असंज्ञेय मामलों के बारे में इत्तिला और ऐसे मामलों का अन्वेषण (Information as to non-cognizable cases and investigation of such cases)
Updated: Jul, 06 2019
155. असंज्ञेय मामलों के बारे में इत्तिला और ऐसे मामलों का अन्वेषण -- (1) जब पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को उस थाने की सीमाओं के अंदर असंज्ञेय अपराध के किए जाने की इत्तिला दी जाती है तब वह ऐसी इत्तिला का सार, ऐसी पुस्तक में, जो ऐसे अधिकारी द्वारा ऐसे प्ररूप में रखी जाएगी जो राज्य सरकार इस निमित्त विहित करे, प्रविष्ट करेगा या प्रविष्ट कराएगा और इत्तिला देने वाले को मजिस्ट्रेट के पास जाने को निर्देशित करेगा।
(2) कोई पुलिस अधिकारी किसी असंज्ञेय मामले का अन्वेषण ऐसे मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना नहीं करेगा जिसे ऐसे मामले का विचारण करने की या मामले को विचारणार्थ सुपुर्द करने की शक्ति है।
(3) कोई पुलिस अधिकारी ऐसा आदेश मिलने पर (वारण्ट के बिना गिरफ्तारी करने की शक्ति के सिवाय) अन्वेषण के बारे में वैसी ही शक्तियों का प्रयोग कर सकता है जैसी पुलिस थाने का भारसाधक संज्ञेय मामले में कर सकता है।
(4) जहाँ मामले का संबंध ऐसे दो या अधिक अपराधों से है, जिनमें से कम से कम एक संज्ञेय है, वहाँ इस बात के होते हुए भी कि अन्य अपराध असंज्ञेय है, वह मामला संज्ञेय मामला समझा जाएगा।
(2) No police officer shall investigate a non-cognizable case without the order of a Magistrate having power to try such case or commit the case for trial.
(3) Any police officer receiving such order may exercise the same powers in respect of the investigation (except the power to arrest without warrant) as an officer in charge of a police station may exercise in a cognizable case.
(4) Where a case relates to two or more offences of which at least one is cognizable, the case shall be deemed to be a cognizable case, notwithstanding that the other offences are non-cognizable.