अनादर की सूचना कब अनावश्यक है (When notice of dishonour is unnecessary)
Updated: Mar, 29 2020
98. अनादर की सूचना कब अनावश्यक है -- अनादर की कोई भी सूचना -
(क) तब आवश्यक नहीं है जब कि उसके हकदार पक्षकार को उसके दिए जाने से अभिमुक्ति दे दी गई है;
(ख) लेखीवाल को भारित करने के लिए तब आवश्यक नहीं है, जब कि उसने संदाय प्रत्यादिष्ट कर दिया है;
(ग) तब आवश्यक नहीं है जब कि भारित पक्षकार को कोई नुकसान सूचना के अभाव से नहीं हो सकता था;
(घ) तब आवश्यक नहीं है जब कि सूचना का हकदार पक्षकार सम्यक् तलाश के पश्चात् नहीं पाया जा सकता या सूचना देने के लिए आबद्ध पक्षकार अपनी किसी त्रुटि के बिना उसे देने में अन्य कारणवश असमर्थ है;
(ङ) लेखीवालों को भारित करने के लिए तब आवश्यक नहीं है जब कि प्रतिगृहीता उसका लेखीवाल भी है;
(च) उस वचन-पत्र के बारे में आवश्यक नहीं है जो परक्राम्य नहीं है;
(छ) तब आवश्यक नहीं है जब कि सूचना का हकदार पक्षकार लिखत पर शोध्य रकम देने का अशर्त वचन तथ्यों को जानते हुए दे देता है।
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98. When notice of dishonour is unnecessary - No notice of dishonour is necessary -
(a) when it is dispensed with by the party entitled thereto
(b) in order to charge the drawer, when he has countermanded payment;
(c) when the party charged could not suffer damage for want of notice;
(d) when the party entitled to notice cannot after due search be found; or the party bound to give notice is, for any other reason, unable without any fault of his own to give it;
(e) to charge the drawers, when the acceptor is also a drawer;
(f) in the case of a promissory note which is not negotiable;
(g) when the party entitled to notice, knowing the facts, promises unconditionally to pay the amount due on the instrument.