जिस ऋण या वचन के लिए माल गिरवी रखा गया है, पणयमदार उससे भिन्न ऋण वचन के लिए उसका प्रतिधारण नहीं करेगा, पश्चात्वर्ती उधारों के बारे में उपधारणा (Pawnee not to retain for debt or promise other than that for which goods pledged. Presumption in case of subsequent advances)
Updated: Sep, 17 2018
174. जिस ऋण या वचन के लिए माल गिरवी रखा गया है, पणयमदार उससे भिन्न ऋण वचन के लिए उसका प्रतिधारण नहीं करेगा, पश्चात्वर्ती उधारों के बारे में उपधारणा -- पणयमदार उस ऋण या वचन से भिन्न किसी ऋण या वचन के लिए, जिसके लिए माल गिरवी रखा गया है, उस माल का प्रतिधारण उस प्रभाव की संविदा के अभाव में न करेगा, किन्तु तत्प्रतिकूल किसी बात के अभाव में ऐसी संविदा की उपधारणा पणयमदार द्वारा दिये गए पश्चानुवर्ती उधारों में कर ली जाएगी।
174. Pawnee not to retain for debt or promise other than that for which goods pledged. Presumption in case of subsequent advances — The pawnee shall not, in the absence of a contract to that effect, retain the goods pledged for any debt or promise other than the debt or promise for which they are pledged; but such contract, in the absence of anything to the contrary, shall be presumed in regard to subsequent advances made by the pawnee.