उस व्यक्ति का दायित्व जिसको भूल से या प्रपीड़न के अधीन धन का संदाय या चीज का परिदान किया जाता है (Liability of person to whom money is paid, or thing delivered, by mistake or under coercion)
Updated: Sep, 15 2018
72. उस व्यक्ति का दायित्व जिसको भूल से या प्रपीड़न के अधीन धन का संदाय या चीज का परिदान किया जाता है -- जिस व्यक्ति को भूल से या प्रपीड़न के अधीन धन संदत्त किया गया है या कोई चीज परिदत्त की गई है, उसे उसका प्रतिसंदाय या वापसी करनी होगी।
दृष्टान्त
(क) 'क' और 'ख' संयुक्तत: 'ग' के 100 रुपये के देनदार हैं। अकेला 'क' ही 'ग' को वह रकम संदत्त कर देता है। और इस तथ्य को न जानते हुए, 'ग' को 'ख' 100 रुपये फिर संदत्त कर देता है। इस रकम का 'ख' को प्रतिसंदाय करने के लिए 'ग' आबद्ध है।
(ख) एक रेल-कम्पनी परेषिती को अमुक माल, जब तक कि वह उसके वहन के लिए अवैध प्रभार न दे, परिदत्त करने से इन्कार करती है। परेषिती माल को अभिप्राप्त करने के लिए प्रभार की वह राशि संदत्त कर देता है। वह उस प्रभार में से उतना वसूल करने का हकदार है जितना अविधित: अधिक था।
72. Liability of person to whom money is paid, or thing delivered, by mistake or under coercion - A person to whom money has been paid, or anything delivered, by mistake or under coercion, must repay or return it.
Illustrations
(a) A and B jointly owe 100 rupees to C, A alone pays the amount to C, and B, not knowing this fact, pays 100 rupees over again to C. C is bound to repay the amount to B.
(b) A railway company refuses to deliver up certain goods to the consignee except upon the payment of an illegal charge for carriage. The consignee pays the sum charged in order to obtain the goods. He is entitled to recover so much of the charge as was illegal and excessive.