केन्द्रीय बजट 2020-21 का सारांश
No: --- Dated: Feb, 01 2020
भाग – क
21वीं शताब्दी के तीसरे दशक का पहला केन्द्रीय बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज दूर-दराज तक पहुंचने वाले अनेक सुधारों की शुरुआत की, जिनका उद्देश्य लघु अवधि, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक उपायों से भारतीय अर्थव्यवस्था को ऊर्जावान बनाना है।
केन्द्रीय बजट “जीवन को सरल बनाने” की सम्पूर्ण विषय-वस्तु पर तैयार किया गया है। किसानों के अनुकूल पहल करके इसे 2020-21 के लिए 15 लाख करोड़ रुपये का कृषि ऋण लक्ष्य रखा गया है और खराब होने वाली वस्तुओं के लिए बिना किसी बाधा वाली राष्ट्रीय शीत आपूर्ति श्रृंखला के लिए भारतीय रेलवे और नागर विमानन मंत्रालय ने क्रमशः “किसान रेल” और “कृषि उड़ान” की शुरुआत की है; 20 लाख किसानों को ग्रिड से जुड़े पम्पों को हासिल करने के लिए पीएम कुसुम का विस्तार किया जाएगा।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत 20,000 से ज्यादा अस्पतालों को पैनल में शामिल किया गया है; और 2024 तक 2000 औषधियों और 300 सर्जिकलों की सभी जिलों को पेशकश करते हुए जन औषधि केन्द्र योजना लागू की गई है।
उड़ान योजना को सहयोग प्रदान करने के लिए 2024 तक 100 और हवाई अड्डों के साथ बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाई जाएगी और पीपीपी मोड के जरिए 150 यात्री ट्रेने चलाई जाएंगी।
मार्च, 2021 तक लगभग 150 उच्चतर शिक्षा संस्थानों के जरिए एप्रेंटिसशिप की शुरुआत की जाएगी और भारतीय विरासत संरक्षण संस्थान की स्थापना करने का प्रस्ताव बजट की कुछ अन्य प्रमुख बातें हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि केन्द्रीय बजट का उद्देश्य :
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डिजिटल गवर्नेंस के जरिए सेवाओं की आसान डिलीवरी
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राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन के जरिए जीवन की भौतिक गुणवत्ता में सुधार लाना
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आपदा रोधक के जरिए जोखिम को कम करना
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पेंशन और बीमा प्रवेश के जरिए सामाजिक सुरक्षा
बजट तीन प्रमुख विषय-वस्तुओँ को लेकर तैयार किया गया है :
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आकांक्षी भारत जिसमें समाज के सभी वर्गों को जीवनयापन का बेहतर स्टैंडर्ड मिले, स्वास्थ्य, शिक्षा और बेहतर रोजगार तक पहुंच।
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सभी के लिए आर्थिक विकास, जिसका संकेत प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ में दिया गया है।
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जिम्मेदार समाज जो मानवीय और करुणामय हो, जहां अन्तोदय भरोसे का साथी हो।
तीन विस्तृत विषय वस्तुओं को एक स्थान पर रखा गया है
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भ्रष्टाचार मुक्त - नीति आधारित सुशासन
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स्वच्छ और मजबूत वित्तीय क्षेत्र
आकांक्षी भारत के तीन प्रमुख अंग है – (क) कृषि, सिंचाई और ग्रामीण विकास (ख) तंदुरुस्ती, पानी और स्वच्छता और (ग) शिक्षा और कौशल
कृषि, सिंचाई और ग्रामीण विकास
वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि, ग्रामीण विकास, सिंचाई और सम्बद्ध कार्यों पर 2.83 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे क्योंकि किसान और ग्रामीण गरीबों पर सरकार मुख्य रूप से ध्यान देना जारी रखेगी। वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए, उन्होंने कहा कि सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत 6.11 करोड़ किसानों का बीमा करके सरकार उनके जीवन में उजाला कर चुकी है। वर्ष 2020-21 के लिए 15 लाख करोड़ रुपये का कृषि ऋण का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री – किसान के सभी पात्र लाभार्थियों को केसीसी योजना के अंतर्गत शामिल किया जाएगा। इसके अलावा सरकार पानी की समस्या से जुझ रहे 100 जिलों के लिए व्यापक उपाय करने, 20 लाख किसानों को स्टैंड अलोन सौर पम्प स्थापित करने के लिए पीएम – कुसुम योजना का विस्तार करने और अन्य 15 लाख किसानों को उनके ग्रिड से जुड़े पम्प सेट को सौर ऊर्जा आधारित बनाने, ब्लॉक/ताल्लुक स्तर पर और बागवानी