आदेश अंतिम कर दिए जाने पर प्रक्रिया और उसकी अवज्ञा के परिणाम (Procedure on order being made absolute and consequences of disobedience)
Updated: Jul, 06 2019
141. आदेश अंतिम कर दिए जाने पर प्रक्रिया और उसकी अवज्ञा के परिणाम -- (1) जब धारा 136 या धारा 138 के अधीन आदेश अंतिम कर दिया जाता है तब मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति को, जिसके विरुद्ध वह आदेश दिया गया है, उसकी सूचना देगा और उससे यह भी अपेक्षा करेगा कि वह उस आदेश द्वारा निदिष्ट कार्य इतने समय के अंदर करे, जितना सूचना में नियत किया जाएगा और उसे इत्तिला देगा कि अवज्ञा करने पर वह भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 188 द्वारा उपबंधित शास्ति का भागी होगा।
(2) यदि ऐसा कार्य नियत समय के अंदर नहीं किया जाता है तो मजिस्ट्रेट उसे करा सकता है और उसके किए जाने में हुए खर्चों को किसी भवन, माल या अन्य संपत्ति के, जो उसके आदेश द्वारा हटाई गई है, विक्रय द्वारा अथवा ऐसे मजिस्ट्रेट की स्थानीय अधिकारिता के अन्दर या बाहर स्थित उस व्यक्ति की अन्य जंगम संपत्ति के करस्थम और विक्रय द्वारा वसूल कर सकता है और यदि ऐसी अन्य संपत्ति ऐसी अधिकारिता के बाहर है तो उस आदेश से ऐसी कुर्की और विक्रय तब प्राधिकृत होगा जब वह उस मजिस्ट्रेट द्वारा पृष्ठांकित कर दिया जाता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर कुर्क की जाने वाली संपत्ति पाई जाती है।
(3) इस धारा के अधीन सद्भावपूर्वक की गई किसी बात के बारे में कोई वाद न होगा।
(2) If such act is not performed within the time fixed, the Magistrate may cause it to be performed and may recover the costs of performing it, either by the sale of any building, goods or other property removed by his order, or by the distress and sale of any other movable property of such person within or without such Magistrate's local jurisdiction and if such other property is without such jurisdiction, the order shall authorise its attachment and sale when endorsed by the Magistrate within whose local jurisdiction the property to be attached is found.
(3) No suit shall lie in respect of anything done in good faith under this section.