Updated: Sep, 09 2018

 

137. लेनदार का वाद लाने से प्रविरत रहना प्रतिभू को उन्मोचित नहीं करता -- मूल ऋणी पर वाद लाने से या उसके विरुद्ध किसी अन्य उपचार को प्रवर्तित करने से लेनदार का प्रविरत रहना मात्र, प्रत्याभूति में तत्प्रतिकूल उपबन्ध के अभाव में, प्रतिभू को उन्मोचित नहीं करता।

दृष्टान्त

'ख' एक ऋण का, जिसकी प्रत्याभूति 'क' ने दी है, 'ग' को देनदार है। ऋण देय हो जाता है। ऋण के देय हो जाने के पश्चात् एक वर्ष तक ‘ख’ पर 'ग' वाद नहीं लाता। 'क' अपने प्रतिभूत्व से उन्मोचित नहीं होता।

 

137. Creditor's forbearance to sue does not discharge surety - Mere forbearance on the part of the creditor to sue the principal debtor or to enforce any other remedy against him does not, in the absence of any provision in the guarantee to the contrary, discharge the surety.

Illustration

Bowes to C a debt guaranteed by A. The debt becomes payable. C does not sue B for a year after the debt has become payable. A is not discharged from his suretyship.