क्षेत्र में कार्यक्षम मालगोदाम स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें बेहतर मार्केटिंग और निर्यात के लिए राज्यों की सहायता करने का प्रस्ताव है जो “एक उत्पाद, एक जिला” पर विशेष ध्यान देंगे। सरकार वर्ष 2025 तक मवेशियों के खुर और मुंह में होने वाली बीमारी ब्रूसिलोसिस तथा भेड़ और बकरियों में होने वाली पेस्ते देस पेटिस रुमिनेंट (पीपीआर) नामक बीमारी को खत्म करेंगे। कृत्रिम गर्भाधान का कवरेज वर्तमान 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत किया जाएगा। चरागाह विकसित करने के लिए मनरेगा को जोड़ने, 2025 तक दूध प्रसंस्करण क्षमता को 53.5 मिलियन मीट्रिक टन से दुगुना करके 108 मिलियन मीट्रिक टन किया जाएगा। इसी प्रकार से नीली अर्थव्यवस्था में वर्ष 2022-23 तक मत्स्य उत्पादन बढ़ाकर 200 लाख टन करने का प्रस्ताव है। सरकार युवाओं 3477 सागर मित्रों तथा 500 मत्स्यपालक उत्पादक संगठनों के माध्यम से मछली पालन का विस्तार करेगी। उम्मीद है कि 2024-25 तक मछली का निर्यात बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये तक हो जाएगा। दीन दयाल अन्तोदय योजना – गरीबी उन्मूलन के लिए 50 लाख परिवारों को 58 लाख स्वसहायता समूहों के साथ जोड़ा गया है और इसका आगे भी विस्तार किया जाएगा।
आरोग्यता, जल और स्वच्छता
आरोग्यता जल और स्वच्छता का जिक्र करते हुए श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 69,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के लिए 6,400 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत 20,000 से अधिक पैनलबद्ध अस्पताल है फिर भी इस योजना के अंतर्गत स्तर-2 और स्तर-3 शहरों में गरीबों के लिए अधिक अस्पतालों की आवश्यकता है। आयुष्यमान भारत योजना में मशीन लर्निंग और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का प्रयोग करते हुए पीपीपी मोड के तहत मुख्यतः आकांक्षी जिलों में अस्पतालों की स्थापना का प्रस्ताव है। 2025 तक तपेदिक (टी.बी) को समाप्त करने के लिए “टीबी हारेगा, देश जितेगा” शुरु किया गया है। इसके अलावा बजट में 2024 तक सभी जिलों में 2,000 औषधियों तथा 300 सर्जिकल की पेशकश करते हुए जन औषधि केन्द्र योजना का विस्तार करने का प्रस्ताव किया गया है।
स्वच्छता के क्षेत्र में सरकार खुले में शौच मुक्त भारत के लिए प्रतिबद्ध है। स्वच्छ भारत मिशन के लिए 2020-21 में कुल 12,300 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इसी प्रकार से जल जीवन मिशन के लिए 3.60 लाख करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है और वर्ष 2020-21 के दौरान इस योजना के लिए 11,500 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे।
शिक्षा एवं कौशल विकास का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में शिक्षा क्षेत्र के लिए 99,300 करोड़ रुपये और कौशल विकास के लिए 3000 करोड़ रुपये आवंटित किए जा रहे हैं। नई शिक्षा नीति की घोषणा जल्द ही की जाएगी। लगभग 150 उच्च शिक्षण संस्थान मार्च 2021 तक अप्रेंटिसशिप युक्त डिग्री/डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू कर देंगे। डिग्री स्तर का पूर्णकालिक ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। ‘भारत में अध्ययन’ कार्यक्रम के तहत इंड-सैट को एशियाई एवं अफ्रीकी देशों में शुरू करने का प्रस्ताव है। पुलिस संबंधी विज्ञान, फॉरेंसिक विज्ञान, साइबर-फॉरेंसिक, इत्यादि के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुलिस विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना करने का प्रस्ताव किया गया है। यह प्रस्ताव किया गया है कि स्वास्थ्य एवं कौशल विकास मंत्रालयों द्वारा विशेष ब्रिज कोर्स तैयार किए जाएंगे।
आर्थिक विकास
उद्योग, वाणिज्य एवं निवेश
