No: 13338 Dated: Nov, 09 2021

जनप्रतिनिधियों के पत्र का संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन एवं विभाग के पदाधिकारियों द्वारा पत्र प्राप्ति की सूचना एवं कृत कार्रवाई की जानकारी निर्धारित समयावधि में जनप्रतिनिधियों को उपलब्ध कराने के संबंध में

निदेशानुसार उपर्युक्त विषय के संदर्भ में कहना है कि जनप्रतिनिधि होने के कारण लोकतांत्रिक व्यवस्था में सांसद एवं राज्य विधानमंडल के सदस्यों का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्हें संविधान के अधीन महत्वपूर्ण कार्य सम्पादित करने के क्रम में विभिन्न विभागों एवं जिला प्रशासन से व्यक्तिगत सम्पर्क करने अथवा पत्राचार करने की आवश्यकता होती है। 

2. उपर्युक्त विषय के संदर्भ में पूर्व में भी सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र संख्या-8841 दिनांक-02.06.2012 द्वारा निम्नवत् विस्तृत दिशा-निर्देश निर्गत किये गये हैं -

   1. संसद एवं राज्य विधान मंडल के सदस्यों के साथ कार्यव्यवहार में निन्नांकित दो मूल सिद्धांतों को ध्यान में रखा जाना चाहिए -

(i) सरकारी कर्मचारियों/पदाधिकारियों को संसद सदस्यों एवं राज्य विधान मंडल के सदस्यों के साथ विनम्रता तथा शिष्टाचार का बर्ताव करना चाहिए। 

(ii) संसद सदस्यों एवं राज्य विधान मंडलों के सदस्यों की बातों को धैर्यपूर्वक सुनना एवं उन पर ध्यानपूर्वक विचार करना चाहिए।

  2. प्रत्येक कर्मचारी/पदाधिकारी को संसद सदस्यों तथा राज्य विधान मंडल के सदस्यों को उनके संवैधानिक कार्यों के सम्पादन में यथासंभव सहायता करनी चाहिए, किन्तु किसी सदस्य के अनुरोध अथवा सुझाव को मानने में असमर्थता की स्थिति में अपनी असमर्थता के कारणों को उन्हें विनम्रतापूर्वक स्पष्ट कर दिया जाना चाहिए।

  3. प्रत्येक कर्मचारी/पदाधिकारी को संसद सदस्यों तथा राज्य विधान मंडल के सदस्यों को उनसे मिलने के लिए आने पर अन्य आगंतुकों के स्थान पर प्राथमिकता देनी चाहिए। बिना समय लिये हुए मिलने हेतु आये सदस्य से यदि अपरिहार्य कारणों से तुरंत मिलना संभव नहीं हो सके तो उन्हें विनम्रतापूर्वक स्थिति से अवगत कराया जाना चाहिए एवं उनके परामर्श से मिलने का समय शीघ्र निर्धारित करना चाहिए। मिलने हेतु प्रतीक्षा अवधि में सदस्यों के सुविधाजनक ढंग से बैठने हेतु स्थान सुनिश्चित किया जाना चाहिए। 

  4. संसद सदस्य तथा राज्य विधान मंडल के सदस्य के मिलने आने पर कर्मचारी/पदाधिकारी को अपने स्थान से उठकर उनका स्वागत करना चाहिए एवं उनके जाते समय भी उनके प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हुए विदा करना चाहिए। विनम्र व्यवहार का अपना प्रतीकात्मक मूल्य होता है, अतः कर्मचारियों/पदाधिकारियों को संसद तथा राज्य विधान मंडल के सदस्यों के साथ अपने व्यवहार में अत्यधिक सचेत एवं शिष्ट होना चाहिए। 

  5. संसद सदस्यों की स्थिति को राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किये गये पूर्वता अधिपत्र (वारंट ऑफ प्रेसीडेन्स) में स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया है और उन्हें सचिवों आदि से ऊपर रखा गया है। अतः यदि राज्य में आयोजित राजकीय समारोह अथवा बैठकों में संसद सदस्य आमंत्रित किये जाते हैं तो उनके बैठने के स्थान राज्यपाल, मुख्य न्यायाधीश आदि के तुरंत बाद एवं सचिवों से आगे रखा जाना चाहिए। जहाँ        

