हर एक पाश्चिक पक्षकार की बाबत् पूर्विक पक्षकार मूल ऋणी होगा (Prior party a principal in respect of each subsequent party)
Updated: Mar, 28 2020
38. हर एक पाश्चिक पक्षकार की बाबत् पूर्विक पक्षकार मूल ऋणी होगा -- प्रतिभुओं के रूप में ऐसे दायी पक्षकारों को जहाँ तक पारस्परिक सम्बन्ध है वहाँ तक हर एक पूर्विक पक्षकार, तत्प्रतिकूल संविदा के अभाव में उसके आधार पर हर एक पाश्चिक पक्षकार के प्रति मूल ऋणी के रूप में भी दायी है ।
दृष्टान्त
क स्वयं अपने आदेशानुसार देय विनिमय-पत्र ख पर लिख देता है, जो उसे प्रतिगृहीत कर लेता है; तत्पश्चात् के विनिमय-पत्र को ग के नाम, ग, घ के नाम और घ, ङ के नाम पृष्ठांकित कर देता है । जहाँ तक ऊ और ख का सम्बन्ध है, ख मूल ऋणी है और क, ग और घ उसके प्रतिभू हैं। जहाँ तक है और क का सम्बन्ध है के मूल ऋणी है और ग और घ उसके प्रतिभू हैं । जहाँ तक इ और ग का सम्बन्ध है, ग मूल ऋणी है और घ उसका प्रतिभू है।
38. Prior party a principal in respect of each subsequent party -- As between the parties so liable as sureties, each prior party is, in the absence of a contract to the contrary, also liable thereon as a principal debtor in respect of each subsequent party.
Illustration
A draws a bill payable to his own order on B, who accepts, A afterwards indorses the bill to C, C to D, and D to E. As between E and B, B is the principal debtor, and A, C and D are his sureties. As between E and A, A is the principal debtor, and C and D are his sureties. As between E and C, C is the principal debtor and D is his surety.