आर्थिक विकास की थीम का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि उद्योग एवं वाणिज्य के विकास व संवर्धन के लिए वित्त वर्ष 2020-21 में 27,300 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे। समग्र रूप से सुविधा प्रदान करने के लिए एक निवेश मंजूरी प्रकोष्ठ स्थापित किया जाएगा। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) व्यवस्था के तहत राज्यों के साथ सहयोग से 5 नवीन ‘स्मार्ट सिटी’ विकसित करने का प्रस्ताव किया गया है। मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण एवं सेमी-कंडक्टर पैकेजिंग के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए भी एक योजना का प्रस्ताव किया गया है। इसी तरह 1480 करोड़ रुपये के अनुमानित परिव्यय के साथ 4 वर्षों की कार्यान्वयन अवधि वाला एक राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन शुरू किया जाएगा, जिसका उद्देश्य भारत को तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाना है। अधिक निर्यात ऋण के वितरण के उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक नई योजना ‘निर्विक’ शुरू की जा रही है, जिसके तहत मुख्यत: छोटे निर्यातकों को आवश्यक सहयोग दिया जाएगा। गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम) वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद हेतु एकल प्लेटफॉर्म मुहैया कराने के लिए देश में एकीकृत खरीद प्रणाली सृजित करने की दिशा में अग्रसर हो रहा है। जेम के कारोबार (टर्नओवर) को 3 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर ले जाने का प्रस्ताव है। 3.24 लाख वेंडर पहले ही इस प्लेटफॉर्म से जुड़ चुके हैं।
अवसंरचना
पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने अवसंरचना सेक्टर पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि अगले 5 वर्षों में इस क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इसके मद्देनजर 31 दिसम्बर, 2019 को 103 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन का शुभारंभ किया गया। इसमें समस्त सेक्टरों में 6500 से भी अधिक परियोजनाएं शामिल हैं और इन्हें उनके आकार एवं विकास की स्थिति के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि अवसंरचना पाइपलाइन के लिए आवश्यक सहयोग के रूप में लगभग 22000 करोड़ रुपये पहले ही मुहैया कराये जा चुके हैं। इसी तरह राजमार्गों के त्वरित विकास पर भी काम किया जाएगा। इनमें 2500 किलोमीटर लम्बे एक्सेस कंट्रोल राजमार्गों, 9000 किलोमीटर लम्बे आर्थिक कॉरिडोर, 2000 किलोमीटर लम्बे तटीय एवं भूमि बंदरगाह सड़कों और 2000 किलोमीटर लम्बे रणनीतिक राजमार्गों का विकास शामिल होगा। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और दो अन्य पैकेजों को वर्ष 2023 तक पूरा किया जाएगा। चेन्नई-बेंगलुरू एक्सप्रेसवे भी शुरू किया जाएगा वर्ष 2024 से पहले 6000 किलोमीटर से भी अधिक लम्बे राजमार्गों के संयोजन के कम से कम 12 लॉट का मुद्रीकरण करने का प्रस्ताव है। भारतीय रेलवे ने 27000 किलोमीटर लम्बी पटरियों का विद्युतीकरण करने का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के सत्तारूढ़ होने के 100 दिनों के अंदर ही 550 वाई-फाई सुविधाओं को इतने ही स्टेशनों पर शुरू किया जा चुका है। पीपीपी के जरिए चार स्टेशन पुनर्विकास परियोजनाओं और 150 यात्री ट्रेनों का परिचालन सुनिश्चित किया जाएगा। निजी भागीदारी को आमंत्रित करने की प्रक्रिया जारी है। ‘तेजस’ जैसी कई और रेलगाडि़यां दर्शनीय पर्यटन स्थलों को आपस में जोड़ेंगी। मुंबई और अहमदाबाद के बीच हाई स्पीड ट्रेन के परिचालन पर सक्रियतापूर्वक काम किया जाएगा। इसी तरह ‘उड़ान’ योजना में आवश्यक सहयोग देने के लिए वर्ष 2024 तक 100 और हवाई अड्डों को विकसित किया जाएगा। आने वाले समय में हवाई बेड़े की संख्या मौजूदा 600 से बढ़कर 1200 हो जाने की आशा है। वर्ष 2020-21 में परिवहन संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये का आवंटन करने का प्रस्ताव है। इसी तरह वित्त वर्ष 2020-21 में विद्युत एवं नवीकरणीय ऊर्जा सेक्टर के लिए 22,000 करोड़ रुपये का आवंटन करने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही राष्ट्रीय गैस ग्रिड के दायरे को मौजूदा 16,200 किलोमीटर से बढ़ाकर 27,000 किलोमीटर करने का प्रस्ताव है।
नई अर्थव्यवस्था
‘नई अर्थव्यवस्था’ का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि निजी क्षेत्र देश भर में डेटा सेंटर पार्कों का निर्माण कर सके, इसके लिए जल्द ही एक नीति प्रस्तुत की जाएगी। इस वर्ष ‘भारतनेट’ के जरिए ‘फाइबर टू द होम (एफटीटीएच) कनेक्शन’ 1,00,000 ग्राम पंचायतों को आपस में कनेक्ट करेंगे। वित्त वर्ष 2020-21 में भारतनेट कार्यक्रम को 6000 करोड़ रुपये मुहैया कराने का प्रस्ताव किया गया है। स्टार्ट-अप्स को लाभान्वित करने के लिए अनेक प्रस्ताव किए गए हैं, जिनमें आईपीआर के निर्बाध अनुप्रयोग एवं इन्हें दर्ज करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाना और नये एवं उभरते क्षेत्रों सहित विभिन्न प्रौद्योगिकी सेक्टरों में ‘नॉलेज ट्रांसलेशन क्लस्टरों’ को स्थापित करना शामिल हैं। अवधारणा के साक्ष्य की डिजाइनिंग, इनके निर्माण और वैधीकरण तथा प्रौद्योगिकी क्लस्टरों का स्तर और अधिक ऊपर उठाने के लिए हार्बरिंग टेस्ट बेड एवं छोटी विनिर्माण इकाइयां स्थापित की जाएंगी। राष्ट्रीय क्वांटम प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग मिशन के लिए 5 वर्षों की अवधि के दौरान 8,000 करोड़ रुपये का प्रावधान करने का प्रस्ताव किया गया है।