समारोहों/बैठकों में संसद सदस्य एवं राज्य विधान मंडल के सदस्य दोनों आमंत्रित हों वहाँ राज्य विधान मंडल के सदस्यों का स्थान संसद सदस्यों के तुरंत बाद रखा जाना चाहिए।

      समारोहों/बैठकों में आमंत्रित उक्त सदस्यों के लिए स्थान आरक्षित होने चाहिए। देर से आने अथवा उनकी अनुपस्थिति की स्थिति में भी उनके लिए आरक्षित सीटों को समारोह/बैठक के अंत तक आरक्षित रखा जाना चाहिए, भले ही वे खाली क्यों न रह जायें। 

  6. (i) संसद तथा राज्य विधान मंडल के सदस्यों को सरकारी सूचना प्राप्त करने हेतु संबंधित विभाग के प्रभारी मंत्री से अनुरोध करना चाहिए। तथापि, यदि संसद सदस्य तथा राज्य विधान मंडल के सदस्यों द्वारा विभागाध्यक्षों अथवा जिला के अधिकारियों से सरकारी सूचना प्राप्त करने हेतु सीधे पत्राचार किया जाता है, तो ऐसे पत्रों पर ध्यानपूर्वक विचार किया जाना चाहिए तथा उन्हें अपने विभाग से संबंधित ऐसी सूचना, जिसे दिया जाना उनके प्राधिकार में हो, लिखित रूप में शीघ्रता से उपलब्ध करा दिया जाना चाहिए। ऐसी सूचनायें जो गोपनीय हों अथवा जिन्हें उपलब्ध कराना अत्यधिक श्रम-साध्य हो, उन्हें उपलब्ध नहीं करा सकने की स्थिति में सदस्य को विनम्रतापूर्वक सूचित किया जाना चाहिए।

(ii) सदस्यों से प्राप्त पत्रों की प्राप्ति की अभिस्वीकृति भेजते हुए उन्हें एक अंतरिम उत्तर तत्काल दिया जाना चाहिए। 

(iii) सदस्यों द्वारा सरकारी सूचनायें मौखिक रूप से माँगे जाने की स्थिति में ऐसी अतिसामान्य सूचनायें, जिनमें नीतिविषय अथवा सरकार की कोई प्रतिबद्धता समाहित न हो, विनम्रतापूर्वक दी जा सकती है। 

3. बाद में सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र संख्या-16593 दिनांक-28.12.2017, 1215 दिनांक-25.01.2018 एवं 9423 दिनांक-25.08.2021 द्वारा भी उक्त विषय के संदर्भ में समय-समय पर अनुदेश निर्गत किये गये हैं। पुनः संसदीय कार्य विभाग के पत्रांक-183 दिनांक-19.02.2021 द्वारा भी कतिपय मार्गदर्शन निर्गत किये गये हैं। परन्तु उक्त वर्णित दिशा-निर्देशों के उपरांत भी कतिपय शिकायतें प्राप्त हुई हैं कि माननीय जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रेषित पत्रों के संदर्भ में उक्त वर्णित प्रावधानों के अनुरूप कार्रवाई नहीं की जा रही

4. अतः सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र संख्या-8841 दिनांक-02.06.2012, 16593 दिनांक-28.12.2017, 1215 दिनांक-25.01.2018, 9423 दिनांक-25.08.2021 एवं संसदीय कार्य विभाग के पत्रांक-183 दिनांक-19.02.2021 की छायाप्रति संलग्न करते हुए पुनः निदेश दिया जाता है कि वर्णित परिपत्रों में निहित निदेशों का दृढ़ता से अनुपालन करने हेतु सभी अधीनस्थ पदाधिकारियों को निदेशित करने की कृपा की जाय। निदेशों का अनुपालन नहीं किये जाने की शिकायत प्राप्त होने पर उसकी समुचित जाँच की जाय तथा दोषी पाये गये पदाधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाय।

 

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