन) अधिनियम, 2015 के प्रारंभ की तारीख को, यथास्थिति, उसी पाने वाले या धारक द्वारा सम्यक् अनुक्रम में चेकों के उसी लेखीवाल के विरुद्ध फाइल किए गए एक से अधिक अभियोजन भिन्न-भिन्न न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं, तो न्यायालय की अवेक्षा में उक्त तथ्य लाए जाने पर, वह न्यायालय परक्राम्य लिखत (संशोधन) अध्यादेश, 2015 द्वारा यथा संशोधित धारा 142 की उपधारा (2) के अधीन अधिकारिता रखने वाले ऐसे न्यायालय को, जिसके समक्ष पहला मामला फाइल किया गया था और लंबित है, वह मामला इस प्रकार अंतरित कर देगा, मानो वह उपधारा सभी तात्विक समयों पर प्रवृत्त थी ।
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142 A. Validation for transfer of pending cases.- (1) Notwithstanding anything contained in the Code of Criminal Procedure, 1973 (2 of 1974) or any judgment, decree, order or direction of any court, all cases transferred to the court having jurisdiction under sub-section (2) of section 112, as amended by the Negotiable Instruments (Amendment) Ordinance, 2015, shall be deemed to have been transferred under this Act, as if that sub-section had been in force at all material times.
(2) Notwithstanding anything contained in sub-section (2) of section 142 or sub-section (1), where the payee or the holder in due course, as the case may be, has filed a complaint against the drawer of a cheque in the court having jurisdiction under sub-section (2) of section 142 or the case has been transferred to that court under sub-section (1) and such complaint is pending in that court, all subsequent complaints arising out of section 138 against the same drawer shall be filed before the same court irrespective of whether those cheques were delivered for collection or presented for payment within the territorial jurisdiction of that court.
(3) If, on the date of the commencement of the Negotiable Instruments (Amendment) Act, 2015, more than one prosecution filed by the same payee or holder in due course, as the case may be, against the same drawer of cheques is pending before different courts, upon the said fact having been brought to the notice of the court, such court shall transfer the case to the court having jurisdiction under sub-section (2) of section 142, as a.nended by the Negotiable Instruments (Amendment) Ordinance, 2015, before which the first case was tiled and is pending, as if that sub-section had been in force at all material times.