No: सी. 6-2-98-3-1 Dated: May, 26 1998

 

मध्यप्रदेश शासन

सामान्य प्रशासन विभाग

 

क्रमांक - सी. 6-2-98-3-1                                                                 दिनांक - 26 मई, 1998

 

विषय- शासकीय सेवकों को निलंबन में रखने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का अभिमत।

 

सर्वोच्च न्यायालय ने निरंजन सिंह तथा अन्य विरुद्ध प्रभाकार राजाराम खरोटे तथा अन्य (एस. एल. पी. क्र. 393 सन् 1980) के मामले में शासकीय सेवकों को, जिनके विरुद्ध न्यायालय द्वारा गंभीर आरोप लगाये जाते हैं, निलंबन में रखने की आवश्यकता पर अपना अभिमत व्यक्त किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस निर्णय में विशेष रूप से निर्दिष्ट की गई गलतियों की भविष्य में पुनरावृत्ति न हो, इसलिए राज्य सरकारों को समुचित उपाय करने की भी सलाह दी है। उक्त निर्णय की प्रति संलग्न है।

2. मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के नियम 9 (एक) (ख) में यह व्यवस्था की गई है कि सक्षम प्राधिकारी किसी शासकीय सेवक को, जहाँ उसके विरुद्ध किसी भी दाण्डिक अपराध के संबंध में कोई मामला अन्वेषण, जांच या परीक्षण के अधीन हो, निलंबित कर सकेगा। पुस्तक परिपत्र भाग-एक क्रमांक 13 के पैरा 8 (दो) में शासन ने यह निर्देश जारी किया है कि किसी ऐसे शासकीय कर्मचारी को भी, जिसके विरुद्ध विचारण के पूर्व किसी अपराध का अन्वेषण किया जा रहा है या जिसके विरुद्ध आपराधिक आरोप या ऋण के लिये गिरफ्तारी हेतु कार्यवाही लंबित हो, तथा जिसे अड़तालीस घंटे से अधिक की अवधि का कारावास दिया गया हो, इस आशय के विनिर्दिष्ट आदेश जारी करके निलंबित किया जाना चाहिए, बशतें कि अन्वेषण या विचारण प्रारंभ हो गया हो या उसके विरुद्ध लगाये गये आरोप या की गई कार्यवाही शासकीय कर्मचारी के रूप में उसकी स्थिति से संबंधित हो या उसके द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में उलझन पड़ने की संभावना हो या उसमें उसकी नैतिक अधमता अंतर्निहित हो। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में जिस प्रकार के आरोपों में शासकीय कर्मचारियों को निलंबन में रखने की आवश्यकता पर बल दिया है, उसके संबंध में वर्तमान नियमों एवं अनुदेशों में आवश्यक मार्गदर्शन विद्यमान है तथापि, सभी का ध्यान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उपर्युक्त मामले में व्यक्त किये गए अभिमत एवं सुझावों तथा इस संबंध में विद्यमान नियम तथा शासन के उपर्युक्त निर्देशों की ओर आकृष्ट किया जाता है।

3. कृपया उपर्युक्त निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें।

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