जिम्मेदार समाज
महिला एवं बाल, समाज कल्याण
जिम्मेदार समाज के मूल्य विषय पर जोर देते हुए वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान पोषण संबंधी कार्यक्रमों के लिए 35,600 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया। उन्होंने महिला विशिष्ट कार्यक्रमों के लिए 28,600 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया। इसके अलावा, वित्त मंत्री ने 2020-21 के दौरान अनुसूचित जातियों तथा अन्य पिछड़ा वर्गों के कल्याण के लिए 85,000 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव किया। इसी प्रकार वर्ष 2020-21 के दौरान, अनुसूचित जनजाति के विकास कल्याण को आगे बढ़ाने के लिए 53,700 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि सरकार वरिष्ठ नागरिकों एवं दिव्यांगों की समस्याओं से चिंतित है इसके लिए 2020-21 के लिए 9500 करोड़ रुपये का आवंटन किया जा रहा है।
संस्कृति एवं पर्यटन
अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि संस्कृति एवं पर्याटन के बारे में संस्कृति मंत्रालय के तहत एक भारतीय विरासत एवं संरक्षण संस्थान की स्थापना की जाएगी, जिसे मान्य विश्वविद्यालय का दर्जा होगा। पांच धरोहर स्थलों – राखीगढ़ी (हरियाणा), हस्तिनापुर (उत्तर प्रदेश), शिवसागर (असम), धौलावीरा (गुजरात) और अदिचनल्लूर (तमिलनाडु) को स्थानिक संग्रहालयों सहित प्रतिमान स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा। प्रधानमंत्री द्वारा जनवरी 2020 में की गई घोषणा के अनुसार, कोलकाता में भारतीय संग्रहालय का पुनरोद्धार किया जाएगा। ऐतिहासिक पुराने टकसाल भवन कोलकाता में मुद्रा विषय और व्यापार पर एक संग्रहालय भी स्थित होगा। पूरे देश में चार अन्य संग्रहालयों का नवीकरण और पुनरोद्धार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रांची (झारखण्ड) में जनजातीय संग्रहालय स्थापित करने में मदद दी जाएगी। अहमदाबाद के निकट लोथल में पोत परिवहन मंत्रालय द्वारा एक पोत संग्रहालय स्थापित किया जाएगा, जो हड़प्पा युग का एक नौवहन स्थल है।
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन
बजट प्रस्ताव पेश करते हुए श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार उन राज्यों को प्रोत्साहित करेगी, जो एक मिलियन से अधिक जनसंख्या वाले नगरों में स्वच्छ हवा सुनिश्चित करने के लिए योजनाएं बना रहे हैं और उन्हें कार्यान्वित कर रहे हैं। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा इस प्रोत्साहन के मानदण्ड के बारे में अधिसूचित किया जाएगा और 2020-21 के लिए इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु 4400 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे।
शासन
शासन को निष्पक्ष, भ्रष्टाचार मुक्त, नीति द्वारा संचालित और सही इरादे तथा सबसे अधिक महत्वपूर्ण निष्ठा में विश्वास करने के मुद्दे पर जोर देते हुए, वित्त मंत्री ने अराजपत्रित पदों की भर्ती हेतु एक कम्प्यूटर आधारित ऑनलाइन सामान्य पात्रता परीक्षा के संचालन के लिए एक स्वतंत्र, पेशेवर, विशेषज्ञ संगठन के रूप में एक राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) की स्थापना की घोषणा की। प्रत्येक जिले, विशेषकर महत्वाकांक्षी जिलों एक परीक्षा केन्द्र भी स्थापित किया जाएगा। वित्त मंत्री ने सर्वश्रेष्ठ मेधावी एवं पेशेवर विशेषज्ञों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न अधिकरणों एवं विशेषज्ञ निकायों में सीधी भर्ती सहित नियुक्ति हेतु सशक्त प्रणाली विकसित करने का भी प्रस्ताव किया। अनुबंध अधिनियम को सशक्त बनाने के बारे में विचार-विमर्श भी जारी है।
वित्तीय क्षेत्र
