Updated: Sep, 17 2018

 

170. उपनिहिती का विशिष्ट धारणाधिकार -- जहाँ कि उपनिहिती ने, उपनिहित माल के बारे में उपनिधान के प्रयोजन के अनुसार कोई ऐसी सेवा की हो, जिसमें श्रम या कौशल का प्रयोग अन्तर्वलित हो, वहाँ तत्प्रतिकूल संविदा के अभाव में उसे ऐसे माल के तब तक प्रतिधारण का अधिकार है जब तक वह उन सेवाओं के लिए जो उसने उसके बारे में की हों, सम्यक् पारिश्रमिक नहीं पा लेता।।

दृष्टान्त

(क) 'क' एक जौहरी 'ख' को अनगढ़ हीरा काटने और पालिश किए जाने के लिए परिदत्त करता है। तद्नुसार वैसा कर दिया जाता है। ‘ख’ उस हीरे के तब तक प्रतिधारण का हकदार है जब तक उसे उन सेवाओं के लिए, जो उसने की है, संदाय न कर दिया जाए।

(ख) 'क', एक दर्जी 'ख' को कोट बनाने के लिए कपड़ा देता है। 'ख' यह वचन देता है कि कोट ज्यों ही पूरा हो जाएगा - वह उसे 'क' को परिदत्त कर देगा और पारिश्रमिक के लिए तीन मास का प्रत्यय देगा। कोट के लिए संदाय किए जाने तक ‘ख’ उसे प्रतिधृत रखने का हकदार नहीं है।

 

170. Bailee's particular lien - Where the bailee has, in accordance with the purpose of the bailment, rendered any service involving the exercise of labour or skill in respect of the goods bailed, he has, in the absence of a contract to the contrary, a right to retain such goods until he receives due remuneration for the services he has rendered in respect of them.

 

Illustrations

(a) A delivers a rough diamond to B, a jeweller, to be cut and polished, which is accordingly done. B is entitied to retain the stone till he is paid for the services he has rendered.

(b) A gives cloth to B, a tailor, to make into a coat. B promises A to deliver the coat as soon as it is finished, and to give a three months credit for the price. B is not entitled to retain the coat until he is paid.