अभिकर्ता की संविदाओं का प्रवर्तन और उनके परिणाम (Enforcement and consequences of agent's contracts)
Updated: Sep, 03 2018
226. अभिकर्ता की संविदाओं का प्रवर्तन और उनके परिणाम -- अभिकर्ता के माध्यम से की गई संविदाओं और अभिकर्ता द्वारा किए गए कार्यों से उद्भूत बाध्यताएँ उसी प्रकार प्रवर्तित कराई जा सकेंगी और उनके वे ही विधिक परिणाम होंगे मानो वे संविदाएँ और कार्य मालिक द्वारा किए गए हों।
दृष्टान्त
(क) 'ख' से माल ‘क’ यह जानते हुए कि ‘ख’ उनके विक्रय के लिए अभिकर्ता है, किन्तु यह न जानते हुए कि मालिक कौन है, खरीदता है। ‘ख’ का मालिक 'क' से उस माल की कीमत का दावा करने का हकदार है और मालिक द्वारा लाए गए वाद में मालिक के दावे के विरुद्ध वह ऋण जो उसे 'ख' से शोध्य हो, मुजरा नहीं करा सकता।
(ख) 'ख' का अभिकर्ता 'क', जिसे उसकी ओर से धन प्राप्त करने का प्राधिकार है, 'ग' से 'ख' को शोध्य कुछ धनराशि प्राप्त करता है। उक्त धन ‘ख’ को देने की बाध्यता से 'ग' उन्मोचित हो जाता है।
226. Enforcement and consequences of agent's contracts - Contracts entered into through an agent, and obligations arising from acts done by an agent, may be enforced in the same manner, and will have the same legal consequences as if the contracts had been entered into the acts done by the principal in person.
Illustrations
(a) A buys goods from B, knowing that he is an agent for their sale, but not knowing who is the principal. B's principal is the person entitled to claim from A the price of the goods, and A cannot, in a suit by the principal, set-off against that claim a debt due to himself from B.
(b) A, being B's agent, with authority to receive money on his behalf, receives from C a sum of money due to B. C is discharged of his obligation to pay the sum in question to B.