केन्द्रीय बजट 2020-21 को पेश करते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, भारत सरकार ने विनियामक तथा विकास के उद्देश्य से सरकारी क्षेत्र के बैंकों को पूंजी के माध्यम से लगभग 3,50,000 करोड़ रुपये प्रदान किये हैं। इन बैंकों में शासन संबंधी सुधार किए जाएंगे, ताकि वे अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकें। सरकार ने 10 बैंकों का विलय करके चार बैंकों के गठन को मंजूरी दी है। इसके अलावा, जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) को जमाकर्ता के लिए जमा राशि बीमा का दायरा मौजूदा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर प्रति जमाकर्ता 5 लाख रुपये किए जाने की अनुमति दे दी है। वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हेतु प्रवर्तन (एसएआरएफएईएसआई) अधिनियम, 2002 के तहत ऋण वसूली हेतु पात्र होने के लिए एनबीएफसी हेतु सीमा को 500 करोड़ रुपये से घटाकर 100 करोड़ रुपए का आस्ति सीमा किए जाने अथवा मौजूदा 1 करोड़ रुपये से घटाकर ऋण सीमा 50 लाख रुपये किए जाने का प्रस्ताव किया। उन्होंने अधिक पूंजी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए भारत सरकार के आईडीबीआई बैंक की शेष पूंजी स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से निजी, खुदरा और संस्थागत निवेशकों को बेचे जाने का प्रस्ताव किया। नौकरी के दौरान आवागमन को आसान बनाने में मदद करने के लिए, उन्होंने कहा कि हम सार्वभौमिक पेंशन के दायरे को स्वतः नामंकम में लाना चाहते हैं, हम ऐसे तंत्र भी लाना चाहते हैं, जो अंतर-प्रचालनीयता में समर्थ बना सके और संचित निधियों के लिए सुरक्षा उपाय मुहैया करा सकें। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि पिछले वर्ष भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनुमत ऋण संरचना से पांच लाख से अधिक एमएसएमई लाभान्वित हुए हैं। पुनर्संरचना विन्डो 31 मार्च 2020 को समाप्त होनी थी। सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक से इस विन्डो का 31 मार्च 2021 तक विस्तार करने पर विचार किए जाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि भेषज, ऑटो संघटकों और अन्य जैसे चुनिंदा क्षेत्रों के लिए हम प्रौद्योगिकी उन्नयन, अनुसंधान एवं विकास, व्यवसाय संबंधी कार्यनीति आदि के लिए सहायता प्रदान करने का प्रस्ताव करते हैं। सीडीबी बैंक के साथ एक्जिम बैंक द्वारा 1000 करोड़ रुपये की स्कीम प्रारम्भ की जाएगी।
वित्तीय बाजार
केन्द्रीय बजट 2020-21 प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने वित्तीय बाजारों के बारे में कहा कि सरकारी प्रतिभूतियों की कतिपय विनिर्दिष्ट श्रेणियां घरेलू निवेशकों को उपलब्ध कराए जाने के अलावा अनिवासी निवेशकों के लिए भी पूरी तरह खोल दी जाएंगी। सरकार की ओर से निवेशकों का भरोसा बढ़ाने तथा ऋण चूक स्वायप का दायरा बढ़ाने के लिए, वित्तीय संकुचनों को कम करने के क्रम में एक तंत्र तैयार करने की दिशा में एक विधान बनाने का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने कहा कि एनबीएफसी/एचएफसी की नकदी संबंधी बाधाओं का निराकरण करने के लिए केन्द्रीय बजट 2019-20 के बाद सरकार ने एनबीएफसी के लिए एक आंशिक ऋण गारंटी स्कीम तैयार की है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि सरकार तथा भारतीय रिजर्व बैंक ने गिफ्ट सिटी, गुजरात में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र में व्यापार के लिए रुपये के अवयवों को अनुमति देने के लिए अनेक उपाय किए हैं।
विनिवेश
विनिवेश पर वित्त मंत्री ने कहा कि कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कराने से कंपनी अनुशासन में रहती है। इससे उसकी पहुंच वह वित्तीय बाजारों तक सुनिश्चित होती है और अपना मूल्य निर्धारित करती है। इससे खुदरा निवेशकों को सृजित पूंजी में भागीदारी का अवसर भी मिलता है। अब सरकार ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिए एलआईसी में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव दिया है।
राजकोषीय प्रबंधन
