स्टाम्पित अधूरी लिखत (Inchoate stamped instruments)
Updated: Mar, 28 2020
20. स्टाम्पित अधूरी लिखत -- जहाँ कि एक व्यक्ति भारत में परक्राम्य लिखत-सम्बन्धी तत्समय प्रवृत्त विधि के अनुसार, स्टाम्पित और या तो पूर्णतः निरंक या उस पर अपूरित परक्राम्य लिखत लिखकर कोई कागज हस्ताक्षरित करता है और किसी दूसरे को परिदत्त कर देता है जहाँ वह उसके धारक को तद्वारा यह प्रथमदृष्टया प्राधिकार देता है कि वह किसी भी रकम के लिए, जो उसमें विनिर्दिष्ट हो, और उस रकम से अधिक न हो जिसके लिए वह स्टाम्प पर्याप्त है, परक्राम्य लिखत उस पर यथास्थिति रच ले या पूर्ण कर ले । ऐसे हस्ताक्षर करने वाला व्यक्ति अपनी उस हैसियत में, जिसमें उसने उस पर हस्ताक्षर किया, किसी भी सम्यक्-अनुक्रम-धारक के प्रति ऐसी रकम के लिए ऐसी लिखत पर दायी होगा, परन्तु सम्यक्-अनुक्रम-धारक से भिन्न कोई भी व्यक्ति लिखत परिदत्त करने वाले व्यक्ति से उस रकम से अधिक कुछ वसूल न करेगा तो उसके द्वारा तदधीन संदत्त की जाने के लिए आशयित थी ।
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20. Inchoate stamped instruments - Where one person signs and delivers to another a paper stamped in accordance with the law relating to negotiable instruments then in force in India and either wholly blank or having written thereon an incomplete negotiable instrument, he thereby gives prima facie authority to the holder thereof to make or complete, as the case may be, upon it a negotiable instrument, for any amount specified therein and not exceeding the amount covered by the stamp. The person so signing shall be liable upon such instrument, in the capacity in which he signed the same, to any holder in due course for such amount; provided that no person other than a holder in due course shall recover from the person delivering the instrument anything in excess of the amount intended by him to be paid thereunder.