आनुग्रहिक रूप से उधार दिये गए माल का प्रत्यावर्तन (Restoration of goods lent gratuitously)
Updated: Sep, 17 2018
159. आनुग्रहिक रूप से उधार दिये गए माल का प्रत्यावर्तन -- किसी चीज को उपयोगार्थ उधार देने वाला, यदि वह उधार आनुग्रहिक रूप से दिया गया हो, किसी भी समय उसकी वापसी अपेक्षित कर सकेगा यद्यपि उसने उसे एक विनिर्दिष्ट समय या प्रयोजन के लिए उधार दिया हो। किन्तु यदि उधार लेने वाले ने विनिर्दिष्ट समय या प्रयोजन के लिए दिये गए उधार के भरोसे ऐसे प्रकार से कार्य किया है कि उधार दी गई चीज की ठहराए गए समय के पूर्व वापसी से उसे उस फायदे से अधिक हानि होगी जो उसे उधार से वास्तव में व्युत्पन्न हुआ हो तो, यदि उधारदाता उधार लेने वाले को उसे वापस करने के लिए विवश करे तो उसको उधार लेने वाले की उतनी मात्रा में क्षतिपूर्ति करनी होगी जितनी वैसे हुई हानि वैसे व्युत्पन्न फायदे से अधिक है।
159. Restoration of goods lent gratuitously - The lender of a thing for use may at any time require its return, if the loan was gratuitous, even though he lent it for a specified time or purpose. But if, on the faith of such loan made for a specified time or purpose, the borrower has acted in such a manner that the return of the thing lent before the time agreed upon would cause him loss exceeding the benefit actually derived by him from the loan, the lender must, if he compels the return, indemnify the borrower for the amount in which the loss so occasioned exceeds the benefit so derived.