राजकोषीय प्रबंधन पर वित्त मंत्री ने कहा कि 15वें वित्त आयोग ने वित्त वर्ष 2020-21 से संबंधित अपनी पहली रिपोर्ट दे दी। सहकारी संघवाद की भावना से सरकार ने आयोग के सुझावों को स्वीकार कर लिया है। आयोग 2021-22 से शुरू होने वाले पांच वर्षों के लिए अपनी अंतिम रिपोर्ट राष्ट्रपति को इस साल के उत्तरार्द्ध में सौंपेगा। उन्होंने वर्ष 2016-17 और वर्ष 2017-18 की संग्रहण में से देय जीएसटी क्षतिपूर्ति निधि शेष राशियों को दो किस्तों में अंतरित करने का निर्णय लिया। इसके पश्चात् निधि में अंतरण जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर के जरिए संग्रहण तक ही सीमित होगा। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए व्यय के संशोधित अनुमान 26.99 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर है और प्राप्तियां 19.32 लाख करोड़ रुपये अनुमानित हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2020-21 के लिए हमने उपलब्ध प्रवृतियों के आधार पर जीडीपी की 10 प्रतिशत पर मामूली वृधि अनुमानित की है। तदनुसार वर्ष 2020-21 के लिए प्राप्तियां 22.46 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है और विभिन्न योजनाओं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता उद्यान में रखते हुए व्यय के स्तर को 30.42 लाख करोड़ रुपये रखा गया है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए उधारों का एक हिस्सा सरकार के उस पूंजीगत व्यय के लिए चला जाएगा, जो 21 प्रतिशत से भी अधिक हो गया है। उन्होंने कहा कि इस उपाय से अर्थव्यवस्था में वृद्धि को रफ्तार मिलेगी।
भाग ख
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार ने मूलभूत राजकोषीय उपायों की अगुवाई में भारत की अर्थव्यवस्था का उच्च वृद्धि के मार्ग पर निरंतर बढ़ते रहना सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा कि यह आश्वस्त होने के लिए कि भारत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और निवेश के लिए अनुकूल गन्तव्य बना रहे, हमने विनिर्माण क्षेत्र में नई कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर दर को अभूतपूर्व रूप से कम करके 15 प्रतिशत के स्तर पर लाने का निर्णय लिया है। मौजूदा कंपनियों के लिए भी उक्त दर को घटाकर महज 22 फीसदी कर दिया गया है। परिणाम स्वरूप हमारी कॉरपोरेट कर दरें अब विश्व में न्यूनतम दरों में शामिल हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि अभी तक किए गए सुधारात्मक उपायों के क्रम में इस बजट के कर प्रस्तावों में वृद्धि को उत्प्रेरित करने, कर ढांचे को सरल बनाने, अनुपालन के सहज बनाने और मुकदमेबाजी को कम करने के लिए और अधिक सुधार शुरू किए जाएंगे।
व्यक्तिगत आयकर और कराधान का सरलीकरण
व्यक्तिगत करदाताओं को पर्याप्त राहत देने और आयकर कानूनों को सरल बनाने के लिए वित्त मंत्री ने एक नई और सरलीकृत व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव किया है, जहां उन व्यक्तिगत करदाताओं के लिए आयकर दरों को पर्याप्त रूप से कम किया जाएगा, जो कतिपय कटौतियों और छूटों का त्याग करता है।
कर ढांचे में प्रस्तावित बदलाव निम्नलिखित तालिका में दिए गए हैं:
कर योग्य आय के स्लैब (रुपये) |
मौजूदा कर दरें |
नई कर दरें |
0 से 2.5 लाख |
छूट |
छूट |
2.5 से -5 लाख |
5% |
5% |
5 से 7.5 लाख |
20% |
10% |
7.5 से 10 लाख |
20% |
15% |
10 से 12.5 लाख |
30% |
20% |
12.5 से 15 लाख |
30% |
25% |
15 लाख से ऊपर |
30% |
30% |
अधिभार एवं उपकर मौजूदा दरों पर जारी रहेंगे।
नई कर व्यवस्था में किसी करदाता द्वारा दावा की गई छूटों और कटौतियों के आधार पर उसे पर्याप्त कर लाभ मिलेगा। उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति एक वर्ष में 15 लाख रुपये अर्जित करता है और किसी कटौती का लाभ नहीं उठा रहा, तो उसे पुरानी व्यवस्था में 2,73,000 रुपये देने होते जबकि अब उसे मात्र 1,95,000 रुपये का भुगतान करना होगा। इस प्रकार नई व्यवस्था में उसका कर बोझ 78,000 रुपये कम होगा। वह नई व्यवस्था में तब भी लाभ में रहेगा भले ही वह पुरानी व्यवस्था के तहत आयकर अधिनियम के अध्याय VI-क की विभिन्न धाराओं के तहत 1.5 लाख रुपये की कटौती ले रहा हो।
नई कर व्यवस्था करदाताओं के लिए वैकल्पिक होगी। जो व्यक्ति वर्तमान में आयकर अधिनियम के तहत और अधिक कटौती और छूट ले रहा हो, उनका लाभ उठाने का विकल्प दे सकता है और पुरानी व्यवस्था में कर का भुगतान जारी रख सकता है।
नई व्यक्तिगत आयकर दरों के लिए प्रति वर्ष 40,000 करोड़ रुपये का अनुमानित परित्यक्त राजस्व आवश्यकता होगा। आयकर विवरणी को समय पूर्व करने के उपाय भी शुरू किए गए हैं, ताकि नई व्यवस्था का विकल्प देने वाले व्यक्ति को अपनी विवरणी दायर करने और आयकर देने में किसी विशेषज्ञ की सहायता की आवश्यकता नहीं होगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि उन्होंने विगत अनेक दशकों में आयकर कानून में समाविष्ट की गई सभी छूटों और कटौतियों की समीक्षा की।
