सम्मन के तामील की रीति (Mode of service of summons)
Updated: Mar, 29 2020
144. सम्मन के तामील की रीति -- ( 1 ) दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) में किसी बात के होते हुए भी, एवं इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए, मजिस्ट्रेट, अभियुक्त या साक्षी को सम्मन जारी करते हुए निर्देश कर सकता है कि उस स्थान में सम्मन की एक प्रति, जहाँ कि ऐसा अभियुक्त या साक्षी सामान्य तौर पर निवास करता है, या व्यवसाय करता है या वैयक्तिक तौर पर प्राप्ति के लिये कार्य करता है, स्पीड पोस्ट या ऐसे कूरियर सर्विसेस, जो सत्र न्यायालय द्वारा अनुमोदित किया गया है, के द्वारा तामील हो ।
(2) जहाँ अभिस्वीकृति अभियुक्त या साक्षी के द्वारा हस्ताक्षरित होना तात्पर्यत है, या डाक विभाग के द्वारा अधिकृत या कूरियर सर्विसेस के किसी व्यक्ति के द्वारा बनाया गया पृष्ठांकन होना तात्पर्यत है, कि प्राप्त किये गये सम्मन के वितरण को लेने से अभियुक्त या साक्षी के द्वारा इंकार किया गया है, न्यायालय ऐसे जारी किये गये सम्मन को घोषित कर सकता है, कि सम्मन सम्यकरूपेण तामील हो गया है ।
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144. Mode of service of summons — (1) Notwithstanding anything contained in the Code of Criminal Procedure, 1973 (2 of 1974), and for the purposes of this Chapter, a Magistrate issuing a summons to an accused or a witness may direct a copy of summons to be served at the place where such accused or witness ordinarily resides or carries on business or personally works; for gain, by speed post or by such courier services as are approved by a Court of Session.
(2) Where an acknowledgment purporting to be signed by the accused or the witness or an endorsement purported to be made by any person authorised by the postal department or the courier services that the accused or the witness refused to take delivery of summons has been received, the Court issuing the summons may declare that the summons has been duly served.