Updated: Sep, 20 2018

 

125. क्षतिपूर्ति के अधिकार जबकि उस पर वाद लाया जाए -- क्षतिपूर्ति की संविदा का वचनग्रहीता, अपने प्राधिकार के क्षेत्र के भीतर कार्य करता हुआ, वचनदाता से निम्नलिखित वसूल करने का हकदार है --

(1) वह सब नुकसानी, जिसके संदाय के लिए वह ऐसे किसी वाद में विवश किया जाए, जो किसी ऐसी बात के बारे में हो; जिसे क्षतिपूर्ति करने का वह वचन लागू हो;

(2) वे सब खर्चे, जिनको देने के लिए किसी वाद में विवश किया जाए; यदि वह वाद लाने या प्रतिरक्षा करने में उसने वचनदाता के आदेशों का उल्लंघन न किया हो और इस प्रकार कार्य किया हो, जिस प्रकार कार्य करना क्षतिपूर्ति की किसी संविदा के अभाव में उसके लिए प्रज्ञायुक्त होता, अथवा यदि वचनदाता ने वह वाद लाने या प्रतिरक्षा करने के लिए उसे प्राधिकृत किया हो; वे सब धनराशियाँ, जो उसने ऐसे किसी वाद के किसी समझौते के निबन्धनों के अधीन दी हों, यदि वह समझौता वचनदाता के आदेशों के प्रतिकूल न रहा हो और ऐसा रहा हो, जैसा समझौता क्षतिपूर्ति की संविदा के अभाव में वचनग्रहीता के लिए करना प्रज्ञायुक्त होता; अथवा यदि वचनदाता ने उस वाद का समझौता करने के लिए उसे प्राधिकृत किया हो।

125. Rights of indemnity-holder when sued – The promisee in a contract of indemnity, acting within the scope of his authority, is entitled to recover from the promisor

(1) all damages which he may be compelled to pay in any suit in respect of anymatter to which the promise to indemnify applies;

(2) all costs which he may be compelled to pay in any such suit if, in bringing or defending it, he did not contravene the orders of the promisor, and acted as it would have been prudent for him to act in the absence of any contract of indemnity, or if the promisor authorized him to bring or defend the suit; all sums which he may have paid under the terms of any compromise of any such suit, if the compromise was not contrary to the orders of the promisor, and was one which it would have been prudent for the promisee to make in the absence of any contract of indemnity, or if the promisor authorized him to compromise the suit.