वर्तमान में आयकर अधिनियम में विभिन्न प्रकृति की एक सौ से अधिक और कटौतियां प्रदान की गई हैं। उन्होंने कहा कि मैंने नई सरलीकृत व्यवस्था में इनमें से लगभग 70 को हटा दिया है। उन्होंने कहा कि हम कर प्रणाली को और सरल बनाने तथा कर दर को कम करने के विचार से आने वाले वर्षों में बकाया छूटों और कटौतियों की समीक्षा करके इन्हें युक्तिसंगत बनायेंगे।
लाभांश वितरण कर
वर्तमान में कंपनियों को अपने शेयरधारकों को प्रदत्त लाभांश पर लागू अधिभार और उप कर सहित 15 प्रतिशत से अधिक लाभांश वितरण कर (डीडीटी) देना पड़ता है और यह कर कंपनी द्वारा अपने लाभों पर दिये जाने वाले कर के अतिरिक्त होता है। भारतीय इक्विटी बाजार को और अधिक आकर्षक बनाने तथा निवेशकों के एक बड़े वर्ग को राहत प्रदान करने के लिए वित्तमंत्री ने डीडीटी को हटाने और लाभांश प्रावधान की क्लासिकल प्रणाली को अपनाने का प्रस्ताव किया है। इसके तहत कंपनियों को डीडीटी का भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी। लाभांश कर केवल प्राप्तकर्ताओं के हाथों में उनकी लागू दर पर ही लगाया जायेगा।
करों के क्रम प्रपाती (कैसकेडिंग) प्रभाव को दूर करने के लिए वित्तमंत्री ने धारक कंपनी द्वारा उसकी सहायक कंपनी से प्राप्त किये गये लाभांश के लिए कटौती देने का भी प्रस्ताव किया है। डीडीटी को हटाये जाने से 25,000 करोड़ रुपये के अनुमानित वार्षिक परित्यक्त (फोरगोन) राजस्व को बढ़ावा मिलेगा। इससे भारत निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन जायेगा।
विद्युत उत्पादक कंपनियों के लिए रियायती कर दर
सितम्बर, 2019 में नये प्रावधान शुरू किये गये, जिनमें विनिर्माण क्षेत्र में शामिल हुई उन नई कंपनियों के लिए जो 31 मार्च, 2023 तक विनिर्माण शुरू करेंगी 15 प्रतिशत के रियायती कॉरपोरेट कर दर का प्रस्ताव किया गया है।
विद्युत क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए उन्होंने 15 प्रतिशत की रियायती कॉरपोरेट कर दर विद्युत उत्पादन में लगी नई घरेलू कंपनियों को देने का प्रस्ताव किया गया है।
विदेशी निवेशों के लिए कर रियायत
विदेशी सरकारों की सॉवरेन धन कोष द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तमंत्री ने 31 मार्च, 2024 से पहले और 3 वर्ष की न्यूनतम लॉक-इन अवधि के लिए बुनियादी ढांचा और अन्य अधिसूचित क्षेत्रों में किए गए विनिवेश के संबंध में ब्याज, लाभांश और पूंजीगत लाभों को शत-प्रतिशत कर छूट देने का प्रस्ताव किया है।
विद्युत क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए उन्होंने विद्युत उत्पादन में लगी हुई नई घरेलू कंपनियों को भी 15 प्रतिशत की रियायती कॉरपोरेट कर दर देने का प्रस्ताव किया है।
स्टार्टअप
वित्तमंत्री ने यह पाया कि अपने विकासात्मक वर्षों के दौरान स्टार्टअप बहुत प्रतिभाशाली कर्मचारियों को आकर्षित करने और अपने यहां बनाये रखने के लिए आम तौर पर कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन प्लान (ईएसओपी) का उपयोग करते हैं। वर्तमान में ईएसओपी निष्पादन के समय पूर्व शर्त के रूप में कर योग्य है। स्टार्टअप प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए वित्तमंत्री ने 5 वर्ष तक या कंपनी छोड़ने तक अथवा उनके द्वारा अपने शेयर बेचे जाने पर, जो भी पहले हो कर भुगतान का बोझ स्थगित रखकर कर्मचारियों पर कराधान के भार को कम करने का प्रस्ताव किया है।
25 करोड़ रुपये तक के कुल कारोबार करने वाले पात्र स्टार्टअप को 7 वर्षों में से लगातार 3 निर्धारण वर्षों के लिए अपने लाभ की 100 प्रतिशत कटौती की अनुमति दी है, बशर्ते कुल कारोबार 25 करोड़ से अधिक न हो। वित्तमंत्री ने यह सीमा 25 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़ करने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कटौती के दावों की पात्रता अवधि को मौजूदा 7 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का भी प्रस्ताव किया है।
सहकारी संस्थाओं के लिए रियायती कर दर
सहकारी संस्थाओं पर वर्तमान में अधिभार और उपकर के साथ 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है। बड़ी छूट के तौर पर तथा सहकारी संस्थाओं और कॉरपोरेट के बीच समानता लाने के लिए वित्तमंत्री ने इन संस्थाओं पर छूट/कटौती के बिना 10 प्रतिशत अधिभार और चार प्रतिशत उपकर के साथ 22 प्रतिशत कर भुगतान का विकल्प प्रदान करने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने जिस प्रकार कंपनियों को नई कर प्रणाली के अंतर्गत न्यूनतम वैकल्पिक कर (एएमके) में छूट प्राप्त है, उसी प्रकार इन सहकारी संस्थाओं को वैकल्पिक न्यूनतम कर से छूट देने का प्रस्ताव किया है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई)
