अभिकर्ता को मालिक समझकर उसके साथ की गई संविदा का पालन (Performance of contract with agent supposed to be principal)
Updated: Sep, 03 2018
232. अभिकर्ता को मालिक समझकर उसके साथ की गई संविदा का पालन -- जहाँ कि एक व्यक्ति किसी दूसरे के साथ, यह न जानते हुए और यह सन्देह करने का युक्तियुक्त आधार न रखते हुए कि वह दूसरा व्यक्ति एक अभिकर्ता है, संविदा करता है, वहाँ यदि मालिक उस संविदा के पालन की अपेक्षा करे तो वह ऐसा पालन, अभिकर्ता और संविदा के दूसरे पक्षकार के बीच विद्यमान अधिकारों और बाध्यताओं के अध्यधीन ही अभिप्राप्त कर सकता है।
दृष्टान्त
‘क’ जो ‘ख’ को 500 रुपये का देनदार है, ‘खको 1,000 रुपये का चावल बेचता है। 'क' इस संव्यवहार में 'ग' के लिए अभिकर्ता के रूप में कार्य कर रहा है, किन्तु ‘ख’ न तो जानता ही है और न यह सन्देह करने का युक्तियुक्त आधार ही रखता है। कि बात ऐसी है। ‘ख’ को ‘क का ऋण मुजरा देने की अनुज्ञा दिये बिना 'ख' को चावल लेने के लिए 'ग' विवश नहीं कर सकता।
232. Performance of contract with agent supposed to be principal — Where one man makes a contract with another, neither knowing nor having reasonable ground to suspect that the other is an agent, the principal, if he requires the performance of the contract, can only obtain such performance subject to the right and obligations subsisting between the agent and the other party to the contract.
Illustration
A, who owes 500 rupees to B, sells 1,000 rupees worth of rice to B. A is acting as agent for C in the transaction, but B has no knowledge nor reasonable ground of suspicion that such is the case. C cannot compel B to take the rice without allowing him to set-off Aš debt.