एमएसएमई क्षेत्र के छोटे खुदरा व्यापारियों, व्यवसायियों और दुकानदारों पर अनुपालन का भार कम करने के लिए वित्तमंत्री ने लेखा परीक्षा के लिए कुल कारोबारों की उच्चतम सीमा 5 गुना वृद्धि करके मौजूदा एक करोड़ से 5 करोड़ रूपये करने का प्रस्ताव किया है। लैस-कैश अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने यह प्रस्ताव किया है कि बढ़ी हुई सीमा केवल उन व्यापारियों के लिए लागू होगी जो अपने व्यवसाय संबंधी लेन-देन में 5 प्रतिशत से कम कैश का प्रयोग करते हैं।
सस्ते मकान
पिछले बजट में वित्तमंत्री ने सभी के लिए सस्ते मकान की खरीदारी में लिये गये ऋण के भुगतान के ब्याज में एक लाख 50 हजार रुपये तक कि अतिरिक्त कटौती की घोषणा की थी। इस अतिरिक्त कटौती का लाभ उठाने के लिए ऋण की तिथि को 31 मार्च, 2020 से और एक वर्ष आगे बढ़ाने का प्रस्ताव किया है।
धर्मार्थ संस्थाएं
धर्मार्थ संस्थानों की आय को कराधान से पूरी तरह छूट प्राप्त है। इसके अलावा इन संस्थानों को किये गये दान की भी दानदाता की कर योग्य आय की गणना करने में कटौती के रूप में अनुमति प्राप्त है। दानदाता द्वारा दान के बारे में दी गई जानकारी के आधार पर करदाता की विवरणी में दानदाता की पूर्व सूचना देने का प्रस्ताव किया है। कर छूट का दावा करने के लिए धर्मार्थ संस्थाओं को आयकर विभाग के साथ पंजीकरण कराना होता है।
पंजीकरण की प्रक्रिया को पूरी तरह इलैक्ट्रॉनिक करने का प्रस्ताव किया गया है।
फेसलेस अपीलें
आकलन प्रक्रिया में अधिक कार्य दक्षता, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए नई फेसलेस आकलन योजना पहले ही शुरू की जा चुकी है। इसके लिए फेसलेस आकलन की तर्ज पर ही फेसलेस अपील योजना को शुरू करने के लिए आयकर कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है।
'विवाद से विश्वास' योजना
प्रस्तावित योजना के तहत करदाता को केवल विवादित करों की राशि का दान करने की आवश्यकता होगी और उसे ब्याज तथा दंड से पूरी तरह छूट मिलेगी। बशर्तें वह देय कर-राशि का भुगतान 31 मार्च, 2020 से पहले कर देता हो। 31 मार्च, 2020 के बाद जो लोग इस योजना का लाभ उठाना चाहेंगे, उन्हें कुछ अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा। यह योजना 30 जून, 2020 तक प्रभावी रहेगी।
आधार के माध्यम से तत्काल पैन
पैन जारी करने की प्रक्रिया को और अधिक आसान बनाने के लिए जल्दी ही एक नई व्यवस्था शुरू की जाएगी, जिसके तहत विस्तृत आवेदन पत्र भरने की किसी आवश्यकता के बगैर आधार के माध्यम से तुरन्त ही ऑनलाइन पैन का आबंटन कर दिया जाएगा।
अप्रत्यक्ष कर
जीएसटी -
01 अप्रैल, 2020 से जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की आसान प्रक्रिया लागू कर दी जाएगी। इसकी विशेषताओं में शून्य विवरणी के लिए एसएमएस विवरणी पूर्व फाइलिंग, उन्नत इनपुट कर क्रेडिट प्रवाह और समग्र सरलीकरण शामिल हैं। उपभोक्ता इनवॉयस के लिए इसमें डॉयनमिक क्यूआर कोड का प्रस्ताव किया गया है। खरीदारी के समय क्यूआर कोड के माध्यम से भुगतान करते समय जीएसटी मानकों का विवरण तत्काल हासिल कर लिया जाएगा।
सीमा शुल्क
ने सीमा शुल्क के संदर्भ में सीमा पार व्यापार के क्षेत्र में भारत ने बड़ी छलांग लगाई है। विश्व बैंक के कारोबारी सुगमता सूचकांक में भारत 146वें स्थान से उठकर 68वें स्थान पर आ गया है।
मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत देश का आयात बढ़ रहा है। एफटीए लाभों के अनुचित दावे घरेलू उद्योगों के लिए खतरा बन रहे हैं। आगामी महीनों में सरकार उत्पादों के मूल उद्गम से जुड़ी आवश्यकताओं से संबंधी नियमावली की समीक्षा करेगी। विशेषकर संवेदनशील मदों के लिए ऐसा किया जाएगा, ताकि एफटीए हमारी नीति के अनुरूप हो।
श्रम आधारित सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम का क्षेत्र रोजगार सृजन के लिए महत्वपूर्ण है। सस्ते और निम्न गुणवत्ता वाले आयात इस क्षेत्र के विकास में बाधक है। इसे ध्यान में रखते हुए फुटवियर और फर्नीचरों जैसी वस्तुओं के आयात सीमा शुल्क बढ़ाया जा रहा है।
Courtesy – Press Information Bureau, Government of India